गाजियाबाद। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे निर्माण की बाधा तीन साल बाद दूर हो गई है। मुआवजा निर्धारण में भ्रष्टाचार की शिकायत पर तत्कालीन मंडलायुक्त की जांच के बाद सौंपी गई रिपोर्ट के चलते गाजियाबाद के चार गांवों नाहल, कुशलिया, डासना और रसूलपुर सिकरोड में मुआवजा बांटने पर रोक लग गई थी। अब गाजियाबाद के दो तत्कालीन डीएम और एक डीएम पर कार्रवाई के लिए कैबिनेट की मंजूरी के बाद शासन ने मुआवजा बांटने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। शासन के आदेश के बाद प्रशासन ने चारों गांवों में सर्वे शुरू करा दिया है। जल्द ही मुआवजा बांटने का काम भी शुरू हो जाएगा।
प्रशासन की टीम दो दिन से गाजियाबाद के नाहल, कुशलिया, डासना और रसूलपुर सिकरोड गांव में जाकर किसानों का सर्वे कर रहे हैं। यह टीम रिकार्ड तैयार कर रही है कि किन किसानों ने मुआवजे की रकम ले ली थी और कितने किसानों को रकम अभी मिलना बाकी है। एक सप्ताह में प्रशासन की टीम को यह किसानों की यह रिपोर्ट तैयार कर डीएम अजय शंकर पांडेय को सौंपनी है।
इसके बाद एनएचएआई से रकम लेकर मुआवजा बांटने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रशासन के मुताबिक अभी करीब 19 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना बाकी है।
इसलिए अटका था मुआवजा बांटने का काम
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए 2011-12 में गाजियाबाद के नाहल, कुशलिया, डासना और रसूलपुर सिकरोड में क्षेत्र की 71.14 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई की गई थी। 2013 में यहां अवार्ड घोषित किया गया था। 2016 में क्षेत्र के 23 किसानों ने उनकी जमीन एक्सप्रेस-वे में लिए जाने के बावजूद उन्हें मुआवजा न मिलने की शिकायत मंडलायुक्त से की थी।
मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने जांच कराई तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। यहां आर्बिट्रेेशन में कुछ चहेते लोगों का मुआवजा 10 गुना ज्यादा निर्धारित कर दिया गया था। जांच के बाद यहां मुआवजा बांटने की प्रक्रिया को रोक दिया गया था। तत्कालीन मंडलायुक्त ने भ्रष्टाचार के खेल में तत्कालीन डीएम विमल कुमार शर्मा, निधि केसरवानी और तत्कालीन एडीएम एलए घनश्याम सिंह समेत कई बिचौलियों के नाम उजागर किए थे।
आरोप है कि इन अधिकारियों ने अपने चहेते लोगों को जमीन खरीदवाकर आर्बिट्रेशन में 10 गुना ज्यादा तक मुआवजा निर्धारित कर दिया था। उन्होंने सितंबर 2017 में शासन को रिपोर्ट भेज दी थी। तभी से यहां जमीन अधिग्रहण का काम अटका हुआ था।
मुआवजा बंटने से तीन किमी लंबा हिस्सा बनेगा
किसानों को जमीन का मुआवजा दिए जाने पर रोक के चलते दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का करीब 3 किलोमीटर हिस्से का निर्माण शुरू भी नहीं हो पाया है। अब यहां करीब 19 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण का रास्ता साफ हो जाएगा। मुआवजा बांटे जाने की प्रक्रिया के पूरा होने पर इस 3 किलोमीटर लंबे डीएमई के हिस्से का निर्माण भी शुरू हो जाएगा। एनएचएआई के अधिकारियों के मुताबिक जमीन मिलने के बाद 3 से 4 माह में इसका निर्माण पूरा हो जाएगा।
किसानों को राहत, आर्बिट्रेशन में तय दरों पर मिलेगा मुआवजा
अधिकारियों के मुताबिक शासन ने आर्बिट्रेशन में तय हुई दरों पर मुआवजा बांटने के आदेश दिए हैं। यानी दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में जमीन देने वाले किसानों के लिए यह आदेश देरी से ही सही, लेकिन राहत लेकर आया है। प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को और लंबा नहीं लटकाना चाहती है। यही वजह है कि बढ़ी दरों पर मुआवजा देने का निर्णय लिया गया है, ताकि जल्द से जल्द विवाद का निबटारा हो सके।