Friday, March 29, 2024
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कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद दिल्ली में स्थिति नियंत्रण में-आइसीएमआर

नई दिल्ली। मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद दिल्ली में कोरोना की स्थिति बेकाबू नहीं है। आइसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव के अनुसार प्रतिबंधों के हटने और इससे लोगों की आवाजाही बढ़ने के कारण कोरोना के मामलों का बढ़ना सामान्य बात है।

पूरे देश में कोरोना से मरने वाले में महिलाओं की तुलना में पुरुष दोगुना से भी ज्यादा

उन्होंने कहा कि दिल्ली में लोगों के लिए अब और अधिक ऐतिहात बरतने की जरूरत है। वहीं पूरे देश में कोरोना से मरने वालों में पुरूषों की संख्या महिलाओं की तुलना में दोगुने भी ज्यादा है।

सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन हो तो आने वाले दिनों में कमी आ सकती है

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बारे में पूछे जाने पर डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि स्थिति जून की तरह बेकाबू नहीं हुई है। उस समय हर दिन चार हजार से अधिक केस आ रहे थे और अब एक हजार से 1400 से बीच आ रहे हैं, जो बहुत ज्यादा नहीं है। उनके अनुसार यदि लोग सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों का कड़ाई से पालन करें, तो इसमें आने वाले दिनों में कमी आ सकती है।

कोरोना का कहर पुरुषों पर पड़ा ज्यादा भारी: स्वास्थ्य मंत्रालय

मौत के पैमाने पर कोरोना का कहर पुरुषों पर ज्यादा भारी पड़ा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कोरोना के कारण मरने वालों में 69 फीसद पुरुष और 31 फीसद महिलाएं हैं। उम्र के हिसाब से देखें, तो स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और जनसंख्या में कम अनुपात के बावजूद 60 साल से अधिक उम्र के लोग की संख्या कोरोना के कारण मरने वालों में सबसे अधिक है। कोरोना के कारण मरने वालों में इस उम्र वर्ग के लोगों का अनुपात 51 फीसद है। उम्र के घटने के साथ-साथ कोरोना के कारण मरने का खतरा भी कम देखा गया है।

गंभीर मरीजों के अनुपात में कोई अहम बदलाव नहीं

इसी तरह कोरोना के कारण गंभीर स्थिति में पहुंचने वाले मरीजों के अनुपात में भी कोई अहम बदलाव नहीं देखने को मिला है। कोरोना के कुल एक्टिव मरीजों में 0.29 फीसद को वेंटीलेटर सपोर्ट पर, 1.92 फीसद को आइसीयू में और 2.70 फीसद को आक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है।

सुशांत राजपूत की बहन का इमोशनल नोट, 35 साल में पहली बार वो कलाई नहीं जिस पर राखी बांध सकूं

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नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत का निधन 14 जून को उनके बांद्रा स्थित फ्लैट में हुआ था. सुशांत के अचानक चले जाने के गम से उनके परिवारवाले अभी तक उबर नहीं पाए हैं. सुशांत के अलविदा कह जाने से उनकी बहनें राखी के मौके पर अपने भाई को बेहद मिस कर रही हैं. हर साल की तरह वे अब सुशांत को कभी राखी नहीं बांध पाएंगी. इसी दुख को जताते हुए सुशांत की बहन रानी ने इमोशनल नोट लिखा है.

क्या लिखा सुशांत की बहन ने?

गुलशन, मेरा बच्चा
आज मेरा दिन है.
आज तुम्हारा दिन है.
आज हमारा दिन है.
आज राखी है.

पैंतीस साल के बाद ये पहला अवसर है जब पूजा की थाल सजी है. आरती का दीया भी जल रहा है. हल्दी-चंदन का टीका भी है. मिठाई भी है. राखी भी है. बस वो चेहरा नहीं है जिसकी आरती उतार सकूं. वो ललाट नहीं है जिसपर टीका सजा सकूं. वो कलाई नहीं जिस पर राखी बांध सकूं. वो मुंह नहीं जिसे मीठा कर सकूं. वो माथा नहीं जिसे चूम सकूं. वो भाई नहीं जिसे गले लगा सकूं.

वर्षों पहले जब तुम जब आए थे तो जीवन जगमग हो उठा था. जब थे तो उजाला ही उजाला था. अब जब तुम नहीं हो तो मुझे समझ नहीं आता कि क्या करूं? तुम्हारे बगैर मुझे जीना नहीं आता. कभी सोचा नहीं कि ऐसा भी होगा. ये दिन होगा पर तुम नहीं होगे. ढेर सारी चीजें हमने साथ-साथ सीखी. तुम्हारे बिना रहना मैं अकेले कैसे सीखूं. तुम्हीं कहो.

हमेशा तुम्हारी
रानी दी

बता दें, सुशांत सिंह के सुसाइड करने की वजह की तहकीकात दो राज्यों की पुलिस कर रही है. बिहार पुलिस मामले की जांच के लिए मुंबई पहुंची है. वहीं पहले से इस केस की जांच कर रही मुंबई पुलिस पर बिहार पुलिस ने सहयोग ना करने का आरोप लगाया है. दोनों राज्यों की पुलिस के बीच सुशांत केस को लेकर खींचतान चल रही है. वहीं सुशांत सिंह राजपूत का परिवार न्याय और मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है.

महागठबंधन में सीटों का बंटवारा, 26 सीटों पर लड़ेगी RJD, कांग्रेस के खाते में 9 सीटें, पूर्णिया भी हाथ से गया

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विशेष संवाददाता

नई दिल्ली । राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बिहार में कांग्रेस को 9 सीटें आवंटित की हैं और आगामी लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सहित 26 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इन 26 सीटों में पाटलिपुत्र, हाजीपुर, सीवान, शिवहर, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, सुपौल, गया, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, बक्सर, जमुई, बांका, वाल्मिकी नगर, मुंगेर, सीतामढी, वैशाली, सारण, दरभंगा, गोपालगंज, मधुबनी, उजियारपुर, अररिया, मधेपुरा और झंझारपुर शामिल हैं। कांग्रेस अब बिहार में नौ सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिनमें किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण, पटना साहिब, सासाराम और महाराजगंज शामिल हैं।

गठबंधन को देखते हुए राजद ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन (सीपीआई-एमएल) के लिए नालंदा, काराकाट और आरा लोकसभा सीटें छोड़ने का फैसला किया है। सीपीआई को बेगूसराय सीट दी गई है, जबकि सीपीएम को खगड़िया सीट मिली है। अब यह स्पष्ट है कि पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, सारण, उजियारपुर, नवादा, पाटलिपुत्र, बक्सर सहित 10 सीटों पर राजद का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से सीधा मुकाबला होगा; और वाल्मिकी नगर, सीतामढी, झंझारपुर, सुपौल, पूर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, सीवान, बांका, मुंगेर, शिवहर और जहानाबाद सहित 12 सीटों पर जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ है।

जहां तक ​​चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (एलजेपी-आरवी) का सवाल है, तो राजद का भी वैशाली, हाजीपुर और जमुई सहित तीन सीटों पर सीधा मुकाबला होगा। पश्चिम चंपारण, पटना साहिब, सासाराम, महाराजगंज और मुजफ्फरपुर सहित पांच सीटों पर कांग्रेस पार्टी का भाजपा से सीधा मुकाबला होगा। पार्टी किशनगंज, कटिहार और भागलपुर सहित तीन सीटों पर जदयू के साथ मुकाबला करेगी। पूर्णिया की सीट राजद के खाते में गई है, ऐसे में यह साफ हो गया कि अब यहां से पार्टी के टिकट पर पप्पू यादव का चुनाव लड़ना असंभव है।

पुलिस से नहीं मिली मंजूरी इसलिए टला अरव‍िंद केजरीवाल की ग‍िरफ्तारी के ख‍िलाफ INDIA गठबंधन का प्रदर्शन

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली । विपक्षी इंडिया गठबंधन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और चुनावी बांड मुद्दे के खिलाफ शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा मुख्यालय के सामने होने वाला विरोध प्रदर्शन टल गया है. यह प्रदर्शन शुक्रवार दोपहर को होना था. इस प्रदर्शन के ल‍िए पुल‍िस से इंड‍िया गठबंधन को मंजूरी नहीं म‍िलना बताया जा रहा है. प्रदर्शन टलने के बाद अब आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता आज 11:30 बजे से करोल बाग में डोर टू डोर कैंपेन शुरू करेंगे.

आज प्रस्तावित प्रदर्शन के रद्द होने पर आप नेता आतिशी ने कहा क‍ि आज इंड‍िया गठबंधन का प्रोटेस्ट होना था लेक‍िन वह टल गया है. उन्‍होंने कहा क‍ि ज‍िस तरह से ED का प्रयोग किया जा रहा है कंपनियों को धमकाने और वसूली करने के लिए हो रहा है. पूरा इंड‍िया अलायंस चूंकि 31 को होने वाली रैली में व्यस्त है और उसी रैली में हम इस मुद्दे की डिटेल में रखेंगे.

इससे पहले इंड‍िया गठबंधन के प्रदर्शन को देखते हुए द‍िल्‍ली पुल‍िस ने भाजपा मुख्यालय की ओर जाने वाली सड़कों पर कई स्तर के बैरिकेड लगाए गए हैं और बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था. पुलिस कर्मियों के अलावा, अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी मध्य दिल्ली में कई स्थानों पर तैनात किया गया है, जिसमें डीडीयू मार्ग और आईटीओ क्षेत्र के आसपास के इलाके भी शामिल हैं.

केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं. केजरीवाल को एजेंसी ने 21 मार्च को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया था. आम आदमी पार्टी (आप) ने बृहस्पतिवार को कहा था कि उसके कार्यकर्ता केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ-साथ चुनावी बॉण्ड मुद्दे पर डीडीयू मार्ग स्थित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे. लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के लिए आप, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), कांग्रेस, द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) और समाजवादी पार्टी (सपा) समेत कुछ विपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ गठबंधन बनाया है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत डीडीयू मार्ग और उसके आसपास के इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जो बड़ी सभाओं पर रोक लगाती है.

आपको बता दें क‍ि इंडिया गठबंधन ने रविवार को घोषणा की थी कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में वह 31 मार्च को रामलीला मैदान में एक संयुक्त रैली आयोजित करेगा. आप के दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने कहा था क‍ि हम देश की मौजूदा स्थिति के विरोध में 31 मार्च को रामलीला मैदान में एक भव्य रैली का आयोजन करने जा रहे हैं. इस कार्यक्रम में इंडिया गठबंधन के प्रमुख नेता सक्रिय रूप से शामिल होंगे.

दिल्ली के मंत्रियों आतिशी और सौरभ भारद्वाज के साथ दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ राय ने कहा था क‍ि लोकतंत्र और राष्ट्र को आसन्न खतरों का सामना करना पड़ रहा है. इंडिया गठबंधन से संबंधित सभी दल इस महासमर में एकजुट होंगे. वे राष्ट्र के हितों की रक्षा और लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए रैली करेंगे.

एक स्वतंत्रता सेनानी का पोता और उप-राष्ट्रपति का भतीजा कैसे बना माफिया सरगना….पढ़िए खौफ की पूरी कहानी

विशेष संवाददाता

लखनऊ । कहते हैं एक ना एक दिन वक्त जरूर बदलता है। ये वक्त ही है कि किसी को अर्श तो किसी को फर्श पर ला पटकता है। हम बात कर रहे हैं बाहुबली मुख्तार अंसारी की। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थीं, आज उसी मुख्तार का बांदा में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। परिवार को इस बात की जानकारी दे दी गई है। देर रात परिवार यहां पहुंचेगा, फिर पांच डॉक्टरों का पैनल पोस्टमार्टम करेगा। इसके बाद मुख्तार का शव परिवार सौंप दिया जाएगा।

जानते हैं कैसे एक उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी का भतीजा और स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी का पोता माफिया बना…

स्वतंत्रता सेनानी रहा है परिवार

मुख्तार अंसारी के दादा डा. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। मुख्तार के पिता सुबहानउल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट नेता थे और गाजीपुर की राजनीति में सक्रिय रहे। पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी भी उनके रिश्तेदार बताए जाते हैं।

बाहुबली मुख्तार अंसारी तीन भाई है। सबसे बड़े भाई सिगबतुल्ला अंसारी है। वह मोहम्मदाबाद से दो बार विधायक रहे हैं। वर्ष 2012 में सपा के टिकट पर और 2017 में कौमी एकता दल के टिकट पर चुनाव जीते। इनके बड़े बेटे सुहेब उर्फ मन्नू अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से सपा के विधायक हैं, जबकि दो अन्य बेटे सलमान अंसारी व सहर अंसारी स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं और अपना कारोबार करते हैं। दूसरे भाई अफजाल अंसारी सांसद हैं। वह 1985 से 1996 तक चार बाद सीपीआई और एक बार सपा के टिकट पर विधायक रहे।

मुख्तार अंसारी का परिवार: राजनीति, अपराध और विवादों का जाल

2004 में सपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे और फिर 2019 में बसपा के टिकट पर सांसद बने। उनकी तीन बेटियां हैं। मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी 2022 में सुभासपा के टिकट पर मऊ से विधायक है। वह इन दिनों जेल में है। वह निशानेबाजी में तीन बार राष्ट्रीय चैम्पियन रहा है। कई अंतर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी भारतीय टीम का हिस्सा रहा है। जबकि दूसरा बेटा उमर अंसारी कारोबार करता है। वह भी फरार चल रहा है।

मुख्तार अंसारी का जन्म 20 जून 1963 को नगर पालिका परिषद मुहम्मदाबाद के पूर्व चेयरमैन सुबहानुल्लाह अंसारी के रूप में हुआ था।गाजीपुर के पीजी कॉलेज से स्नातक का छात्र रहा मुख्तार अंसारी की गिनती कभी क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ियों में हुआ करती थी। मनबढ़ मुख्तार अंसारी को गलत संगत ने जरायम जगत की गंदी राह की ओर धकेल दिया। मुख्तार 80 के दशक में साधु-मकनू गैंग से जुड़ा। साधु और मकनू को अपना गुरु मानकर जरायम जगत की बारीकियों को समझा और धीरे-धीरे खुद का अपना गैंग खड़ा कर माफिया सरगना बन गया। बाहुबल से बनाई गई सियासी जमीन पर मुख्तार लगातार पांच बार विधायक चुना गया। तकरीबन 18 साल छह माह जेल में रहने के बाद सलाखों के पीछे ही बृहस्पतिवार की रात मुख्तार अंसारी की मौत हो गई।

गाजीपुर में दर्ज हैं सबसे अधिक मुकदमे

वर्ष 1997 में मुख्तार अंसारी का अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) पुलिस डोजियर में दर्ज किया गया। 25 अक्तूबर 2005 को मुख्तार जेल की सलाखों के पीछे गया तो फिर बाहर नहीं निकल पाया। इस बीच वर्ष 1996 से 2022 तक वह मऊ सदर विधानसभा से पांच बार लगातार विधायक चुना गया।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ नई दिल्ली, पंजाब, मऊ, वाराणसी, लखनऊ, आजमगढ़, बाराबंकी, चंदौली, सोनभद्र, आगरा और गाजीपुर में संगीन धाराओं में 65 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। इसमें से सबसे ज्यादा मुकदमे उसके गृह जिले गाजीपुर में 22 से अधिक दर्ज हैं। ये मुकदमे हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी, गैंगस्टर, एनएसए सहित जघन्य प्रकृति के हैं। मुख्तार अंसारी के विरुद्ध लंबित 65 अभियोगों में से 21 का विभिन्न न्यायालयों में ट्रायल चल रहा है।

अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को पहली बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इससे पहले उसे अधिकतम 10 साल की सजा मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पंजाब की रोपड़ जेल से वापस यूपी आने के बाद मुख्तार पर कानून का शिकंजा कसता चला गया। उसे डेढ़ साल के भीतर आठ बार अलग-अलग अदालतों ने सजा सुनाई, जिससे दो बार आजीवन कारावास की सजा भी शामिल थी। इससे उसका जिंदा जेल से बाहर आना नामुमकिन हो गया था।

मुख्तार और उसका परिवार मुश्किल में

मुख्तार की बेबसी के पीछे की वजह पारिवारिक सदस्यों का जेल में या फिर अलग-अलग मामलों में फरार होना है। मऊ से विधायक बेटा अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में है। उसकी पत्नी निखत अंसारी भी जेल में है। पत्नी आफ्शा अंसारी फरार चल रही है। उस पर इनाम घोषित किया जा चुका है। छोटा बेटा उमर अंसारी जमानत पर है।

गाजीपुर जिले के यूसुफपुर निवासी माफिया मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में पहली बार नाम वर्ष 1988 में हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड से सामने आया था। कुछ ही वर्षों में ही पूर्वांचल की तमाम हत्याओं और ठेकेदारी में मुख्तार का नाम खुलेआम लिया जाने लगा। सत्ता और प्रशासन का संरक्षण मिलने से मुहम्मदाबाद से निकलकर मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में बड़ा नाम हो गया। करीब 40 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाला मुख्तार देखते ही देखते प्रभावशाली नेता बन गया। विधानसभा में पूर्वांचल की मऊ सीट से लगातार लोगों की पहली पसंद बनकर पांच बार विधायक बना।

अपराध की दुनिया में ऐसे आया मुख्तार

मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के युसुफपुर में हुआ था। वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मुख्तार अहमद अंसारी का पोता था। मुख्तार अंसारी मूल रूप से मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में काफी सक्रिय था। अंसारी का यह गिरोह कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में लगा हुआ था। अपहरण, हत्या व लूट सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था। जबरन वसूली का गिरोह चलाता था।

मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में सक्रियता ज्यादा थी। 20 से भी कम की उम्र में मखनू सिंह गिरोह में शामिल होकर मुख्तार अपराध की सीढ़ियां चढ़ता रहा। जमीन पर कब्जा, अवैध निर्माण, हत्या, लूट, सहित अपराध की दुनिया के कुछ ही ऐसे काम होंगे, जिनसे मुख्तार का नाम न जुड़ा हो।

करीब 18 साल जेल में रहा मुख्तार

माफिया मुख्तार अंसारी करीब 18 साल तक जेल के सलाखों के पीछे ही रहा। मऊ दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में आत्म समर्पण किया था और वहीं की जिला जेल में दाखिल हुआ था। मुहम्मदाबाद के फाटक निवासी मुफ्तार अंसारी चार दशक तक जरायम की दुनिया में रहा। इस दौरान कई चर्चित आपराधिक घटनाओं में मुख्तार अंसारी का नाम आया। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थी, आज उसी मुख्तार का अंत हो गया।

माफियाओं की कब्रगाह बनीं यूपी की जेलें, गैंगवार और बीमारी से खत्म हुई कई अपराधियों की कहानी

विशेष संवाददाता

लखनऊ । यूपी की जेलें कई बड़े माफिया और कुख्यात अपराधियों की कब्रगाह बन चुकी हैं। बीमारी के अलावा जेलों में हुई गैंगवार बड़े अपराधियों का काल बन गयीं। बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

बता दें कि मुख्तार से पहले माफिया खान मुबारक और दुर्दांत अपराधी मुनीर की भी जेल में बीमारी से मौत हो चुकी है। एनआईए अफसर तंजील अहमद के हत्यारे बिजनौर निवासी मुनीर की 21 नवंबर 2022 को वाराणसी के बीएचयू मेडिकल कॉलेज में बीमारी की वजह से मौत हो गयी थी। सोनभद्र जेल में बंद मुनीर को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। उसे जेल में इंफेक्शन हो गया था। इसी तरह हरदोई जेल में बंद अंबेडकरनगर के माफिया एवं कुख्यात अपराधी खान मुबारक की 12 जून 2023 को बीमारी की वजह से मौत हो गयी थी। उसके खिलाफ 44 मुकदमे दर्ज थे। वह अंडरवर्ल्ड डॉन जफर सुपारी का छोटा भाई था।

जेल में मारे गए मुन्ना बजरंगी समेत कई अपराधी

छह साल पहले बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या पश्चिमी उप्र के गैंगस्टर सुनील राठी ने कर दी थी। इसी तरह चित्रकूट जेल में 14 मई 2021 को मुख्तार के करीबी मेराज, माफिया मुकीम काला और कुख्यात अपराधी अंशू दीक्षित की गैंगवार में मौत हुई थी। जनवरी 2015 में मथुरा जेल में हुई गैंगवार में कुख्यात अपराधी ब्रजेश मावी और राजेश टोटा के बीच हुई गैंगवार में राजेश टोटा की मौत हो गयी थी। बीते वर्ष 7 जून को लखनऊ के अदालत परिसर में माफिया संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या कर दी गयी थी।

रमजान में हुई थी अतीक और अशरफ की हत्या

बता दें कि प्रयागराज में बीते वर्ष 15 अप्रैल को रमजान के दौरान माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की कुछ युवकों ने गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। दोनों को राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में रिमांड पर प्रयागराज लाया गया था। दोनों का मेडिकल कराने के लिए प्रयागराज के अस्पताल परिसर लाया गया था, जहां उनकी हत्या हो गयी। इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट कुछ दिन पहले शासन को सौंप दी है।

बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत, पूर्वांचल के कई जिलों में हाई अलर्ट

परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप , परिजनों की उपस्थिति में डाक्टरों का बोर्ड करने वाला है पोस्टमार्टम

विशेष संवाददाता

बाँदा । बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। मेडिकल कॉलेज बांदा ने उसकी मौत की पुष्टि की है। पूरे यूपी में पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है। मऊ, गाजीपुर और बांदा जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है।

रात साढ़े 12 बजे पोस्टमार्टम के लिए पहुंचा शव

मुख्तार की मौत के दो घंटे बाद यानि साढ़े बारह बजे के आसपास उसके शव को मेडिकल कॉलेज से पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाया गया। शव के पोस्टमार्टम पहुंचते ही सारा फोर्स भी वहीं तैनात हो गया। पूरे पोस्टमार्टम हाउस की घेराबंदी कर दी गई। बैरिकेडिंग भी लगा दी गई। रात में पोस्टमार्टम शुरू नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि मुख्तार के परिजन के सामने आज यह प्रकिया की जाएगी। मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने है कि पोस्टमार्टम सुबह होगा। इसके बाद हम आगे की प्रक्रिया (अंतिम संस्कार) करेंगे। लगभग पांच डॉक्टरों का पैनल बनाया गया है (पोस्टमार्टम करने के लिए)।’

घर से चार सौ मीटर दूर कब्रिस्तान में होगा सुपुर्दे खाक

मुख्तार अंसारी का पार्थिव शव शनिवार की दोपहर में आने की संभावना है। परिजनों के मुताबिक उनके शव को गाजीपुर के पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा। यह कब्रिस्तान उनके घर से करीब चार सौ मीटर दूर है। इसी कब्रिस्तान में उनके पार्थिव शव को सुपुर्दे खाक किया जाएगा।

‘जिंदा देखने न दिया, कंधा के लिए भेजा बुलावा’

मुख्तार का एक बेटा अब्बास इस वक्त कासगंज जेल में सजा काट रहा है तो दूसरा और छोटा बेटा उमर अब्बास दो दिन पहले ही मेडिकल कॉलेज पिता को देखने आया था। परिवार के करीबियों ने बताया कि जैसे ही उमर को प्रशासन की ओर से उसके पिता की मौत की सूचना दी गई वह धड़ाम से अपनी कुर्सी पर गिर पड़ा। करीबियों के मुताबिक उमर कुछ ही देर में बांदा पहुंच भी जाएगा। उसने भरे गले से कहा कि दो दिन पहले इन पुलिस वालों ने अस्पताल में भर्ती पिता को शीशे से भी देखने नहीं दिया और आज जब वह इस दुनिया में नहीं है तो वही पुलिस प्रशासन उनके जनाजे को कंधा देने के लिए बुलावा भेज रहा है। ऐसे में एक बेटे के दिल पर क्या गुजर रही होगी, इन अधिकारियों को क्या मालूम। बकौल उमर जबसे उम्र संभाली तब से कई साल बिना पिता के बिताए हैं, भरोसा था कि कभी तो पिता का कंधा सिर रखने के लिए मिलेगा, लेकिन क्या पता था कि वह कंधा अब उसे कभी नसीब नहीं होगा।

कुछ तो बीमारी ने और कुछ खौफ ने ले ली जान

कभी जिसके नाम से गुंडे माफिया और बिल्डर्स भी कांपा करते थे, किसी ने नहीं सोचा था कि कभी वह माफिया भी खौफ के साए में जिंदगी बिताएगा। कुछ ऐसा ही हाल था पूरब के डॉन कहे जाने वाले माफिया मुख्तार अंसारी का, जिसकी मौत हुई तो बीमारी की वजह से लेकिन उसके पीछे कानून का खौफ भी शामिल था, जो उसको उसके गुनाह याद कर रहा था। जब से मुख्तार पंजाब से बांदा जेल आया था, शायद ही कोई ऐसा दिन रहा हो, जब उसने यूपी की जेल से दूसरी जेल भेजे जाने की इच्छा न की हो। यही वजह थी कि कब वह ब्लड प्रेशर, शुगर और पेट की बीमारी की गिरफ्त में आ गया, उसे खुद ही नहीं पता चला। इसके अलावा उसे लगातार दो तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। वहीं, जिस दिन से प्रदेश में अतीक और उसके भाई की हत्या हुई है, तभी से मुख्तार के दिल में कानून और मौत खौफ और पैदा हो गया था। यही वह हालात थे कि जेल में उसका एक-एक दिन एक-एक साल के बराबर बीत रहा था। आखिर में वह घड़ी भी आ गई, जब खौफ ही उसकी मौत बन गई और उसकी धड़कनों ने साथ छोड़ दिया।

भाई और बेटे ने दो दिन पहले जताई थी आशंका

दो दिन पहले जब मुख्तार की हालत बिगड़ने पर उसे जेल से मेडिकल कॉलेज लाया गया था, तभी उसे भाई अफजाल और बेटे उमर अब्बास ने पिता की मौत की आशंका जताई थी। जेल प्रसासन पर गंभीर आरोप लगाए था। अफजाल ने तो यह तक कहा था कि उसके भाई की हत्या का सातवीं बार प्रयास किया गया है। इस बार भी 19 मार्च को उन्हें खाने में जहर दिया गया था। वहीं बेटे उमर ने भी प्रशासन पर आरोप मढ़ते हुए कहा था कि उसे पिता से मिलना तो दूर शीशे से देखने तक नहीं दिया गया था।

जेल में जांच के दौरान ही पड़ा था अटैक

जेल सूत्रों के मुताबिक गुरुवार दोपहर से मुख्तार की तबीयत बिगड़ने लगी थी। सूचना मिलते ही जिला अस्पताल के तीन डॉक्टरों की टीम ने मौके पर पहुंच कर उसकी सेहत की जांच की थी। गुरुवार को मुख्तार ने सिर्फ थोड़ी सी खिचड़ी ही खाई थी।

मौत के वक्त कोई नहीं था मददगार

करीब ढाई साल से बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी के भले ही बांदा जनपद में मुख्तार के तमाम समर्थक थे, लेकिन जबसे उसके समर्थकों के घरों पर जेसीबी गरजी थी, तभी से सभी ने उससे दूरी बना रखी थी। जनपद से गिने चुने लोग भी जेल में उससे मिलने नहीं जाते थे।

शायद यही वजह थी कि जब वह अपनी जिंदगी के अंतिम क्षण जी रहा था, उस वक्त भी जेल तो दूर की बात है उसका कोई अपना मेडिकल कॉलेज के आसपास भी नहीं दिखाई दिया। मुख्तार के कुछ समर्थक उसके परिजनों के संपर्क में जरूर रहे और उन्हें प्रशासन से बचकर मेडिकल कॉलेज से बाहर के हालातों की खबर देते रहे। देर रात 11 बजे तक उसके समर्थकों में से कोई भी मेडिकल कॉलेज के आसपास नहीं दिखाई दिया। बता दें कि अतीक हत्याकांड के बाद जनपद में मुख्तार के करीबी दो लोगों के मकानों पर भी प्रशासन ने जेसीबी चलाई थी।

गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की मौत पर कानपुर में भी अलर्ट

गाजीपुर के माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत के बाद कानपुर में भी अलर्ट जारी किया गया है। शहर के मुस्लिम बहुल और मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस और पैरामिलिट्री की गश्त बढ़ा दी गई है। पुलिस अफसर और खुफिया लगातार संवेदनशील और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने बताया कि शहर के संवेदनशील, अति संवेदनशील क्षेत्रों में नजर रखी जा रही है।

‘इलाज के नाम पर प्रशासन ने ड्रामा किया’

मुख्तार के बेटे उमर अंसारी ने कहा कि गुरुवार दोपहर तीन बजे पिता ने फोन पर कहा था कि दो कदम भी नहीं चल पा रहा हूं। मेरी मौत हो जाएगी। जो हक्कीकत है वह पूरा देश देख रहा है। आज इलाज के नाम पर प्रशासन ने ड्रामा ही किया है। दो दिन पहले भी इलाज के नाम पर खानापूर्ति कर पिता को जेल की तन्हाई में डाल दिया गया था। जहर देने का आरोप हमारी ओर से नहीं बल्कि पिता की ओर से ही लगाया गया था, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। मुझे प्रशाशन पर नहीं न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है।

सपा ने एक हफ्ते में दूसरी बार बदला नोएडा का प्रत्याशी, डॉक्टर के खिलाफ डॉक्टर को उतारा

संवाददाता

नोएडा। दूसरे चरण के नामांकन के बीच समाजवादी पार्टी ने फिर से गौतमबुद्ध नगर सीट पर प्रत्याशी बदल दिया है. सपा ने पहले युवा नेता राहुल अवाना को अपना उम्मीदवार बनाया था. लेकिन पार्टी द्वारा अब प्रत्याशी बदल दिया गया है. लखनऊ में पार्टी मुखिया अखिलेश यादव की मौजूदगी में महेंद्र नागर के नाम पर अंतिम मुहर लगी है. इस सीट से अब डॉ. महेंद्र नागर ही सपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.

राहुल अवाना को बनाया था प्रत्याशी

इससे पहले पार्टी ने 16 मार्च को डॉ महेंद्र नागर को प्रत्याशी घोषित किया था. इसके बाद 20 मार्च को संशोधन कर राहुल अवाना को प्रत्याशी बना दिया गया. महेंद्र के पक्ष में पार्टी के कई नेता नहीं थे. बताया जा रहा है कि इन नेताओं पहले दिल्ली फिर लखनऊ जाकर महेंद्र नागर की दावेदारी कमजोर होने और युवा नहीं होने समेत कई समीकरण पार्टी नेतृत्व को बताए थे. इस वजह से राहुल अवाना का टिकट हो गया. लेकिन अब समीकरण फिर बदल गए और वापस से महेंद्र नागर के नाम पर पार्टी की अंतिम मुहर लगी.

गाजियाबाद सीट पर नए चेहरे पर दांव के बाद उठ रहे कई सवाल

संवाददाता

गाजियाबाद NCR क्षेत्र का हिस्सा है गाजियाबाद, करीब 34 लाख आबादी वाले गाजियाबाद में अब तक चुनावों में प्रतिद्वंदियों के बीच कांटे का मुकाबला देखा गया है. संसद में गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जनरल वी.के. सिंह. जिन्होंने इस सीट से दो बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. पहली साल 2014 और दूसरी 2019 में. बावजूद इसके इस सीट पर बीजेपी ने इस बार भरोसा जताया है शहर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे अतुल गर्ग पर. वहीं कांग्रेस की ओर से डॉली शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है.

लिस्ट आने से पहले काफी प्रयास लगाया जा रहे थे कि बीजेपी वीके सिंह को तीसरी बार भी टिकट दे सकती है. हालांकि टिकट की घोषणा से पहले ही वीके सिंह ने 2024 लोकसभा चुनाव ना लड़ने की घोषणा कर दी.

2014 और 2019 में जीते जनरल वी.के.सिंह

2014 में हुए लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी रिटायर्ड जनरल वी.के.सिंह ने 5,67,260 वोटो से चुनाव जीता था. हालांकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वी.के.सिंह पर फिर भरोसा जताया और चुनावी मैदान में उतारा हालांकि इस बार पहले की तुलना में जीत का मार्जिन थोड़ा बहुत घटा था लेकिन फिर भी 5 लाख से अधिक वोटो से वीके सिंह ने जीत दर्ज की थी.

गाजियाबाद लोकसभा सीट का इतिहास

1991 से साल 2019 के बीच आठ बार लोकसभा चुनाव हुए जिनमें से बीजेपी ने 2004 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर सभी चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा सीट पर अपना परचम लहराया. हालांकि, वीके सिंह अब तक गाजियाबाद से सबसे अधिक मार्जिन से जीतने वाले प्रत्याशी हैं. फिर क्यों तीसरी बार उन्हें पार्टी से टिकट नहीं मिला.

सवाल नंबर 1: गाजियाबाद लोकसभा सीट से क्यों नहीं मिला वीके सिंह को टिकट ?

बीेजपी की ओर से जारी की गई प्रत्याशियों की शुरुआती दो लिस्ट में गाजियाबाद लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई थी. ऐसे में कयास लगाये जा रहे थे कि बीजेपी गाजियाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बदल सकती है. वहीं, विपक्षी पार्टियां लगातार गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा द्वारा बाहरी प्रत्याशी उतारने का आरोप लगाती आई हैं. देखा गया है कि 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान बाहरी प्रत्याशी को मुद्दा बनाया जा चुका है. ऐसे में इस बार BJP ने अतुल गर्ग को गाजियाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.

सवाल नंबर 2: गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग का क्यों हो रहा विरोध ?

अखिल भारतीय क्षत्रिय सभा, महाराणा प्रताप स्मृति निर्माण समिति गाजियाबाद के अध्यक्ष वरुण सिंह पुंडीर के मुताबिक क्षत्रिय समाज बीजेपी की रीढ़ की हड्डी की तरह बना हुआ है लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जिस तरह एक इमानदार सांसद जनरल वी. के सिंह को टिकट नहीं दिया गया हमारे किसी भी क्षत्रिय समाज के व्यक्ति को क्षत्रिय बाहुल्य सीट पर टिकेट न देकर पार्टी ने समाज को आक्रोशित और आंदोलित किया है. समाज निराशा में है और अपना विरोध पार्टी को जताता है. 2024 में जो लोकसभा चुनाव के लिए गाजियाबाद में जो टिकट दिया है उसको बदला जाए और कैंडिडेट बदला जाए. दूसरा एक क्षत्रिय समाज के उपयुक्त उम्मीदवार को लोकसभा गाजियाबाद 2024 का उमीदवार भारतीय जनता पार्टी घोषित करे.

सवाल नंबर 3 : वी. के. सिंह का टिकट कटने का क्या पड़ेगा फर्क ?

वी.के. सिंह 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव 5 लाख से अधिक मार्जिन से जीते. हालांकि अब क्षत्रिय समाज मौजूदा प्रत्याशी को लेकर BJP के समक्ष अपना विरोध दर्ज कर रहा है. गाजियाबाद को BJP का गढ़ माना जाता रहा है. हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्षत्रिय समाज की नाराजगी से जीत के मार्जिन में अंतर पड़ सकता है लेकिन पिछले चुनाव के आंकड़े देखकर ही साफ जाहिर होता है कि गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा की स्थिति मजबूत है.

सवाल नंबर 4: क्या वी.के. सिंह को पता था कि इस बार किसी और को मिल सकता है टिकट ?

24 मार्च 2024 को वीके सिंह ने बताया था कि वो 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. हालांकि कुछ देर बाद बीजेपी ने प्रत्याशियों की तीसरी लिस्ट जारी कर दी. हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि वी.के. सिंह को अंदाजा हो गया था कि इस बार गाजियाबाद से किसी और को टिकट मिल सकता है.

सवाल नंबर 5 : विधायकों और सांसद के बीच खींचतान रही टिकट कटने की वजह ?

राजनीतिक जानकारों का मानना है की गाजियाबाद के सांसद वी.के.सिंह और गाजियाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली पांचों विधानसभाओं के विधायकों के बीच खींचतान रही. दोनों तरफ से एक दूसरे पर कई बार आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते रहे. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले साहिबाबाद विधानसभा से विधायक सुनील शर्मा को उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि संगठन विधायकों के साथ खड़ा नजर आया.

सवाल नंबर 6: टिकट कटने के पीछे एंटी इनकंबेंसी बनी वजह ?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वी.के. सिंह का टिकट कटने के पीछे एंटी इनकंबेंसी भी बताई जाती है. पार्टी के इंटरनल सर्वे में वी.के. सिंह को लेकर पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला. ऐसे में पार्टी ने गाजियाबाद लोकसभा सीट पर प्रत्याशी को बदलने पर विचार किया होगा. जानकारों का कहना है की प्रत्याशी की घोषणा होने से पहले ही वी.के.सिंह को टिकट ना मिलने के संकेत मिल गए थे. ऐसे में उन्होंने लिस्ट आने से पहले ही चुनाव ना लड़ने का ऐलान कर दिया.

गाजियाबाद से भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग 2 अप्रैल को करेंगे नामांकन, जीत के लिए BJP करेगी हवन

संवाददाता

गाजियाबाद: गाजियाबाद लोकसभा चुनाव संचालन समिति की बैठक गुरुवार को हुई. इस दौरान गाजियाबाद लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग ने 2 अप्रैल को नामांकन करने की घोषणा की. भाजपा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा ने बताया कि घंटाघर रामलीला मैदान में लोकसभा क्षेत्र के 31 मंडलों के आधार पर 31 हवन कुंड बनाए जाएंगे. इसमें मंडल अध्यक्षों द्वारा लोकसभा चुनाव की जीत के लिए और प्रधानमंत्री मोदी को तीसरी बार पीएम बनवाने के उद्वेश्य से सुबह 8 बजे हवन पूजा किया जाएगा.

अतुल गर्ग सपरिवार हवन में होंगे शामिल 

शर्मा ने बताया कि 2 अप्रैल को सबसे पहले भाजपा परिवार के साथ लोकसभा प्रत्याशी अतुल गर्ग सपरिवार हवन पूजन में शामिल होंगे. हवन के बाद वह तय संख्या के कार्यकर्ताओं के साथ कलेक्ट्रेट परिसर में अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग के पक्ष में वोट डालने की अपील करने के लिए नेहरू नगर स्थित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे थे.

गाजियाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने डौली शर्मा पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए प्रत्याशी बनाया है. डौली शर्मा सपा कांग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी हैं. हालांकि, बहुजन समाज पार्टी ने गाजियाबाद लोकसभा सीट पर प्रत्याशी की घोषणा अब तक नहीं की है. माना जा रहा है कि दो से तीन दिन के अंदर गाजियाबाद लोकसभा सीट पर बसपा प्रत्याशी की घोषणा कर सकती है.

दिल्ली शराब घोटाला मामले में केजरीवाल की ईडी रिमांड 4 दिन बढ़ी, केजरीवाल ने भी कही अपनी बात

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संवाददाता

नई दिल्ली । दिल्ली शराब घोटाला मामले में ईडी ने रिमांड खत्म होने पर गुरुवार को एक बार फिर अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया, उनकी अगली रिमांड को लेकर हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट में एसवी राजू ने आरोप लगाते हुए कहा है, ‘सीएम अरविंद केजरीवाल डिवाइस तक के पासवर्ड नहीं बता रहे हैं. गोलमोल जवाब दे रहे हैं.’

ईडी ने कोर्टरूम में सुनवाई के दौरान कहा कि जब केजरीवाल से डिवाइस के पासवर्ड पूछे गए तो उन्होंने बताने से मना कर दिया और कहा कि वकीलों से पूछकर बताऊंगा. वहीं उनकी रिमांड की मांग करते हुए ईडी की तरफ से पेश वकील एसवी राजू ने कहा कि अभी केजरीवाल का कुछ और लोगों से आमना-सामना करना है. इसी के आधार पर कोर्ट ने केजरीवाल की 4 दिन की ईडी रिमांड मंजूर कर ली.

अदालत में पेश होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट में आज अपना बयान दिया. केजरीवाल ने कहा कि ये मामला पिछले 2 वर्षों से चल रहा था. ईडी के अफसर काफी सौहार्द पूर्ण ढंग से व्यवहार कर रहे हैं. उन्हें उनके कोई शिकायत नहीं है. किसी भी कोर्ट ने दोषी नहीं ठहराया है. केजरीवाल ने अदालत में बोलते हुए सवाल उठाया कि मुझे क्यों गिरफ्तार किया गया. 31 हजार पन्नों का डाक्यूमेंट सीबीआई ने कोर्ट के सामने रखा है. चार लोगों ने अपने बयानों में मेरा नाम लिया हुआ है. उस ग्राउंड पर मुझे अरेस्ट किया गया. ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने बीच में टोका तो केजरीवाल ने कहा कि पांच मिनट और लूंगा। मुझे बोलने दिया जाए.

मनीष सिसोदिया उनके पास शाम को साढ़े चार बजे मिलने आए. उन्होंने कहा कि एक चैरेटेबल ऑर्गनाइजेशन है जो दिल्ली में जमीन चाहता है. मैंने कहा कि मैं आपकी इस गुहार को लेफ्टिनेंट गवर्नर साहब को फॉरवर्ड कर देता हूं. इसी बीच रेड पड़ी और ईडी ने रेड का इस्तेमाल भी गलत ढंग से किया है. केजरीवाल ने कहा कि वाईएसआरसीपी के सांसद ने अपना बयान बदला. पहले वो मेरे सपोर्ट में थे. फिर उनपर दबाव डालकर बयान दिलवाया गया. फिर उनके बेटे को जेल से रिहा करा दिया गया. ईडी का मिशन सिर्फ उन्हें अरेस्ट करना था, इसलिए उल्टे सीधे बयान अपनी मर्जी से तमाम लोगों से दिलवाए गए. केजरीवाल ने कहा कि 10 फरवरी में मगुंटा अरेस्ट हुए थे. छह बार उनसे बयान लिया गया. सातवीं बार जब उन्होंने अपना बयान बदला तब उनके बेटे को छोड़ दिया गया.

केजरीवाल ने कहा कि शरद रेड्डी ने 9 स्टेटमेंट दिए हैं. लेकिन एक में भी मेरा नाम नहीं है. जिन लोगों की बात ईडी कर रही है उनमें से चार लोगों ने सिर्फ मेरा नाम लिया है, बाकियों ने नहीं। केजरीवाल ने कहा कि हमें रिमांड का सामना करने में कोई दिक्कत नहीं है. इसके साथ ही अरविंद फार्मा का जिक्र करते हुए कहा कि उसकी कॉपी भी हम लेकर आए हैं. ईडी ने सारा ताना-बाना आम आदमी पार्टी की छवि को कलंकित करने के लिए किया है.

ईडी ने केजरीवाल के बयान का विरोध किया

कोर्ट में ईडी ने केजरीवाल के बयान का विरोध किया। ईडी ने कहा कि केजरीवाल रिमांड से जुड़ी कोई भी। ईडी ने कहा कि हवाला के जरिए पैसे गोवा चुनाव में दिया गया। केजरीवाल पूरी सुनवाई को कन्फ्यूज करना चाहते हैं। ईडी ने कहा कि अभी ये मामला जांच के स्टेज पर है। यहां ट्रायल की बात कैसे हो सकती है।

दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के गोवा प्रमुख अमित पालेकर आज ईडी के सामने पेश हुए। आप नेता से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ की गई है। ED ने आज पालेकर, रामाराव वाघ, दत्ता प्रसाद नाइक और भंडारी समाज के प्रेसिडेंट अशोक नाइक को पूछताछ के लिए बुलाया था।

दिल्ली हाईकोर्ट से केजरीवाल को राहत, जनहित याचिका खारिज; बने रहेंगे मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका खारिज हो गई है। दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल को सीएम पद से हटाने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार एवं उपराज्यपाल के प्रधान सचिव से यह बताने को कहा जाए कि किस अधिकार के तहत केजरीवाल मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं। एक वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

कांग्रेस की डॉली शर्मा देंगी बीजेपी के अतुल गर्ग को टक्कर, जातीय मतों में डॉली का पलड़ा भारी

विशेष संवाददाता

गाजियाबाद । गाजियाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस ने भी प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. समाजवादी और कांग्रेस पार्टी के बीच हुए गठबंधन में यह लोकसभा सीट कांग्रेस के हिस्से में आई थी. उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने डॉली शर्मा, सुशांत गोयल और पुष्पा रावत का नाम गाजियाबाद लोकसभा सीट के लिए पार्टी नेतृत्व को भेजा था, जिसके बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा डॉली शर्मा के नाम पर सहमति दी गई है. इस सीट पर डॉली शर्मा का सामना भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग से होगा. वहीं बहुजन समाज पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में भी डॉली शर्मा इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं. उस वक्त उन्हें एक लाख 11 हजार 944 वोट मिले थे. हालांकि वह तीसरे पायदान पर रही थीं. वहीं 2017 में डॉली शर्मा, गाजियाबाद मेयर का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. उस वक्त भाजपा प्रत्याशी आशा शर्मा ने उन्हें 1 लाख 63 हजार 647 वोटों से हराया था. डॉली शर्मा एक राजनीतिक परिवार से आती हैं और उनके पिता नरेंद्र भारद्वाज वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं. मौजूदा समय में डॉली शर्मा कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं और उन्हें प्रियंका गांधी का करीबी भी बताया जाता है.

साल 2019 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने गाजियाबाद लोकसभा सीट पर अपने-अपने प्रत्याशी उतारे थे. समाजवादी पार्टी और बसपा के गठबंधन के टिकट पर सुरेश बंसल और कांग्रेस के टिकट पर डॉली शर्मा मैदान में थी. हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ है. ऐसे में माना जा रहा है की डॉली शर्मा, भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग को कड़ी टक्कर दे सकती हैं. डॉली शर्मा का कहना है कि भले ही पिछले चुनाव में वह जीत दर्ज नहीं कर सकीं, लेकिन उनका जनता के बीच जाने का सिलसिला जारी रहा. वह कहती हैं कि मैं गाजियाबाद की बेटी हूं और यहां तमाम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बखूबी समझती हूं. इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का ही झंडा लहराएगा.

बता दें कि गाजियाबाद में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं और जिले की आबादी 50 लाख से ज्यादा है. यहां की करीब 70 फीसदी आबादी हिंदू है जबकि करीब 25 फीसदी मुस्लिम आबादी है. दलित और मुस्लिम गाजियाबाद में काफी निर्णायक रहा है. जिले में ब्राह्मण, वैश्य, गुर्जर, ठाकुर, पंजाबी और यादव वोटर भी हैं. निर्णायक रहा है. जिले में ब्राह्मण, वैश्य, गुर्जर, ठाकुर, पंजाबी और यादव वोटर भी हैं. गाजियाबाद में लगभग 5.5 लाख मुस्लिम, 4.7 लाख राजपूत, 4.5 लाख ब्राह्मण, 2.5 लाख बनिया, 4.5 लाख अनुसूचित जाति, 1.25 लाख जाट, एक लाख पंजाबी, 75 हजार त्यागी, 70 हजार गूजर और पांच लाख अन्य शहरी समुदाय के मतदाता हैं. 

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