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धनंजय सिंह और श्रीकला रेड्‌डी की अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात….गरमाई सियासत

क्या धनंजय सिंह भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में करेंगे गोलबंदी

सुनील वर्मा

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट का राजनीतिक गणित बदलता दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने यहां से कृपाशंकर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतर कर भाजपा का गेम बदलने की कोशिश की। बहुजन समाज पार्टी ने अपने उम्मीदवार में बदलाव कर दिया है। पहले मायावती ने इस सीट पर धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को चुनावी मैदान में उतारा। श्रीकला ने नामांकन भी दाखिल किया। लेकिन, बाद में उनका टिकट काटकर मायावती ने निवर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव को एक बार फिर टिकट दे दिया। श्याम सिंह यादव बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में दावेदारी पेश कर रहे हैं। वहीं, श्रीकला सिंह लोकसभा चुनाव की रेस से बाहर हो गई हैं। पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने पत्नी का टिकट कटने के बाद बड़ा दावा किया था। उन्होंने कहा कि हम जिसे चाहेंगे, वही जौनपुर जीतेगा। इन दावों के बीच दिल्ली में धनंजय सिंह और श्रीकला रेड्डी की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की खबरें सामने आई है।

डेढ़ घंटे चली तीनों नेताओं की मुलाकात

पूर्व सांसद धनंजय सिंह, श्रीकला रेड्डी और अमित शाह की मुलाकात करीब डेढ़ घंटे चलने की बात सामने आई है। जानकारी मिल रही है कि शनिवार शाम दिल्ली में तीनों नेताओं की मुलाकात हुई। डेढ़ घंटे चली बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला भी मौजूद रहीं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के मैदान में जौनपुर सीट का गणित भाजपा के पक्ष में बनाने की कवायद के बीच यह मुलाकात अहम है।

धनंजय सिंह भाजपा उम्मीदवार कृपाशंकर सिंह के पक्ष में वोटरों की गोलबंदी करते दिख सकते हैं। इससे पहले बेंगलुरु में अमित शाह और प्रतापगढ़ के बड़े नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की मुलाकात की खबरें भी खासी चर्चा में रही थी। पिछले दिनों में यूपी के दो बड़े राजपूत नेताओं के साथ मुलाकात ने प्रदेश के राजनीतिक मैदान गर्मी ला दी है।

जौनपुर को बड़ा संदेश देने का प्रयास

जौनपुर लोकसभा सीट पर धनंजय सिंह की पकड़ बनी हुई दिखती है। उन्होंने पत्नी श्रीकला रेड्डी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवा दिया। वहीं, वह खुद चुनावी मैदान में उतरना चाहते थे, लेकिन नमामि गंगे परियोजना के इंजीनियर केस में उन्हें 7 साल की सजा सुनाई गई। इस कारण वह चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं। अब धनंजय सिंह का परिवार चुनावी मैदान से बाहर हुआ तो वे अपनी राजनीतिक धारा को तलाशते दिख रहे हैं। अमित शाह से मुलाकात की कई मायने निकाले जा रहे हैं।

दूर तक संदेश देने की कोशिश

धनंजय सिंह पर कई केस चल रहे हैं। ऐसे में धनंजय सिंह और अमित शाह की मुलाकात को कानूनी पचड़े से दूर रहने की कवायद के तौर पर भी देखा रहा है। साथ ही, जौनपुर की राजनीतिक जमीन पर एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी राजपूत बिरादरी के बीच असंतोष को दूर करने की कोशिशें लगातार कर रही है। पहले राजा भैया और अब धनंजय सिंह के साथ मुलाकातों के बीच चर्चा यह है कि पार्टी किसी भी स्थिति में एक बड़े वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहती है। ऐसे में इस मुलाकात के मायने काफी बड़े हैं। संदेश दूर तक देने का प्रयास है कि पार्टी इस वर्ग के साथ मजबूती के साथ खड़ी है।

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