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पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने हटाए पूर्व कमिश्नर राकेश अस्‍थाना के कार्यकाल में लगे 40 एसएचओ

सुनील वर्मा

नई दिल्‍ली। पूर्व कमिश्नर राकेश अस्‍थाना को साइड लइन लगे इंसपेक्‍टर्स को एसएचओ बनाने का फॉमूला आखिर फेल हो गया। दिल्‍ली पुलिस के 40 एसएचओ को थाना चलाने में असफल रहने की गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर इस महीने थाने से हटा दिया गया है। अनुभवहीनता के कारण थानों को संचालन करने में असफल साबित हुए इन इंसपेक्‍टर्स को फिर से एसएचओ बनने की आस थी।

बता दें कि पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा के कार्यकाल में लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली पुलिस में  सबसे बड़े फेरबदल को काम लगभग पूरा हो चुका है। इस महीने में लॉ एंड ऑर्डर कायम करने में अहम भूमिका निभाने वाले करीब 126 एसएचओ के फेरबदल का काम मंगलवार तक पूरा हो चुका है। इस महीने 126 इंस्पेक्टरों को इधर से उधर किया गया है। इनमें से 34 एसएचओ दोबारा से थाना प्रभारी बनने में सफल रहे है, लेकिन 40 एसएचओ रहे इंस्पेक्टर इससे वंचित हो गए। इनमें ज्‍यादातर ऐसे इंसपेक्‍टर्स थे जो पूर्व आयुक्‍त राकेश अस्‍थाना के कार्यकाल में पहली बार एसएचओ बने थे। इन सभी को  एक थाने में दो साल से ज्यादा होने के बाद फिर से मौके का इंतजार था। लेकिन दोबारा मौका दिए जाने से पहले पुलिस मुख्‍यालय ने एसएचओ रहे इन इंस्पेक्टरों की ‘गोपनीय रिपोर्ट’ ली थी, जिसमें ये सभी ‘फेल’ पाए गए। इसलिए इनकी दोबारा ताजपोशी नहीं की गई।

कॉन्फिडेंसल रिपोर्ट में फेल हुए 40 इंसपेक्‍टर

बहरहाल, 40 इंस्पेक्टर को एसएचओ की सीट से हटाकर साइड लाइन कर दिया गया। बताया गया है  कि हेडक्वॉर्टर लेवल पर जिलों के डीसीपी से समय-समय पर सभी एसएचओ के कामकाज का रिव्यू लिया गया। ये ‘गोपनीय रिपोर्ट’ थी,  जिसके आधार पर एसएचओ की लिस्ट तैयार की गई। जिलों के डीसीपी ने जिन एसएचओ की कार्यशैली या विशेषज्ञता को थानों के बजाय दूसरे यूनिट्स के लिए उम्दा बताया,  वो दोबारा थाना पाने में विफल रहे। हालांकि तीन एसएचओ ऐसे भी थे जो एसीपी स्‍केल में आ चुके हैं उन्‍हें दोबारा एसएचओ लगाया गया है क्योंकि गोपनीय रिपोर्ट कार्ड में ये न सिर्फ पास हुए बल्कि इनका परफॉरमेंस बेहतरीन था ।

गोपनीय रिपोर्ट का क्‍या काम होता है

गोपनीय रिपोर्ट एक ऐसी रिपोर्ट होती है जो पुलिस विभाग द्वारा अपने कर्मचारियों के प्रदर्शन और व्यवहार के बारे में तैयार की जाती है। यह रिपोर्ट आमतौर पर एक पुलिस अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा तैयार की जाती है, और इसमें अधिकारी के कार्यकाल के दौरान के प्रदर्शन, कार्यकुशलता, अनुशासन, और व्यवहार के बारे में जानकारी होती है । गोपनीय रिपोर्ट का इस्तेमाल पुलिस विभाग द्वारा अपने कर्मचारियों के मूल्यांकन और प्रमोशन के लिए किया जाता है। एक पुलिस अधिकारी को एसएचओ  बनने के लिए  उसे एक अच्छी गोपनीय रिपोर्ट प्राप्त करनी होती है।

गणतंत्र दिवस के सफल आयोजन के तुरंत बाद दिल्ली पुलिस की तरफ से अब तक दो बार में 126 इंसपेक्‍टर्स के इंटरव्‍यू लिए गए इनमें से 78 इंस्पेक्टरों को एसएचओ बनाए जाने की लिस्ट जारी की गई। इसमें 9 मेट्रो,  दो साइबर,  दो आईजीआई एयरपोर्ट और एक रेलवे थाने के प्रभारी हैं। इनके अलावा 64 को लॉ एंड ऑर्डर वाले पुलिस स्टेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी तरह कुछ एसएचओ को लोकल थानों से मेट्रो और साइबर पुलिस स्टेशन भेजा गया है, जबकि कुछ को यहां से लोकल थानों की जिम्मेदारी दी गई है। कुल मिलाकर 78 एसएचओ की लिस्ट में 34 इंस्पेक्टर ऐसे रहे, जिन्हें फिर से थाने का प्रभारी बनाया गया है।

इंटरव्यू से हुई 44 की ताजपोशी

जनवरी के पहले हफ्ते में 100 से ज्यादा इंस्पेक्टरों के इंटरव्यू हुए थे। सलेक्ट कमेटी ने 125 में से 87.5 या उससे ज्यादा नंबर लाने वाले इंस्पेक्टरों की लिस्ट तैयार की थी। इनमें से केवल 44 को एसएचओ बनाया गया है। सूत्रों का कहना है कि एसएचओ बनने की आस लगाए इंस्पेक्टरों को अब आम चुनाव खत्म होने का इंतजार करना होगा। अगला फेरबदल इसके बाद ही होने की उम्मीद है, क्योंकि कुछ एसएचओ का कार्यकाल तब तक दो साल का हो चुका होगा।

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