संवददाता
नई दिल्ली। वाट्सएप प्रोफाइल पर कालेज के दोस्त की फोटो लगाकर सोशल मीडिया के जरिए संपर्क साधकर पीडित से बहन के इलाज का बहाना कर महाराष्ट्र के एक युवक ने 75 हजार ठग लिए। बाद में पीडित शिकायत पर रोहिणी साइबर पुलिस स्टेशन की पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। जालसाज की गिरफ्तारी से साइबर अपराध के 4 मामलों को सुलझाया गया है, जिसमें आरोपी व्यक्ति ने पीड़ित के परिचित (दोस्त) होने का ढोंग किया और मदद के बहाने धोखाधड़ी से पैसे ऐंठ लिए।
रोहिणी जिले के डीसीपी डॉ. गुर ईकबाल सिंह सिद्धू ने बताया कि आरोपी विशाल लोढ़ा (31) की गिरफ्तारी के साथ रोहिणी जिले की साइबर थाना पुलिस ने सेक्टर-15, रोहिणी में रहने वाले अशोक कुमार अरोड़ा से 75,000 रूपए की धोखाधड़ी केस की गुत्थी सुलझा ली है। अशोक अरोड़ा संबंध ने अपने साथ हुई ठगी की बाबत राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि 12 मार्च को उसे एक अज्ञात मोबाइल नंबर से एक व्हाट्सएप संदेश प्राप्त हुआ जिसे भेजने वाले ने खुद का परिचय उनके कॉलेज के दोस्त के बारे में दिया। वह दोस्त इन दिनों में सिंगापुर में है। मैसेज में लिखा था कि भारत में उनकी बहन का ऑपरेशन चल रहा है और इसके लिए उन्हें कुछ पैसों की जरूरत है। शिकायत में बताया गया कि नेटवर्क की समस्या के कारण वह अपने परिवार को पैसे ट्रांसफर करने में असमर्थ हैं।
शिकायतकर्ता अशोक अरोड़ा के मुताबिक उन्होंने व्हाट्सएप पर प्रोफाइल पिक्चर देखी तो वाकई प्रोफाइल पिक्चर उनके कॉलेज के दोस्त की ही थी। वाट़सएप चैट पर कुछ औपचारिक छोटी-छोटी बातों के बाद वाटंसएप संदेश भेजने वाले व्यक्ति ने अरोडा को एक बैंक खाते की जानकारी दे दी। जिसके बाद शिकायतकर्ता ने दोस्त की मदद करने की नीयत से पहले 26000 और उसके बाद 49000 रूपए उस खाते में ट्रांसफर कर दिए। अपने खाते से दिए गए खाते में रूपए ट्रांसफर करने बाद जब अरोडा पेंमेट ट्रांसफर की पुष्टि करने के लिए कथित दोस्त को वाटसएप नंबर पर कॉल किया तो कोई जवाब नहीं मिला। कई बार ऐसा करने पर भी जब कोई जवाब नहीं मिला तो अरोड़ा ने अपने दोस्त का पुराना नंबर ढूंढकर उस पर कॉल किया और दोस्त को बताया कि उसने उसके खाते में रकम ट्रांसफर कर दी है। दोस्त इस बात पर चौंक गया। अरोडा के दोस्त ने बताया कि उसने न तो उसे फोन किया ही नहीं और न ही पैसे की मांग की। तब अरोडा का पता चला कि दोस्त की आड में किसी ने उनके साथ ठगी की है।
उन्होंने इसकी शिकायत राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर की। जो रोहिणी जिले के साइबर थाने में अग्रसारित की दी गई और मामला दर्ज कर जांच जांच शुरू की गई।
डीसीपी के मुमताबिक मामले को सुलझाने और अपराधियों को पकड़ने के लिए एसएचओ साइबर पुलिस स्टेशन अजय दलाल की निगरानी में एसआई भूपेंद्र, हैड कांस्टेबल सुशील, अमित और कांस्टेबल नरेंद्र की टीम गठित की गई।
जांच के दौरान पुलिस टीम ने मनी ट्रेल के डिटेल निकाली तो पता चला कि कथित पैसा एनएसडीएल बैंक में स्थानांतरित किया गया था, जो एक विशाल लोढ़ा निवासी बीड, महाराष्ट्र के नाम पर था। जब उस पते पर पुलिस टीम भेजी गई तो पता चला कि वह पिछले कई सालों से अपने गांव नहीं आया है। इसके बाद पुलिस ने तकनीकी विश्लेषण के आधार पर अहमदाबाद, गोवा और हैदराबाद में उसके होंने की जानकरी जुटाकर वहां छापे मारे तो आखिरकार टीम ने हैदराबाद में आरोपी विशाल लोढ़ा को पकड लिया।
गिरफ्तारी के बाद विशाल ने खुलासा किया कि उसे जुआ खेलने की आदत है और वह कैसीनो में जुआ खेलने के लिए गोवा आता था। जुए के दौरान उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा जिसके कारण उसने परिवार छोड दिया। कैसीनो में उसकी दोस्ती कई दूसरे जुआरियों के साथ हो गई थी। उन्हीं में से एक जुआरी दोस्त ने उसे लोगों का दोस्त बताकर उनसे धोखाधंडी से रकम ऐंठने का सुझाव दिया। जिसके बाद आरोपी ने फर्जी पहचान से नंबर लेकर उन पर व्हाट्सएप लोगों की तस्वीरें लगाकर खुद को उनका परिचित बताकर ठगी करना शुरू कर दिया। वह सबसे पहले सोशल मीडिया के जरिए अपने शिकार व उनके परिचितों की लिसट बनाता फिर उनके बारे में सोशल मीडिया से जानकारी जुटाकर अपने शिकार को फोन करता और उनसे अपने बहन या किसी रिश्तेदार की बीमारी या उनकी मदद के बहाने बैंक खाते में यह कहकर रकम ट्रांसफर करवा लेता कि वह एक दो दिन में पैसा उनके खाते में ट्रांसफर कर देगा।
विशाल लोढ़ा बीड, महाराष्ट्र का रहने वाला है और उसने बैचलर ऑफ कंप्यूटर साइंस में दो साल तक की पढ़ाई की है। पुलिस टीम ने उसके कब्जे से एक मोबाइल फोन व सिमकार्ड बरामद किया है जिसे उसने ठगी में इस्तेमाल किया था। फिलहाल आरोपी से इसी तरह की गई ठगी के तीन मामलों का पता चला है।