संवाददाता
गाजियाबाद। भाजपा में कार्यकर्ता और पदाधिकारियों की इतनी भीड़ हो गई है कि संगठन में बड़े पदों पर बैठे नेताओं को भी पदाधिकारियों का हिसाब किताब रखना मुश्किल हो गया है। यही कारण है जिलाध्यक्ष से लेकर पश्चिमी क्षेत्र के अध्यक्ष तक इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति में हैं कि पार्टी का कौन सा नेता किस पद पर रहा है। निकाय चुनाव के मतदान से पहले भाजपा में बागियों के खिलाफ कार्यवाही का दौर चल रहा है। शहर से लेकर मुरादनगर, निवाड़ी, पतला और डासना नगर पंचायत में भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों के सामने पार्टी के बागी प्रत्याशियों के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई शुरू हो गई है।
जिले में अब तक विभिन्न पदों पर नियुक्त कुल तीस पदाधिकारियों व पूर्व पार्षदों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है। लेकिन मुरादनगर में मुरादनगर भाजपा के एक बागी राधे कृष्ण अरोड़ा को खिलाफ क्षेत्रीय अध्यक्ष के कार्यालय से निष्कासन पत्र जारी हुआ है उसने पार्टी की बुरी तरह किरकिरी करा दी है।
क्षेत्रीय अध्यक्ष मेरठ सतेन्द्र शिशोदिया के कार्यालय से मंगलवार को जारी हुए पत्र में कहा गया है कि निकाय चुनाव 2023 में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ लड़ने/लड़वाने एवं पार्टी विरोधी गतिविधियों में संहलप्त होंने के कारण आपकों प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के निर्देशानुसार छह साल के लिए भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित किया जाता है। निष्कासित करने वाले नेता की जगह राधे कृष्ण अरोडा, पूर्व चेयरमैन, नगर पालिका मुरादनगर का नाम लिखा है।
इस निष्कासन पत्र के बाद कार्यकर्ताओं से लेकर जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है, क्योंकि राधे कृष्ण अरोडा मुरादनगर में भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता व नेता तो हैं लेकिन वे कभी नगर पालिका के चेयरमैन नहीं रहे अलबत्ता उनकी पत्नी रेखा अरोडा अवश्य मुरादनगर पालिका की पूर्व चेयरमैन रही है। हां आम बोल चाल व अखबारों की सुर्खियों में राधे कृष्ण अरोडा का चेयरमैन पति के नाम से जरूर बुलाया जाता रहा है। ऐसे में एक मामूली कार्यकर्ता को पार्टी से निष्कासित करने के फैंसले पर सवाल उठ रहे हैं। जबकि वास्तव में निष्कासित करने का पत्र तो पार्टी से अगावत करने वाली उनकी पत्नी के खिलाफ जारी होना चाहिए था। राधे कृष्ण अरोड़ा की पूर्व चेयरमैन रेखा अरोड़ा भाजपा से बगावत कर पार्टी की अधिकृत उम्मीदवार रमा देवी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लडकर कडी टक्कर दे रही है।
क्षेत्रीय अध्यक्ष कार्यालय से की गई निलंबन की इस कार्रवाई से तो साफ है कि पार्टी के पास खुद इस बात को लेखा जोखा नहीं है कि उनका कौन सा कार्यकर्ता किस पद रहा है और किस पद पर नहीं।