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राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से मिली पक्‍की जमानत, सेशन अदालत में सजा के खिलाफ अपील दाखिल

नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत के सेशंस कोर्ट से जमानत मिल गई है. इस मामले में अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी. राहुल गांधी ‘मोदी सरनेम’ को लेकर मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ सोमवार को गुजरात के सूरत स्थित सत्र अदालत में अपील दाखिल की थी. इससे पहले कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी उनसे मिलने राहुल के आवास पर पहुंचीं. वहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी एक ही गाड़ी में सवार होकर एयरपोर्ट के लिए निकले और वहां से फ्लाइट लेकर सूरत पहुंचे.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी दोपहर में बहन प्रियंका गांधी वाद्रा के साथ एक उड़ान से सूरत पहुंचे और निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने को लेकर सत्र अदालत के लिए रवाना हुए। राहुल को पिछले महीने यहां की निचली अदालत ने दोषी ठहराया था और दो साल के लिए जेल की सजा सुनाई थी।

दो भगोड़े कारोबारियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘उपनाम’ के बारे में अपनी टिप्पणी में राहुल गांधी ने कहा था कि सारे ‘चोरों’ के ‘उपनाम’ मोदी हैं। निचली अदालत ने फैसले के खिलाफ अपील के लिए उनकी सजा एक महीने के लिए निलंबित कर दी थी। एक दिन बाद, उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

अदालत ने 52 वर्षीय गांधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 (किसी व्यक्ति की आपराधिक मानहानि के दोषी व्यक्ति के लिए सजा) के तहत दोषी ठहराया था। हालांकि, अदालत ने गांधी को उसी दिन जमानत भी दे दी थी और उनकी सजा के अमल पर 30 दिन के लिए रोक लगा दी थी, ताकि वह ऊपरी अदालत में अपील दाखिल कर सकें। सूरत की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद, लोकसभा सचिवालय ने 24 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था।

लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद गांधी आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, बशर्ते कोई उच्च अदालत उनकी दोषसिद्धि तथा सजा पर रोक न लगा दे। राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उस टिप्पणी को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी जिसमें उन्होंने कहा था, ‘‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?”

राहुल गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के मुताबिक, दो साल की जेल की सजा मिलने पर सांसद या विधायक संसद या विधानसभा की अपनी सदस्यता से, दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य हो जाता है।

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