मदद करने की जगह नजफगढ़ पुलिस ने पीडित को कानूनी चक्व्यूह में उलझाया
प्लॉट कब्जाने वाले भूमाफिया के खिलाफ पहले से दर्ज है जमीन हडपने के मामले
सुनील वर्मा
नई दिल्ली । द्वारका जिला भूमाफियाओं के लिए स्वर्ग बन गया है। इलाके के छावला में लोगों द्वारा खून पसीने की गाढी कमाई से सालों पहले खरीदी गई खाली पडी जमीनों पर भूमाफिया जाली दस्तावेज बनाकर कब्जे कर रहे हैं। हैरानी की बात है कि पुलिस भूमि कब्जे के मामलों को सिविल मामला बताकर पीडितों को ऐसे कानूनी चक्रव्यूह में फंसा देती है कि लोगों का ना सिर्फ दिल्ली पुलिस बल्कि कानू से भी भरोसा उठ रहा है।
उत्तराखंड के मूल निवासी और दिल्ली में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता सुनील नेगी भी पिछले कई महीनों से न्याय के लिए दर-दर भटक रहे ऐसे ही एक पीडित हैं। एक ईमानदार, पारदर्शिता में विश्वास रखने वाला पत्रकार, जिसका पूरा जीवन गरीबों, वंचितों और समाज के निचले तबके के लोगों को न्याय दिलाने के लिए समर्पित रहा, इन दिनों अवैध भू-माफियाओं द्वारा जमीन हड़पने का शिकार है। पिछले कई महीनों से कई कोशिशों के बावजूद भी आज तक दिल्ली पुलिस से उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।
सुनील नेगी के पिता टी.एस. नेगी, जो भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए थे, उन्होंने श्याम विहार फेस 1, शिव मंदिर के पास, नजफगढ़ में प्लॉट नंबर 26, खसरा नंबर 644 में 150 वर्ग गज जमीन नवम्बर 1999 में कुन्दन राम टम्टा से से खरीदी थी। टी एस नेगी नियमित रूप से उक्त भूखण्ड की जाँच के लिये वहाँ जाते रहे। नेगी ने भूखंड पर एक चारदीवारी भी बनवाई थी जो धीरे-धीरे ख़त्म हो गई। लेकिन अचानक खसरा नंबर 644 में श्याम विहार निवासी कुख्यात भूमाफिआ पवन कुमार ने जाली दस्तावेज बनाकर उस पर कब्जा कर लिया। हालांकि छावला पुलिस के रिकार्ड में पवन कुमार पहले से ही ज्ञात भूमाफिया है। उसके खिलाफ रोशन लाल की पत्नी शीला देवी ने भी छावला पुलिस स्टेशन में अपनी जमीन हड़पने का मामला 8 नवंबर 2020 को पहले से दर्ज कराया हुआ है !
श्याम विहार निवासी मोहन कुमार की भी लिखित शिकायत है कि सुनील नेगी की जमीन के टुकड़े को हड़पने के लिए भूमाफिआ पवन कुमार ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए हैं और उक्त जमीन पर अपना हक जता रहा है। यहां तक कि छावला थाने की पुलिस और बीट अधिकारी मीना भी इस पेशेवर भूमाफिआ पवन कुमार और उसकी पत्नी की कार्यप्रणाली से अच्छी तरह परिचित हैं।
सुनील नेगी ने अपने पिता की जमीन पर हुए कब्जे के बाद 30 सितंबर 2023 को नजफगढ पुलिस स्टेशन में एफआईआर कराई थी और एक अन्य शिकायत तत्कालीन डीसीपी द्वारका आईपीएस हर्षवर्द्धन के कार्यालय में दी थी । इन शिकायतों की प्रतियां शिकायतकर्ता के पास हैं।
शिकायतकर्ता ने शिकायत की जांच करने वाले जांच अधिकारी एसआई अनुज को कई बार फोन किया और नजफगढ थाने के एसएचओ के साथ उनसे मुलाकात भी की लेकिन आज तक उन्हें पुलिस से कोई इंसाफ नहीं मिला है।
शिकायतकर्ता सुनील नेगी पुत्र स्वर्गीय टी.एस. नेगी ने आईओ अनुज को सभी आवश्यक ज़ेरॉक्स दस्तावेज़ सौंपे और यह अनुरोध भी किया है कि दोनों पक्षों के दस्तावेज़ों को फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा सत्यापित किया जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसके हस्ताक्षर असली और नकली हैं।
पूरे मामले की सच्चाई यह है कि जांच कछुआ गति से चल रही है और साढ़े तीन महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आज तक आईओ की ओर से एक बार को छोड़कर कोई कॉल नहीं आई है। दूसरी ओर भूमाफिया पवन इस भूखंड को कुछ पार्टियों को बेचने की कोशिश कर रहा है, उन लोगों ने कथित तौर पर भूखंड का दौरा भी किया है।
शिकायतकर्ता सुनील नेगी ने कुछ महीने पहले जब पवन कुमार और उसकी पत्नी के इस अवैध कृत्य के बारे में टेलीफोन पर जांच अधिकारी एसआई अनुज को सूचित किया था, तो उन्होंने मदद करने की बजाय टका सा जवाब दिया कि उसे प्रतिबंधित करना हमारी जिम्मेदारी नहीं है।
कितनी चौंकाने वाली बात है कि पवन कुमार और उसकी पत्नी के खिलाफ छावला पुलिस स्टेशन में जब पहले से ही लिखित शिकायतें दर्ज हैं तो वह किसकी शह से एक के बाद एक जमीन कब्जा करने के कारनामों को अंजाम दे रहा है।
जाली दस्तावेज तैयार करके अवैध रूप से जमीन हड़पने का यह एकमात्र मामला नहीं है, कथित तौर पर द्वारका इलाके में सभी थाना क्षेत्र के लगभग सभी थानों में ऐसी शिकायतों की भरमार है। लेकिन ज्यादातर मामलों में शिकायतकर्ताओं को पुलिस से निराशा ही हाथ लगी है।
शिकायतकर्ता 65 वर्षीय सुनील नेगी, जो एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और दो दशक पहले ऑपरेशन किए गए हृदय रोगी हैं, अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे भूख हड़ताल पर बैठने के लिए मजबूर होंगे, इस तथ्य के बावजूद कि वह गंभीर हृदय रोग की दवा पर जीवित हैं। वह द्वारका पुलिस स्टेशन के द्वारका पुलिस उपायुक्त और छावला पुलिस स्टेशन के SHO से सभी दस्तावेजों को फोरेंसिक विशेषज्ञों के माध्यम से कानूनी रूप से सत्यापित कराने का अनुरोध किया जा चुका हो लेकिन अभी तक इसमें कोई कार्यवाही नहीं हुई है ।
पवन कुमार और उनकी पत्नी वास्तविक दस्तावेजों में जालसाजी कर रहे हैं और नवंबर 1999 में शिकायतकर्ता के पिता के स्वामित्व वाले प्लॉट पर अवैध अधिकार का दावा कर रहे हैं, इसे 2022-23 में खरीदने का दावा कर रहे हैं.
कुन्दन राम टम्टा से शिकायतकर्ता के पिता इसे नवंबर 1999 में ही खरीद चुके हैं । वरिष्ठ पत्रकार सुनील का कहना है कि इसे जल्द से जल्द हल करने की जरूरत है क्योंकि न्याय में देरी न्याय न मिलने जैसा है।