नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है कि उसके लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ लिया है.
NASA के दावे के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा उसके क्रैश साइट से 750 मीटर दूर जाकर मिला. मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2×2 पिक्सल के हैं. NASA ने सोमवार की रात करीब 1:30 बजे विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर जारी की और बताया कि उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े दिखे हैं. NASA के दावे के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा उसके क्रैश साइट से 750 मीटर दूर जाकर मिला. मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2×2 पिक्सल के हैं. NASA ने सोमवार की रात करीब 1:30 बजे विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर जारी की और बताया कि उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े दिखे हैं.
चेन्नई के इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यम मिला मलबा
नासा ने इस काम काे एक भारतीय वैज्ञानिक शनमुगा सुब्रमण्यम की मदद से अंजाम दिया गया है. चांद की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा ढूंढ़ने वाले चेन्नई के इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यम ने कहा कि उन्होंने नासा और इसरो दोनों को ही इस बारे में जानकारी दी थी. लेकिन नासा ने ही उनके अलर्ट का जवाब दिया था. नासा ने अपने ट्वीट में शनमुगा सुब्रमण्यम को क्रेडिट भी दिया है.
हर रोज सात घंटे काम करता था
मीडिया से बात करते हुए शनमुगा सुब्रमण्यम ने कहा, ‘मैंने लैंडर का मलबा ढूंढ़ा और इसके बारे में नासा और इसरो दोनों को जानकारी दी. केवल नासा ने इस पर ध्यान दिया. मुझे बहुत दुख है कि विक्रम लैंड नहीं कर पाया.’ शनमुगा सुब्रमण्यम ने केवल लैपटॉप और इंटरनेट कनेक्शन के जरिए ही इसे खोज निकाला है. शनमुगा सुब्रमण्यम का कहना है कि वह लैंडर को खोज निकालने के अपने मिशन के लिए हर रोज सात घंटे काम करता था. सुब्रमण्यम ने कहा, ‘मैंने विक्रम लैंडर का संभावित मार्ग खोजने में कड़ी मेहनत की. मैं बहुत खुश हूं. बहुत मेहनत करनी पड़ी. मुझे हमेशा से अंतरिक्ष विज्ञान का शौक रहा है.’