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गाजियाबाद में वकीलों ने बार एसोसिएशन से की बगावत , कोर्ट जाने के रास्ते रोके, धरने पर बैठे हैं अधिवक्ता

विशेष संवाददाता

गाजियाबाद। 29 अक्टूबर को गाजियाबाद कोर्ट में वकीलों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर वकीलों का रोष जारी है।वकीलों में रोष के चलते बुधवार को भी कोर्ट में काम नहीं हो सका और वादकारी बैरंग लौटने को मजबूर दिखे। सोमवार को बार एसोसिएशन की ओर से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आश्वासन पर आंदोलन को स्थगित करने का प्रस्ताव पास किया गया था लेकिन वकीलों में इस फैसले को लेकर उसी दिन से रोष है। बुधवार को अधिवक्ता धरना स्थल पर बैठ गए और कोर्ट जाने के रास्ते बंद कर दिए गए। धरने से बार एसोसिएशन ने खुद को अलग रखा हुआ है।

कल फूंका था बार अध्यक्ष का पुतला

मंगलवार को बार एसोसिएशन ने वरिष्ठ अधिवक्ता की मृत्यु हो जाने पर काम से विरत रहने का ऐलान किया था, इसके साथ ही एसोसिएशन की ओर से पास किए गए प्रस्ताव में बुधवार से काम शुरू करने की बात कही गई थी, लेकिन आंदोलन स्थगन के फैसले पर अधिवक्ताओं ने रोष जाहिर करते हुए दोपहर बाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा के पुतले का दहन किया था।

शबनम खान हड़ताल स्थगन के विरोध में

बार कार्यकारिणी की उपाध्यक्ष अधिवक्ता शबनम खान बुधवार को हड़ताल स्थगन के फैसले के विरोध में उतर आईं। उन्होंने बार भी नाराज अधिवक्ताओं के साथ आंदोलन स्थगित करने के फैसले पर विरोध जताया। धरना स्थल पर बैठे अधिवक्ताओं की ओर से लगातार बार एसोसिएशन से अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए जोर दिया जा रहा है। वकीलों की इस लड़ाई के चलते बुधवार को भी कोर्ट में काम नहीं हो सका।

क्या है पूरा मामला

29 अक्टूबर को गाजियाबाद जिला जज अनिल कुमार की कोर्ट में वकीलों के साथ हुई तीखी नोंकझोक के बाद पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज कर दिया गया था। कोर्ट रूम में लाठीचार्ज के बाद घटना के विरोध में वकील चार नवंबर से बेमियादी हड़ताल पर चले गए थे। वकीलों का यह आंदोलन वेस्ट यूपी के बाद पूरे सूबे में शुरू हो गया था। आंदोलन हाईकोर्ट बैंच संघर्ष समिति के नेतृत्व में चल रहा है और वकीलों ने आंदोलन जारी रहने तक समिति के अधिकार बार एसोसिएशन गाजियाबाद को दे दिए थे।

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