पूर्व cm जयराम ठाकुर समेत 15 BJP विधायक विधानसभा से सस्पैंड
विशेष संवाददाता
शिमला। हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के बाद सियासत में मानो भूचाल आ गया है। सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। भाजपा को अंदेशा है कि विधानसभा सत्र में सभी विपक्षी विधायकों को निलंबित किया जा सकता है। वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस में विक्रमादित्य ने सीएम सुक्खू पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली से कई विधायक नाराज चल रहे थे। हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा सीट पर मंगलवार (27 फरवरी) को चुनाव हुआ था। इसके परिणाम ने हर किसी को चौंका दिया। चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन और कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को बराबरी के वोट मिले। वहीं, कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। विधानसभा में बीजेपी के केवल 25 विधायक होने के बावजूद ऐसा उलटफेर हुआ कि अंत में कांग्रेस को हार माननी ही पड़ी।
क्रोस वोटिंग के बाद बीजेपी उम्मीदवार के मतों की संख्या बढ़कर 34 हो गई। दोनों ही दलों के पास 34-34 का आंकड़ा हो गया और पर्ची डालने के बाद बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष वर्धन की जीत हुई।
हिमाचल में कुल 68 विधायकों ने मतदान किया था। कांग्रेस के पास 40 विधायक थे, लेकिन इनमें से छह ने क्रॉस वोटिंग की। इसके बाद में कांग्रेस के पास 34 विधायक रह गए।
विक्रमादित्य सिंह ने सीएम सुक्खू पर साधा निशाना कैबिनेट से दिया इस्तीफा
हिमाचल प्रदेश के राज्य लोक निर्माण मंत्री और कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने राज्यसभा चुनाव परिणाम के बाद मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया है। विक्रमादित्य सिंह ने हिमाचल प्रदेश प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उन्होंने कहा,”वीरभद्र सिंह ने भी एथिक्स की राजनीति की है। हमारी आवाज व अस्तित्व को दबाने का प्रयास हुआ तो टॉलरेट नहीं होगा। हाई कमान, प्रियंका वाड्रा से बात हुई है। जनता की भावनाओं को अवगत करवाया गया है।”
उन्होंने कहा, हिमाचल प्रदेश में पिछले 2-3 दिनों में जो घटनाक्रम हुआ, वह लोकतंत्र में चिंता का विषय है। यह इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि राज्य की 70 लाख जनता ने सरकार चुनी और उसके कांग्रेस पार्टी को जनादेश दी है।”
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वीरभद्र सिंह के नाम पर चुनाव लड़ा। मतदान से एक दिन पूर्व भी उनके नाम का विज्ञापन छपा। उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली पर कुछ नहीं कहा लेकिन बोले कि मेरे लिए पद महत्वपूर्ण नहीं। विधायकों की आवाज दबाने की कोशिश हुई। गवर्नेंस सामने हैं। ये मुद्दा पार्टी हाई कमान के समक्ष उठाया गया जिस का संज्ञान लेना चाहिए था लेकिन नहीं लिया। उन्होंने कहा, मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि मौजूदा परिस्थितियों में मेरा सरकार का हिस्सा बने रहना सही नहीं है। इसलिए मैंने फैसला किया है कि मैं मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे रहा हूं।”
उन्होंने कहा कि हम क्रिटिकल जंक्शन पर है। युवा व नोजवान साथियों ने सरकार बनाने में सहयोग दिया। पार्टी हाई कमान ने जिम्मेदारी दी। क्या हमने उनके वायदों को पूरा किया। समय पर वादा पूरा करना जिम्मेदारी हैं। जिस तरह का घटना क्रम दुर्भाग्यपूर्ण है।
जयराम ठाकुर सहित बीजेपी के 15 विधायक सस्पेंड
राज्यसभा चुनाव परिणाम के एक दिन बाद विधान सभा सत्र की शुरुआत होते ही बीजेपी के 15 विधायक सस्पेंड किए गए। जयराम ठाकुर सहित भाजपा के 15 विधायक विधानसभा से निष्काषित किए गए। सदन में नारेबाजी शुरू करने की वजह से इन्हें निष्कासित किया गया। अध्यक्ष की कुर्सी पर जाकर फेंकें कागज व किताबे फेंके। विपक्ष के 15 भाजपा विधायकों में जयराम ठाकुर, विपिन सिंह परमार, रणधीर शर्मा, लोकेंद्र कुमार, विनोद कुमार, हंस राज, जनक राज, बलबीर वर्मा, त्रिलोक जम्वाल, सुरेंद्र शोरी, दीप राज, पूरन ठाकुर, इंदर सिंह गांधी, दिलीप ठाकुर और इंदर शामिल हैं। सिंह को आज विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में कथित तौर पर नारेबाजी और दुर्व्यवहार करने के आरोप में विधानसभा अध्यक्ष ने निष्कासित किया है।
अनुराग ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर साधा निशाना
हिमाचल प्रदेश राज्यसभा चुनाव परिणाम और क्रॉस वोटिंग पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा,कांग्रेस ने बड़े-बड़े और फर्जी वादे करके हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाई। सरकार बनने के बाद उनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया। जब कांग्रेस के विधायक अपने क्षेत्र में गए तो लोगों ने उनसे सवाल पूछा। उनके पास देने के लिए कोई जवाब नहीं था। उन्होंने आगे सवाल पूछा कि कांग्रेस विधायकों ने 14 महीने के भीतर अपनी ही पार्टी क्यों छोड़ दी, क्या मजबूरी थी?