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असम में चाय उद्योग के 200 गौरवशाली वर्ष पूर्ण होने पर “अखड़ा” का आयोजन हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया

संवाददाता

नई दिल्ली। असम में चाय उद्योग का 200 पूर्ण होने पर गौरवशाली वर्ष हर्षोल्लास के साथ बड़े धूमधाम से स्वर्ण जयंती सभागार, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन आधुनिक इंडिया फाउंडेशन के द्वारा किया गया।

आधुनिक इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष दिनेश कुमार चौहान ने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं कि भारत दुनिया में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और अकेले असम भारत में चाय उत्पादन का लगभग 55% योगदान देता है। असम में चाय उद्योग इस वर्ष 200 गौरवशाली वर्ष पूरे करने जा रहा है। हम इस महत्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करने के लिए नई दिल्ली में “अखड़ा” का आयोजन कर रहे हैं, जहां हम भारत की अर्थव्यवस्था में चाय उद्योग के योगदान और असम के चाय बागान श्रमिकों को रोटी और मक्खन देने वाले चाय उद्योग के सामने आने वाली समस्याओं के बारे मे चर्चा की गई।

यह कार्यक्रम चाय के विपणन के लिए सभी के लिए एक मंच बनें। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ चाय की कीमत कैसे बढ़ाई जाए और असम में चाय कंपनियों के समग्र सतत विकास पर चर्चा की गई। कार्यक्रम के दौरान, इस अवसर को मनाने के लिए एक स्मारिका प्रकाशित की गई और भारत की अर्थव्यवस्था में चाय उद्योग के योगदान को प्रदर्शित किया गया।

“अखड़ा” कार्यक्रम एक बहुत बड़ा आयोजन है और इस दिन माननीय केंद्रीय मंत्री जॉन बारला (अल्पसंख्यक मंत्री), डॉ अंकिता मेधी (दिल्ली विश्वविद्यालय), श्री अशोक कुमार इंस्पेक्टर जनरल (आई टी बी पी), प्रोफेसर मिनकेतन (जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी), शम्मी जे टिग्गा (लेबर कमिश्नर, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज), बिद्यानंद बोर्काकोटी (पूर्व वाईस चेयरमैन, चाय बोर्ड ऑफ इंडिया), निबोर्ना हजारिका (जवाहरलाल यूनिवर्सिटी, दिल्ली), सुबीर पॉल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, एस सी, एस टी, वीमेन ऐम्पोरमेंट) और अन्य गणमान्य व्यक्ति आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर उत्तर पूर्वी राज्यों के आकांक्षी जिलों के कई नेता और असम के 500 प्रतिनिधियो ने भाग लिया।

शम्मी जे टिग्गा (लेबर कमिश्नर) ने कहा कि चाय उद्योग के सभी श्रमिकों का न्यूनतम आय 250 रुपये से बढ़ाना चाहिए। जिसका केंद्रीय मंत्री ने समर्थन भी किया। कार्यक्रम में चाय बागान श्रमिकों की सभी समस्याओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा बी की गई। कार्यक्रम में टी ट्राइबल श्रमिकों के स्वास्थ्य पर भी विस्तार से चर्चा की गई। चर्चा में दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शामिल हुए।

इस वर्ष हम उपरोक्त कार्यक्रम के माध्यम से चाय बागान श्रमिकों और उद्यमियों के उद्यमिता विकास कार्यक्रम, स्वास्थ्य विकास, शिक्षा और आर्थिक विकास से संबंधित सभी जानकारी प्रदान किया हैं और विभिन्न सरकारी और पीएसयू के विशेषज्ञ अपनी योजनाओं और नीतियों के बारे में जानकारी दिया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आसाम चाय बागानों व कश्मीर चाय बागानों के श्रमिकों की भागीदारी रही व इस कार्यक्रम में इनका रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन श्रमिक आदिवासीयों द्वारा किया गया।

इस कार्यक्रम में आसाम चाय श्रमिकों के द्वारा एक ज्ञापन भी दिया गया, उनकी समस्याओं को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द समाधान किया जाये व उनकी न्यूनतम आय 250 रू से बढ़ाकर राष्ट्रीय न्यूनतम आय के बराबर की जाए।

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