संवाददाता
नई दिल्ली। देश में इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक्टिव मोड में हैं. एक-एक कर वह राज्यों को सौगात दे रहे हैं. वहीं, विपक्षी दलों ने एक बार फिर EVM का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है. खासतौर से कांग्रेस इसमें सबसे आगे है. उसने चुनाव आयोग से मिलने का समय भी मांगा है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आयोग को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा है. उन्होंने इंडिया गठबंधन की तरफ से मिलने का समय मांगा है. इंडिया VVPAT पर अपना मत रखना चाहता है. वो VVPAT पर चर्चा के लिए मिलना चाहता है. दरअसल, विपक्ष VVPAT पर अपनी शंका दूर करना चाहते है. जयराम रमेश ने पत्र में लिखा कि VVPAT पर हम अपना मत रखना चाहते हैं. 9 अगस्त और 20 दिसंबर को भी अनुरोध किया था. बार-बार अनुरोध के बावजूद समय नहीं मिला. हमारे अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
इससे पहले 27 दिसंबर को कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा EVM पर सवाल खड़े किए थे. कांग्रेस नेता ने कहा कि EVM की वजह से राहुल गांधी अमेठी का लोकसभा चुनाव हारे थे, इसलिए EVM पर सियासी दलों को आंदोलन करना चाहिए. सैम पित्रोदा के मुताबिक EVM को नियंत्रित किया जा सकता है. मतलब इससे छेड़छाड़ हो सकती है.
जयराम रमेश ने पत्र में क्या लिखा?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार को लिखे पत्र में जयराम रमेश ने कहा कि 20 दिसंबर, 2023 को इंडिया के घटक दलों के नेताओं ने हाल में आयोजित गठबंधन के नेताओं की एक दिन पहले हुई बैठक में पारित एक प्रस्ताव के आधार पर वीवीपीएटी के उपयोग पर चर्चा करने और सुझाव देने के लिए भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से समय देने का अनुरोध किया था.
उन्होंने कहा, हम इस प्रस्ताव की एक प्रति सौंपने और चर्चा करने के लिए ईसीआई से मिलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिली है. रमेश ने कहा, मैं एक बार फिर अनुरोध करता हूं कि इंडिया गठबंधन के नेताओं की 3-4 सदस्यीय टीम को आपसे और आपके सहयोगियों से मिलने तथा वीवीपीएटी पर अपना दृष्टिकोण रखने के लिए कुछ मिनट का समय देने का अवसर दिया जाए.
रमेश का पत्र विपक्षी गठबंधन इंडिया के इस दावे के कुछ दिनों बाद आया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की कार्यप्रणाली के निर्विवाद होने को लेकर कई संदेह हैं और सुझाव दिया कि वीवीपीएटी पर्चियां मतदाताओं को सौंपी जाएं और इसकी 100 प्रतिशत गिनती बाद में की जाए.
कई विपक्षी दलों के नेताओं ने, खासकर राज्य विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हालिया जीत के बाद, ईवीएम के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया, और महसूस किया कि पूरे विपक्षी गठबंधन को इस मामले को एकजुट होकर लोगों के सामने उठाना चाहिए.