गाजियाबाद। कोरोना और लॉकडाउन गाजियाबाद में बिजली उपभोक्ताओं की परेशानी का सबब बन गया है। अनाप शनाप बिल और मनमाने तरीके से रीडिंग भेजने की परेशानी से जूझ रहे शहर के बिजली उपभोक्ता इस कदर परेशान हैं कि सरकार को कोसने के सिवा उनके पास कोई चारा नहीं हैं। हैरानी की बात ये है कि अगर बिजली विभाग के कर्मचारियों को चढावा चढाकर लोग बिजली का बिल ठीक नहीं करवा पा रहे हैं तो उन्हें विभाग से भेजा गया मनमाना बिल भरने को मजबूर होना पड रहा है। उपभोक्ताओं की हजारों शिकायत के बावजूद बिजली मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय से भी लोगों को कोई निदान नहीं मिल रहा है।
मार्च के महीने में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में बिजली विभाग की तरफ से अप्रैल और मई के महीने में मनमाने तरीके से बिजली के ऑनलाइन बिल भेजे। चूंकि इस दौरान बिजली विभाग के दफ्तर नहीं खुले थे इसलिए बिलों को सही कराने का विकल्प ना होंने के कारण उपभोक्ताओं को अनाप शनाप भेजे गर्ए बिलों को भरने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद जून से बिजली विभाग के दफ्तर खुले तो घरों में जाकर रीडिंग लेने का काम शुरू हुआ। लेकिन इसके बावजूद भी बिजली विभाग के कर्मचारियों ने घ्रों में जाकर रीडिग लेने की बजाय बिजली घर में ही बैठकर मनमाने तरीके से रीडिंग फीड करके लोगों के पास बिल भेज दिए। दिलचस्प बात ये है कि महीने भर का बिल हर 20 दिन बाद भेजा गया जिससे चार महीने का किराया और अतिरिक्त शुल्क पांच महीने का बनाकर वसूला गया। बिजली विभाग की इस मनमानी और रीडिंग में अधिक चार्ज लगने से उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ गई है। इस बाबत उपभोक्ता ने मामले में समाधान के लिए पीएम, मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री व विधायक को ट्विट किए, मेल कि और सीएम के जनसमाधान पोर्टल पर हजारों शिकायतें की लेकिन नतीजा डाक के तीन पात निकल रहा है। वैसे भी लोगों का मानना है कि सीएम का जनसमाधान पोर्टल दिखावा बनकर रह गया है।
उपभोक्ताओं का कहना है कि मामले में समाधान के लिए कई बार अधिकारियों से मांग की गई। लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो रहे हैं।
बता दें कि देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हो गया था। जिसके चलते उपभोक्ताओं को बिजली के बिल जमा करने में परेशानी हुई थी। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए विद्युत निगम ने उपभोक्ताओं से ऑनलाइन बिजली बिल जमा करने के लिए कहा था। बहुत से उपभोक्ताओं ने ऑनलाइन बिल जमा कर दिए। जब मई में लॉकडाउन में छूट मिली तो विद्युत निगम ने बिलिंग शुरू कर दी । विद्युतकर्मी घर-घर पहुंचकर रीडिंग लेकर बिल भी बनाने लगे। इस दौरान शिकायते मिली की नगर क्षेत्र के अलावा हिंडन पार में लोगों को अप्रैल के साथ मार्च का भी बिल मिलना शुरू हो गया। लोगों का कहना है कि मार्च का बिल वे ऑनलाइन जमा कर चुके थे, इसके बाद भी उन्हें मार्च का बिल और बिल जमा नहीं करने की पेनल्टी जोड़कर बिल दिए गए है।
सेवा नगर में रहने वाले मनोज कुमार, श्यामसुंदर, भारत सिंह और संजीव जांगिड़ का कहना है कि उन्होंने मार्च का बिल ऑनलाइन जमा कर दिया था। मई में रीडर ने जो बिल बनाकर दिया उसे मार्च की रीडिंग और पेनल्टी भी जुड़ी हुई है। रीडर से जब इसकी शिकायत की गई तो उसने इस बारे में अधिकारियों से बात करने को कहा। जब इलाके के एसडीओ तथा इंजीनियरों से बात की जा रही है तो वहां सिर्फ आश्वासन मिल रहे है पिछले बिल भुगतान की रशीद और तमतम दस्तावेज दिखाने के बाद बिलिंग काउंटर पर भारी भीड में खडा होकर लोगों की समस्याओं का निवारण नहीं हो रहा है।
बिजली विभाग जिस तरह मनमानी करके बिजली उपभोक्ताओं के साथ लूट खसोट कर रहा है उसे देखकर लगने लगा है कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने गरीबों को जो मुफ्त राशन और सहायता उपलब्ध कराई थी उसकी वसूली सरकार बिजली उपभोक्ताओं से कर रही है। लोग आरोप लगा रहे है कि प्रदेश सरकार ने बिजली विभाग के कर्मचारियों को मनमानी करने की खुली छूट दी है ताकि सरकार के घाटे का बिजली विभाग के जरिए पूरा किया जा सके। लोगों में बिजली विभाग की इस मनमानी के कारण सरकार के खिलाफ असंतोष दिखाई दे रहा है।