दिल्ली। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बीच इस खुलासा से सनसनी फैल गई है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को दान के नाम पर चीन से काफी ज्यादा वित्तीय मदद मिली थी। कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एमओयू के बाद अब यह खबर सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही है।
एक न्यूज चैनल के अनुसार यह वित्तीय मदद 300000 अमेरिकी डॉलर (उस समय के हिसाब से करीब 15 करोड़ रुपए) के करीब है।
एक चैनल के अनुसार भारत स्थित चीनी दूतावास राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करता रहा है। खबर के अनुसार चीन की सरकार वर्ष 2005, 2006, 2007 और 2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन में डोनेशन करती है और इसके बाद वर्ष 2010 में एक अध्ययन जारी कर बताया जाता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार समझौतों को बढ़ावे की जरूरत है।
राजीव गांधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट 2005-06 में भी कहा गया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से फंडिंग हुई है।
चीनी दूतावासके अनुसार, भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी ने 10 लाख रुपए दान दिए थे। इस फंडिंग का नतीजा ये रहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते के बारे में कई स्टडी की और इसे जरूरी बताया।
एक चैनलके अनुसार इस राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। इसके बोर्ड में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, पी. चिदंबरम और प्रियंका गांधी हैं। अब चीन से साथ सीमा विवाद के समय कांग्रेस के नरम रवैये को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि कहीं इसका कारण यहीं तो नहीं है।
राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी का चीनी कन्युनिस्ट पार्टी के साथ एमओयू, डोकलाम विवाद के समय राहुल का चोरीछिपे चीनी दूतावास के अधिकारियों से मिलना, चीनी झड़प के दौरान सरकार-सेना पर सवाल उठाना, सरकार की जगह पार्टी से परिवार के लोगों का चीन जाना, कैलास मानसरोवर की यात्रा के दौरान चीनी अधिकारियों से गुपचुप मुलाकात करना यह सब कांग्रेस पार्टी के साथ गांधी परिवार को संदेह के घेरे में खड़ा करता है।
सोशल मीडिया पर भी लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं।