Uncategorized

पानी से भी सस्ता कच्चा तेल! कीमत $39/बैरल, फिर क्यों पेट्रोल 10 दिन में 5 रुपये से ज्यादा महंगा हुआ

नई दिल्ली. कोरोनो वायरस की वजह से दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियांथमने के बाद पिछले महीने कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई थी. हालांकि ओपेक देशों (कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देशों का संगठन) की ओर से क्रूड ऑयल का उत्पादन घटने के बाद कीमतों में फिर से तेजी आने लगी है. ब्रेंट क्रूड के दाम बढ़कर 39 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए है. वहीं, भारत में पेट्रोल की कीमतें भी तेजी से बढ़ी. पिछले 10 में पेट्रोल 5 रुपये से ज्यादा महंगा हो गया है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल अभी भी एक लीटर पानी की पैकेज्ड बोतल से सस्ता है. वहीं, देश में कीमतें 21 महीने में सबसे ज्यादा हो गई है.

वीएम पोर्टफोलियो के रिसर्च हेड विवेक मित्तल ने न्यूज18 को बताया कि मार्च में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी में 3 रुपये प्रति लीटर का इजाफा कर दिया था. इसके बाद भी तेल कंपनियों ने कीमतों में टैक्स नहीं बढ़ाया. इसीलिए अब वो पेट्रोल पर रोजाना दाम बढ़ा रही हैं.

इसके अलावा लॉकडाउन में ढील के बाद अचानक पेट्रोल और डीजल की डिमांड बढ़ी है. रुपये में गिरावट से भी तेल कंपनियों की चिंता बढ़ी है. लॉकडाउन के बीच तेल कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा था. अब वे इसकी भरपाई कर रही है.

कैसे पानी से भी सस्ता हुआ कच्चा तेल

 मौजूदा समय में एक लीटर कच्चे तेल के दाम 39 डॉलर प्रति बैरल है. एक बैरल में 159 लीटर होते हैं. इस तरह से देखें तो एक डॉलर की कीमत 76 रुपये है. इस लिहाज से एक बैरल की कीमत 2964 रुपये बैठती है. वहीं, अब एक लीटर में बदलें तो इसकी कीमत 18.64 रुपये के करीब आती है. जबकि देश में बोतलबंद पानी की कीमत 20 रुपये के करीब है.

10 दिन में पेट्रोल-डीज़ल 5 रुपये से ज्यादा हुआ महंगा-

तेल कंपनियों ने 7 जून से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि करना शुरू किया. इसके बाद के 10 दिन में अब तक पेट्रोल की कीमतों में 5.47 रुपये, जबकि डीजल के दाम में 5.80 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी दर्ज की जा चुकी है. हालांकि, उम्‍मीद की जा रही है कि अगले दो हफ्तों में बढ़ोतरी के साथ ही 60 पैसे प्रति लीटर की राहत भी दी जा सकती है. तेल मंत्रालय के के मुताबिक, मई में तेल की कुल खपत 1.465 करोड़ टन रही, जो अप्रैल के मुकाबले 47.4 फीसदी ज्यादा है. अंग्रेजी की वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पेट्रोल के दाम 21 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गए है.

अब सवाल उठता है कि पेट्रोल-डीज़ल क्यों लगातार महंगा हो रहा है.

इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि पेट्रोल के दाम कई चीजों से तय होते हैं. इसमें एक कच्चा तेल भी है. इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद भारत में उस अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों नहीं घटतीं? इसकी दो बड़ी वजह हैं

पहली वजह-भारत में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला भारी टैक्स है. वहीं, दूसरी वजह डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी है. आपको बता दें कि इस समय दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत एक्स फैक्ट्री कीमत या बेस प्राइस 22.11 रुपये है. इसमें केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के रूप में 32.98 रुपये, ढुलाई खर्च 33 पैसे, डीलर कमीशन 3.60 पैसे और राज्य सरकार का वैट 17.71 रुपये होता है. राज्य सरकार का वैट डीलर कमीशन पर भी लगता है. कुल मिला कर पेट्रोल की कीमत 76.73 रुपये हो जाती है.

दूसरी वजह यानी रुपये की कमजोरी की बात करते हैं. इकोनॉमी में लगातार गिरावट के साथ ही हमारा रुपया भी लगातार कमजोर होता जा रहा है. दिसंबर 2015 में हम एक डॉलर के बदले 64.8 रुपये अदा करते थे. लेकिन अब ये 76 रुपये से ज्यादा हो गया हैं. सीधे-सीधे 15 फीसदी अधिक कीमत देनी पड़ रही है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय क्रूड हमारे लिए सस्ता होकर भी महंगा पड़ रहा है और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए यह बोझ बना हुआ है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com