दिल्ली

सोसाइटी आइसोलेशन सेंटर बन सकता है बडा विकल्‍प, सरकार को करना चाहिए विचार

सुनील वर्मा

नई दिल्‍ली। एक तरफ देश में कोरोना वायरस महामारी को संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ इलाज के लिए अस्‍पतालों में बेड की कमी ने सरकार की परेशानी बढा दी है। ऐसे में सोसाइटी आइसोलेशन की सोच सरकार के लिए बेहद मददगार साबित हो सकती है। लेकिन हैरानी की बात है कि न तो किसी नौकरशाह और न ही किसी नेता ने इस योजना पर काम करने के बारे में सोचा है। जबकि हकहकत ये है कि अगर इस योजना पर काम शुरू होता है तो न सिर्फ सरकार की ज्‍यादा अस्‍पतालों में ज्‍यादा बेड तैयार करने की समस्‍या दूर हो जाएगी बल्कि लोगों में इस बीमारी को लेकर भय का वातावरण भी दूर होगा।

आपकों बता दे कि सोशल मीडिया पर रोहिणी की नुपूर न्‍यू सरस्‍वती सोसाइटी ने अपनी सोसाइटी की तरफ परिसर के ही एक फ्लैट में 6 बेड का एक आइसोलेशन सेंटर बनाकर इसे प्रशासन से मान्‍यता भी दिलाई है। सोसाइटी के लोगों को कोरोना वायरस से पीडित होंने पर अस्‍पतालों में बेड के लिए भटकना न पड़े इसलिए सोसाइटी की तरफ से रजीडेंट से मिलने वले मेंटीनेंस शुल्‍क से छह बेड तथा बिस्‍तर खरीदकर एक फ्लैट में आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है। 7 फीट की दूरी बनाकर रखे गए हर बेड के पास एक स्‍टूल, बालटी,मगर साबुन, चप्‍पल रखी गई है। आइसोलेशन सेंटर में एक बाथरूम, लैट्रिन और एक किचन है। यहां एक प्रशिक्षित नर्स रखी गई है। इस सेंटर में भर्ती मरीज को सांस जेने में दिक्‍कत होंने या हालात बिगडने पर दो ऑक्‍सीजन सिलेंडर भी रखे गए है।

इस सोसाइटी में किया गया ये प्रयोग लोगों को खूब पंसद आ रह है। दरअसल, सरकार को अब कोरोना के संक्रमण से लडने के लिए कुछ ऐसे उपाय करने होंगे जिससे देश में डर और असुरक्षा का माहौल दूर हो। अस्‍पतालों में केवाल गंभीर रूप ये बीमारी लोगों को भती करने का इंतजाम होना चाहिए। जिन लोगों में वायरस का प्रभाव कम है उन्‍हें सेल्‍फ आइसोलेशन या सोसाइटी एंड कम्‍यूनिटी स्‍तर पर आइसोलेशन सेंटर बनाकर उनमें भर्ती करने की योजना पर काम करना चाहिए।

1008-bed facility: Mumbai: 1008-bed facility in Bandra-Kurla ...

आपकों बता दें कि देश में जितने भी महानगर है वहां हजारों सोसाइटी है और लाखों फ्लैट हैं। खासतौर से पूरे एनसीआर में तो बडी तादाद में सोसाइटी हैं जिनमें करोडों लोग रहते हैं। ज्‍यादातर सोसाइटी वहां रहने वालों से मोटा मेंटेनेंस चार्ज वसूलती है। इन सभी सोसाइटी में क्‍लब और जिम से लेकर बैकवेट और कम्‍यूनिटी हाल है।सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि सभी सोसइटी को अपने बैकवेट हाल और कम्‍यूनिटी सेंटर में मेंटनेंस चार्ज से कोरोना की बीमारी तक सोसाइटी की आबादी के हिसाब आइसोलेशन वार्ड बनाने चाहिए। ताकि सोसाइटी वासियों को कोरोना होंने पर अस्‍पतालों के धक्‍के ना खाने पड़े। सरकारों को जिला प्रशासन को निर्देश देकर ऐसे आइसोंलेशन सेंटर बनाने की पहल को अनिवार्य कर देना चाहिए। इन सेंटरों में शिफ्ट के हिसाब से प्रशिक्षित चिकित्‍सक या नर्स रखकर सेंटर को एक निजी अस्‍पताल का रूप दिया जा सकता है। दरअसल ये पहल इसलिए भी जरूरी है कि सरकार के सभी राज्‍यों में सरकारों के पास अस्‍पतालों में बेड की भारी किल्‍लत आ रही है जो आने वाले दिनों में ओर ज्‍यादा बढ सकती है। सरकार को चाहिए कि गंभीर मरीजों को ठीक करने के लिए अस्‍पताल में पुख्‍ता इंतजाम हो और सेसाइटी अथवा सेल्‍फ आइसोलेशन में रहने वाले उन्‍हीं मरीजों को अस्‍पतालों में रेफर किया जाए जो गंभीर रूप से बीमार हों। निजी अस्‍पतालों में मोटी फीस देकर इलाज कराने से बेहतर है कि सरकार इस तरह के उपायों पर विचार करें।

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