दिल्ली

कोरोना से मौत : शमशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए काम पड़ने लगी जगह

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलो के बीच हो रही मौत के बाद शवों के अंतिम संस्कार के लिए अब जगह काम पड़ने लगी है.
निगमबोध घाट में सालों से अंतिम संस्कार करा रहे आचार्यों का कहना है कि कोरोना काल में उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं. बीते 15 दिनों से रोजाना 40 से 50 शवों का अंतिम संस्कार निगमबोध के आचार्य और उनकी टीम करा रही है. हालात ये हैं कि वे भी अब थक चुके हैं. लगातार बढ़ रही लाशों को देखकर वे भी परेशान हो गए हैं. ये हालत दिल्ली ही नहीं सीमावर्ती जिलों के भी है.

शमशान गृहो के पंडितो का कहना है कि जब कोरोना से मरने वाले लोगों की डेड बॉडी ज्यादा आने लगी तो सरकार ने 4 और श्मशान घाटों को तैयार करना शुरू किया है.

निगमबोध घाट में आलम अब यह है कि जो 48 प्लेटफार्म हैं, वे भी अब दिनों दिन कम पड़ते जा रहे हैं, यही वजह है कि नदी किनारे नई चिताओं के लिए 25 और जगहें तैयार की जा रही हैं.

श्मशान घाटों पर जगह की किल्लत

देश की राजधानी दिल्ली में एक तरफ जहां कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 34,000 के पार पहुंच गया है तो वहीं दूसरी तरफ मौत का आंकड़ा भी हर दिन बढ़ता जा रहा है. आलम यह है कि श्मशान घाटों में अब जगह कम पड़ रही है.

यही वजह है कि दिल्ली में जहां पहले दो श्मशान घाट थे, उनको बढ़ा कर 4 कर दिया गया है. श्मशान घाट में रोजाना जितने भी कोरोना मरीजों के शवों को लाया जाता है उनका अंतिम संस्कार किया जाता है. उसमें भी 5 से 6 घंटे का वक्त लग रहा है.

निगमबोध घाट पर कम पड़ रही जगह

निगमबोध घाट में लोगों के अंतिम संस्कार के लिए 100 के करीब प्लेटफॉर्म हैं, जिनमें से इन दिनों 48 प्लेटफार्म पर कोरोना के मरीजों का अंतिम संस्कार होता है. आलम यह है कि सभी प्लेटफॉर्म पूरी तरह से भरे हुए हैं. एक के बाद एक एंबुलेंस में शवों को लाया जा रहा है और उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

अस्पतालों पर लग रहे लापरवाही के आरोप

नम आंखों से अपने पिता को विदाई देती मोनिका ने अपने पिता को दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया था. मोनिका का आरोप है कि अस्पताल की लापरवाही के चलते उनके पिता की मौत हो गई. सुबह जब वह अस्पताल पिता की डेड बॉडी लेने पहुंची तो उनके हाथ में अस्पताल की तरफ से किसी और व्यक्ति की डेड बॉडी दे दी गई. मोनिका की परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि जब निगमबोध घाट अपने पिता का अंतिम संस्कार करने पहुंचे तो वहां भी इनको चार से 5 घंटे का इंतजार करना पड़ा.

ऐसा ही कुछ हाल पंजाबी बाग क्रीमेशन ग्राउंड का है, जो इकलौता दिल्ली का कंप्लीट कोरोना ग्राउंड है. इस घाट में 4 सीएनजी और 71 लकड़ी से चिताओं के जलने की व्यवस्था है. ग्राउंड के सभी प्लेटफॉर्म पर एक साथ कई चिताओं को जलाया जा रहा है, जो अपने आप में डरावना है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com