स्वास्थ्य

मोदी सरकार की कोविड-19 डिप्लोमेसी की दिखी ताकत, WHO ने दी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के ट्रायल की मंजूरी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का दुनिया में जो स्थान बना है, उसमें कोरोना संकट के समय और बढ़ोतरी हुई है। कोरोना से लड़ने में भारत ने विश्व के अनेक देशों को दवाइयों और खाद्य सामग्री से मदद करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इससे प्रधानमंत्री मोदी की कोविड-19 डिप्लोमेसी को मजबूती मिली है। इसका पता विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के ट्रायल को फिर से मंजूरी देने से चलता है।

भारत की कोशिशों के आगे झुका WHO


कुछ दिनों पहले ही WHO ने इस हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को रोगियों के लिए खतरनाक बताया था, लेकिन मोदी सरकार और भारतीय डॉक्‍टर इस बात पर अड़े रहे कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा खतरनाक नहीं है, बल्‍कि इस के परिणाम बेहतर हैं। ऐसे में कुछ दिनों के बाद ही WHO को झुकना पड़ा और इसके ट्रायल को मंजूरी दे दी। इससे दुनिया ने भारत का लोहा माना है।

‘द लैंसेट’ ने वापस ली अपनी रिपोर्ट
WHO ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में दुनियाभर के रिसर्च प्रकाशित करने वाली मशहूर पत्रिका ‘द लैंसेट’ की एक रिपोर्ट के बाद कोरोना के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल पर रोक लगा थी। पर रिपोर्ट के डेटा पर सवाल उठने के बाद पत्रिका ने उस रिपोर्ट को ही वापस ले लिया है।

रिपोर्ट के डेटा पर उठे गंभीर सवाल
स्टडी में लिखा था कि प्राथमिक रिपोर्टों के साथ आए नतीजों से पता चलता है कि क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को अकेले या फिर अझिथ्रोमाइसिन के साथ खाना लाभदायक नहीं है। इसे खाने से अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों को नुकसान हो सकता है। स्टडी में यह भी लिखा था कि हार्ट के मरीजों में इस दवा के इस्तेमाल मृत्युदर बढ़ सकती है। द लैंसेट के अलावा इस स्टडी के लेखकों सपन देसाई, मंदीप मेहरा और अमित पटेल का एक पेपर ‘द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में भी छपा था।

ट्रंप ने की थी HCQ की वकालत


ध्यान रहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर पाबंदी हटाने की मांग की थी। इसी हफ्ते उन्होंने बताया कि वो कोरोना वायरस से बचाव के लिए जिंक के साथ मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ले रहे हैं। इससे पहले अमेरिका सरकार के विशेषज्ञों ने भी कहा था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड-19 के इलाज में कारगर नहीं है।

भारत ने 133 देशों को भेजी थी HCQ दवा
भारत ने मई के मध्य में HCQ और पारासिटामोल की खुराक 133 से ज्यादा देशों को मदद के साथ-साथ बेचा भी था। इसमें 446 मिलियन HCQ टैबलेट्स और 15.4 मिलियन पारासिटामोल टैबलेट्स थे। भारत 76 देशों को मदद के तौर पर HCQ टैबलेट्स मुहैया करा रहा है। अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन किसी विवाद में पड़ता तो भारत का यह प्रयास खतरे में पड़ जाता। भारत ने इस दवा की खुराक सबसे पहले अपने नजदीकी पड़ोसियों को मुहैया कराया था। इसके बाद खाड़ी देशों, एशियाई देशों, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों की मदद की थी।

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