दिल्ली। आरोग्य सेतु एप के मुताबिक 5 जून, 2020 तक भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 2.26 लाख है और मृतकों की संख्या 6348 है, जो पूरे विश्व की तुलना में बहुत कम है। लेकिन देश में दो लाख से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या पर गौर करने पर पाते हैं कि इस आंकड़े तक भारत को पहुंचाने में तीन लोगों, मौलाना साद, उद्धव ठाकरे और अरविंद केजरीवाल की लापरवाहियों ने मुख्य भूमिका निभाई है। इन लोगों की नाकामियों ने आज देश की 130 करोड़ की आबादी को खतरे में डाल दिया है।
अंधविश्वासी मौलान साद ने फैलाया कोरोना
आज अगर देश में कोरोना की इतनी भयावह स्थिति बनी है तो इसके लिए मुख्य रूप से अंधविश्वास और अज्ञानता की अंधी जमात की रहनुमाई करने वाला मौलाना साद जिम्मेदार है। यह न तो कोई अफवाह है न ही कोई कहानी बल्कि यह ठोस रूप से आंकड़ों पर आधारित तथ्य है। देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण पहुंचने का कारण ही तबलीगी जमात है।
30 से 40 प्रतिशत तक संक्रमण के लिए जिम्मेदार
जब पूरे देश में मोदी सरकार सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन जैसा फार्मूला अपना रही थी तभी दिल्ली में मरकज के मुख्यालय में प्रमुख मौलाना साद अपने तबलीगी जमात के लोगों को कोरोना फैलाने का संदेश दे रहा था। वहीं से निकले लोगों ने दक्षिण में तमिलनाडु और अंडमान निकोबार तक, उत्तर में जम्मू-कश्मीर तक, पूर्व में असम तक और पश्चिम में गुजरात महाराष्ट्र तक कोरोना फैला दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में जितने भी कोरोना संक्रमित हैं, उनमें तीस से चालीस प्रतिशत तक ये जमाती है या फिर इनके द्वारा संक्रमित लोग हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया था, तब देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या महज 550 थी। लेकिन मार्च के आखिरी महीने में नई दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में मरकज के मुख्यालय से तबलीगी जमात के 1500 लोगों का मिलना शुरू हुआ तो संक्रमितों की संख्या ने रफ्तार पकड़ ली।
मौलाना साद के झूठ का पर्दाफाश
मौलाना साद के एक ऑडियो से लॉकडाउन की वजह से फंसे होने के मरकज के झूठ का पर्दाफाश हो गया। वायरल ऑडियो में तबलीगी जमात के आयोजक मौलाना मोहम्मद साद कई बातें कहते सुनाई दे रहा है। वह कोरोना संक्रमण को साजिश बताते हुए कह रहा है कि क्या तुम मौत से भाग जाओंगे ? इससे साफ है कि उन्हें पहले से पता था कि ऐसे जुटने से कोरोना का खतरा है। ऑडियो में कुछ लोग खांसते हुए सुनाई देते हैं, जिससे लगता है कि वहां कोरोना पहले ही पहुंच चुका था, लेकिन उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया। यहां तक कि मौलाना साद ऑडियो में कहते सुनाई देता हैं कि ये ख्याल बेकार है कि मस्जिद में जमा होने से बीमारी पैदा होगी, मैं कहता हूं कि अगर तुम्हें यह दिखे भी कि मस्जिद में आने से आदमी मर जाएगा तो इससे बेहतर मरने की जगह कोई और नहीं हो सकती।
उद्धव की प्रशासनिक अनुभवहीनता ने बढ़ाया खतरा
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मामले सबसे ज्यादा है। उद्धव सरकार तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने में नाकाम रही है। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का संक्रमण इस तरह कहर बरपा है कि वह देश के लिए वुहान बन चुका है। अरोग्य सेतु एप से मिले आंकड़ों के मुताबिक 5 जून, 2020 तक महाराष्ट्र में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़कर 77,793 तक पहुंच गई है। वहीं राज्य में बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 2,933 नए मामले सामने आए और कोरोना महामारी से कुल 123 लोगों की मौत भी हुई है। इससे राज्य में मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 2,710 हो गया है।
मुंबई में स्थिति बेहद खराब
मुंबई में कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या बढ़कर अब 44,931 हो गई है। इसके साथ ही शहर में अब तक 1465 लोगों की जान इससे गई है। राज्य में पिछले 24 घंटों में हुईं 123 लोगों की मौत में से 48 की जान सिर्फ मुंबई में ही गई है। वहीं महाराष्ट्र में कोरोना वयरस के कारण मृत्यु दर 3.37 प्रतिशत है।
कोरोना के सामने बेबस उद्धव सरकार
महाराष्ट्र की उद्ध सरकार कोरोना को रोकने में पूरी तरह से असफल रही है और सरकारी प्रबंध नाकाफी साबित हो रहे हैं। सरकार की नाकामी की वजह से मासूम लोगों की जान जा रही है। दरअसल उद्धव सरकार के पास कोरोना संकट को रोकने के लिए कोई योजना नहीं है। उद्धव ठाकरे का प्रशासनिक अनुभव कम होना भी राज्य में कोरोना के फैलने का एक प्रमुख कारण है। कई नेताओं ने उद्धव ठाकरे के प्रशासनिक अनुभव पर सवाल उठाया है। उद्धव ठाकरे की अनुभवहीनता की वजह से आज महाराष्ट्र में कोरोना वायरस नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है और सरकार बेबस नजर आ रही है।
दिल्ली में तेजी से पैर पसारता कोरोना
दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कारिस्तानियां अब दिल्ली की जनता पर भारी पड़ रही हैं। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में कोरोना से जंग में शुरू से ही लापरवाही बरती। सीएम केजरीवाल कोरोना के खिलाफ सख्ती से कदम उठाने के बजाए, अपनी वाहवाही में जुटे रहे। इसी लापरवाही का नतीजा है कि दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण बेकाबू होता जा रहा है।केजरीवाल सरकार के निकम्मेपन की वजह से दिल्ली कोरोना कैपिटल में तब्दील होती जा रही है। बीते चार दिनों की बात करें तो दिल्ली में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ा 5 मई, 2020 तक दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 25 हजार से ऊपर पहुंच गई है। वहीं मृतकों की संख्या 650 हो गई है।
लॉकडाउन पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं केजरीवाल
इतना सब होने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने सबक नहीं सीखा है। केजरीवाल को बस यह पड़ी है कि दिल्ली से लॉकडाउन को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। लॉकडाउन 4 में राज्यों को अधिकार दिए जाने के बाद से ही दिल्ली सरकार ने पूरे शहर में बाजारों, दफ्तरों को खोलने के आदेश दे दिए। दिल्ली में बसों, टैक्सी, ऑटो को चलाने की अनुमति दे दी। केजरीवाल सरकार द्वारा दी गई इसी अनुमति का नतीजा है कि यहां कोरोना का ग्राफ तेजी से आगे बढ़ रहा है।
केंद्र सरकार पर बाजार खोलने के लिए दबाब बनाया
अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन-4 के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया और इसमें बाजारों को खोलने, सार्वजनिक परिवहन को सड़क पर उतारने व मजदूरों की आवाजाही पूरी दिल्ली में सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया था। बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार ने केंद्र को यह प्रस्ताव भेजकर दबाब बनाया था कि17 मई के बाद बाजारों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल में दुकानों को ऑड-ईवन आधार पर खोलने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा बसों, मेट्रो, ऑटो, टैक्सियों को पूरे शहर में चलाया जाए। आपको बता दें कि दिल्ली में निर्माण कार्यों और सरकारी दफ्तर खोलने की अनुमति पहले से है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने केंद्र पर दबाब बनाने के लिए कहा कि उसने इन सबके के लिए 5 लाख से अधिक दिल्लीवालों की राय मांगी थी और उसी के आधार पर यह प्रस्ताव तैयार किया था।
कोरोना से मौत के आंकड़े छिपाने में लगे केजरीवाल
दिल्ली में कोरोना से मरने वालों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। दिल्ली में 5 जून, 2020 तक आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से मरने वालों की संख्या 650 हो चुकी है। लेकिन बताया जा रहा है कि केजरीवाल सरकार कोरोना से मरने वालों के सही आंकड़े सामने नहीं आने दे रही है। कई अस्पतालों में कोरोना से मरने वालों की संख्या 30 से पचास तक पहुंच चुकी है, लेकिन केजरीवाल सरकार की तरफ से दबाब बनाया जा रहा है कि सही आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाएं। इतना ही नहीं दिल्ली में हॉटस्पॉट की संख्या भी सौ से ज्यादा हो चुकी है और यह लगातार बढ़ती ही जा रही है।
शराब की दुकानों पर नहीं किया गया सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
पिछले दिनों जब केजरीवाल सरकार के कहने पर ही शराब की दुकाने खोलने का आदेश दिया गया था, तब भी दिल्ली प्रशासन की नाकामी सामने आई थी। दिल्ली में हर जगह शराब के ठेकों के बाहर हजारों लोग की भीड़ जमा हो गई थी। वहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का कोई पालन नहीं किया गया। पूरे देश ने उन तस्वीरों को देखा था कि केजरीवाल सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और कोरोना का प्रसार रोकने के लिए उसने कुछ नहीं किया।
केजरीवाल की नाकामियों से पलायन को मजबूर मजदूर
दिल्ली से लाखों की संख्या में मजदूर यूपी और बिहार के लिए पलायन कर चुके हैं। पलायन का यह सिलसिला आज भी जारी है, लेकिन केजरीवाल अपने गाल बजाने के सिवा और कुछ नहीं कर रहे हैं। जब भी केजरीवाल मीडिया के सामने आते हैं तो मजदूरों को राहत देने के तामम दावे करते हैं, लेकिन धरातर पर ये दावे झूठे साबित होते हैं। यहां तक कि केंद्र सरकार की तरफ से मजदूरों के लिए जो राशन और आर्थिक मदद दी जा रही है, उसे भी वे उन तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। मजदूरों का पलायन कोरोना संक्रमण को बढ़ाने वाला साबित हो रहा है।