नई दिल्ली। ऐसा लगता है विवादों और झूठ से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का चोली दामन का साथ है। राहुल गांधी अपने बयानों से ही हमेशा हंसी के पात्र बन जाते हैं। महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस की भूमिका को लेकर दिए गए अपने बयान पर राहुल गांधी एक बार फिर घिरते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि हम सरकार में भागीदार जरूर है लेकिन हम फैसले लेने की स्थिति में नहीं है। फैसले मुख्यमंत्री ही लेते हैं।
राहुल गांधी का ये बयान इस लिए हास्यापद है कि बीजेपी शासित राज्यों में कोरोना वायरस के इंतजामों को लेकर वे उन सरकारों को कठघरे में खडा कर रहे हैं। लेकिन जबकि देश में कोरोना का हॉट स्पॉट बने महाराष्ट्र को लेकर उनसे सवाल किया जाता है तो गेंद को शिवसेना के पाले में डाल देते हैं।
दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस महाराष्ट्र में न सिर्फ शिवसेना शासित सरकार में भागीदार है बल्कि कई महत्वपूर्ण मंत्रालय कांग्रेसी मंत्रियों के पास है ऐसे में ये कहना कि सरकार में अहम फैसले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ही करते हैं। एकदम बचकाना और हास्यापद जवाब है।
दरअसल राहुल गांधी ने कोरोना काल और लॉकडाउन में जिस तरह की बयानबाजी की है उसने राहुल गांधी की छवि को एक झूठे व फरेबी नेता के रूप में स्थापित कर दिया है।
राहुल गांधी देश के इकलौते ऐसे नेता हैं, जो हर चीज को खारिज करते रहते हैं, लेकिन जिनके पास कोई समाधान नहीं होत है। राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन चीजों को खारिज करते हैं, जिसके लिए देश-दुनिया में भारत की जय-जयकार होती है। आइए उनके प्रेस कॉन्फ्रेंस के झूठ और फरेब का सामने रखते हैं
राहुल गांधी का पहला झूठ
राहुल गांधी ने कहा – लॉकडाउन का मकसद फेल हो गया। सच्चाई – रिपोर्ट से साफ है कि अगर लॉकडाउन नहीं हुआ होता, तो आज कोरोना पीड़ितों की संख्या 14 लाख से 29 लाख के बीच हो सकती थी। कोरोना से मौत की आंकड़ा भी 37 हजार से 78 हजार के बीच हो सकती थी।
राहुल गांधी का दूसरा झूठ
राहुल गांधी बस अपने काम की चीज देखते हैं… बाकी चीजें छोड़ देते हैं। ये दोगलापन उस समय से है जब उनकी केंद्र में सरकार थी। उस समय मनमोहन सरकार ने फैसला लिया और सदन के बाहर आकर राहुल गांधी ने फैसले की उस कॉपी को फाड़ दिया था।
अगर उनके हिसाब से लॉकडाउन गलत है तो फिर उनकी ही राज्य सरकारें केंद्र सरकार के निर्णय से पहले क्यों लॉकडाउन बढ़ा रही हैं। केंद्र सरकार के निर्णय से पहले कांग्रेस शासित पंजाब और महाराष्ट्र सरकार ने लॉकडाउन बढ़ाने का निर्णय किया।
राहुल का तीसरा झूठ
राहुल गांधी से सवाल किया गया कि महाराष्ट्र में देश के कुल संक्रमितों का एक तिहाई से बड़ा हिस्सा है। वे महाराष्ट्र के लिए कुछ प्रभावी काम क्यों नहीं करते। इस पर राहुल गांधी ने कहा महाराष्ट्र में वे निर्णायक भूमिका में नहीं हैं। तो सवाल ये है कि आखिर वो महाराष्ट्र में सरकार से बाहर क्यों नहीं हो जाते। यही नहीं अगर वे प्रभावी भूमिका में नहीं हैं तो सिर्फ सोनिया का ओरिजिनल नाम लेने पर देश के सबसे बड़े पत्रकार अर्णब गोस्वामी के खिलाफ पूरी सरकार कैसे काम करने लगी?
राहुल गांधी का चौथा झूठ
राहुल गांधी ने अब लॉकडाउन में धीरे-धीरे छूट देने पर आलोचना की है। सच्चाई ये है कि राहुल गांधी ने ही पहले कहा था कि लॉकडाउन से कोई फायदा नहीं होने वाला है और लॉकडाउन लगाए जाने का विरोध किया था।