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सट्टेबाज संजीव चावला को मिली जमानत

नई दिल्ली: मैच फिक्सिंग के आरोपी संजीव चावला को दिल्ली की एक कोर्ट से जमानत मिल गई है. बता दें कि भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक संजीव चावला को लंदन से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था.

करीब 19 साल बाद संजीव चावला को प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है. अदालत में पेश करने के बाद पुलिस ने उन्‍हें रिमांड पर लिया है. संजीव चावला को पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर हांसी क्रोन्ये के साथ हुए मैच फिक्सिंग मामले का मास्टरमाइंड माना जाता है.

हैंसी क्रोन्ये की प्लेन दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया था कि ब्रिटिश नागरिक संजीव चावला के भारतीय क्रिकेटरों समेत कई इंटरनेशनल क्रिकेटरों से संबंध थे. लंदन में 4 मोंक विले एवेन्यू स्थित उनके बंगले पर कई भारतीय क्रिकेटरों का नियमित रूप से आना जाना था. चावला के कॉल डाटा रिकॉर्ड्स में कई भारतीय खिलाड़ियों के नंबर मिले थे. इनके बीच जनवरी से मार्च 2000 के बीच कई बार बातें हुई हैं. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के डीसीपी डॉ. जी राम गोपाल नाइक की टीम संजीव चावला से मैंच फिक्सिंग केस का कोई बड़ा राज नहीं उगलवा सकी.

बता दें कि चावला को स्कॉटलैंड यार्ड की पुलिस ने इंग्लिश क्रिकेटरों से जुड़े एक अन्य सट्टेबाजी प्रकरण में साल 2001 में गिरफ्तार किया था.

क्या था 2000 मैच फिक्सिंग मामला

साल 2000 में 16 फरवरी और 20 मार्च को भारत-दक्षिण अफ्रीका के मैच फिक्स करने के लिए दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पूर्व दक्षिण अफ्रीकी कप्तान स्वर्गीय हैंसी क्रोन्ये और पांच अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों हर्शल गिब्स और निकी बोए के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिलने पर उनके नाम चार्जशीट से हटा दिए गए थे. हैंसी क्रोन्ये के साथ ही सट्टेबाज संजीव चावला, मनमोहन खट्टर, दिल्ली के राजेश कालरा, सुनील दारा और टी सीरीज के मालिक के भाई कृष्ण कुमार को भी आरोपित बनाया गया था. इसके बाद से ही संजीव को भारत लाने का प्रयास किया जा रहा था. मानवाधिकारों का हवाला देकर संजीव चावला ने यूरोपियन कोर्ट में प्रत्यर्पण के खिलाफ गत 23 जनवरी को अर्जी लगाई थी जिसे कोर्ट ने नामंजूर कर दिया था.

19 साल बाद भारत लौटा
संजीव चावला जब 19 साल बाद भारत लौटा तो ये सवाल उठा था कि क्‍या इतने लंबे इंतजार के बाद दिल्‍ली पुलिस मैंच फिक्सिंग केस में कोई नया खुलासा कर पाएगी या नहीं, इतनी लंबी कवायद क्या सिर्फ रस्‍म अदायगी बनकर रह जाएगी। बता दें कि संजीव चावला डी-कंपनी के लिए काम करता था. दिल्ली में जन्मे चावला ने शुरू-शुरू में एक व्यवसायी के रूप में अपनी पहचान बनाई थी. उसके बाद 1996 में व्यापार वीजा पर यूके चला गया और फिर वहां से भारत आता-जाता रहा. वर्ष 2005 में उसे ब्रिटेन का पासपोर्ट मिल गया. भारत ने 14 जून, 2016 से चावला के प्रत्यर्पण के लिए लंदन में अनुरोध की प्रक्रिया शुरू की थी.

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