गाजियाबाद। कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी इंसानों के साथ पशुओं की जिदंगी को भी खतरों में डाल दिया है। कुछ पशु प्रेमियों की पहल के बावजूद नगर क्षेत्र में अभी भी ऐसे सैकड़ो पशु विचरण कर रहे है जो पेट भरने के लिए कूडे के ढेर में पडी सडी गली और विषाक्त वस्तुओं को खाकर अपना पेट भरने के लिए मजबूर है। डाबर कट के पास यशोदा नर्सिंग होम के पास पड़े कूडे के ढेर में सुबह से शाम लावारिश पशु कचरा खाने के लिए मजबूर है। गाय को मां का दर्जा देकर छोटी छोटी बातों में उत्पात मचाने वाले लोग भी गाय माता की भूख से बदहाली पर चुप है। प्रशासन की तरफ से आवारा पशुओं को चारा खिलाने के जो इंतजाम किए जा रहे वे कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। शहर में ऐसे दर्जनों स्थान लॉकडाउन में देखने को मिल जाऐंगे जहां भूख से व्याकुल पशु कचरा खाकर पूट भरने के लिए मजबूर हैं।
जिले के नगरीय क्षेत्र में पशुपालन करने वालों को कहना है कि लॉकडाउन के चलते भूसे की गाड़ियां नहीं आने से पशुओं के भूखे मरने की नौबत आ गई है। भूसे के एक व्यापारी ने बताया कि पशुओं के हरे चारे और भूसे की गाड़ियां नहीं आने से चारे की किल्लत बढ़ गई है। चारा सप्लाई नहीं हो पा रहा है। ऐसे में जो हरा चारा 2 रुपये किलो मिलता था वह अब 3 रुपये किलो मिल रहा है। वहीं साढ़े छह सौ रुपये कुंटल मिलने वाला भूसा अब 1150 रुपये तक पहुंच गया है। इससे पशु पालकों की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में पशुपालकों ने दूध् न देने वाली गायों और खाने का बोझ बने पशुओं को आवारा छोड दिया है।
हालांकि एकतरफ जहां लोग लॉकडाउन के कारएा पशुओं को भूखा मीने के लिए छोड रहे हैं वहीं कुछ लोग भूखे पशुओं के लिए देवदूत भी बने हैं। गाजियाबाद में कुछ पशु प्रेमी औी पुलिा वाले बेजुबान जानवरों के लिए खाने की व्यवस्था में लगे हैं। कौशांबी पुलिस चौकी पर तैनात एक कांस्टेबल ने सड़क पर भूखे घूम रहे पशुओं को चारा खिलाने का बीड़ा उठाया हुआ है। लॉकडाउन होंने के बाद से कौंशाबी चौकी पर तैनात कांस्टेबल आरपी सिंह करीब दो दर्जन गाय और बैल के लिए चारे का इंतजाम कर रहा है। कांस्टेबल आरपी सिंह ने यूपी गेट के पास सड़क किनारे भूखे पेट घूमने वाली गायों और बैल को चारा खिलाने का जिम्मा उठाया हुआ है। आर पी सिंह सुबह ड्यूटी से घर जाने के दौरान करीब एक क्विंटल चारा डालकर जाते हैं। जिससे इन पशुओं का पेट भर सके। आरपी सिंह ने बताया कि गाजीपुर मंडी बंद होने के कारण इन पशुओं को खाने को नहीं मिल रहा है। इसके लिए वह इनको चारा डालते रहते हैं। उन्होंने नगर वासियों से अपने घरों के आसपास रहने वाले जानवरों खाना देने की अपील की है। जिससे यह भूखे न रह सके। आरपी सिंह के इस मानवीय कार्य के लिए वसुंधरा के पार्षद अरविंद चौधरी और कुछ पुलिस वालों ने उसे सम्मानित भी किया हे।
लेकिन सवाल ये है कि लॉकडाउन के दौरान गरीब व भूखे लोगों को भोजन देने के लिए जब अलग-अलग संगठन, शासन व प्रशासन सामने आ रहे तो आवारा घूम रहे गोवंश के लिए भी लोग सामने क्यों नहीं आ रहे हैं।
हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर शहर में गौशाला बनवाई हुई है, लेकिन काफी गाय ऐसेी हैं, जो आज भी आवारा घूम रही है। कुछ स्थानों पर खुले में घूम रही गाय भूख से तड़प रही है। प्रशासन की तरफ से एक राजपत्रित अधिकारी को पशुओं को चारा उपलब्ध कराने के लिए नियुक्त किया गया है। लेकिन डाबर के पास यशोदा अस्पताल के समीप कचरे के ढेर को खानू के लिए मजबूर गायों को देखकर कहीं नही लगता कि पशुओं को चारा उपलब्ध कराने का काम जिम्मेदारी से हो रहा है।