नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन महासचिव शिवप्रकाश कोविड -19 से संपूर्ण विश्व प्रभावित है। 23 लाख से भी अधिक मनुष्य कोरोना से इस समय प्रभावित हैं। यह आंकड़ा अभी कहां तक पहुंचेगा, इसके संबंध में अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता। पूरे विश्व में 1 लाख 59000 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। नियंत्रण के सफलतम प्रयासों के बाद भी अपने देश में भी लगभग 15552 मरीजों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं। 506 मरीज अब तक काल के गाल में समा चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी की गंभीरता को समझकर नियंत्रण के प्रभावी उपाय किए। स्वास्थ्य मंत्रालय का निष्कर्ष था कि भारत की जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है महामारी को रोकने के लिए अन्य देशों की तुलना में स्वास्थ्य विभाग की क्षमता भी पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रामक बीमारी होने के कारण नियंत्रण के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही प्रभावी उपाय हो सकता है। इसी निष्कर्ष के आधार पर 22 मार्च का जनता कर्फ्यू एवं 25 मार्च से 14 अप्रैल तक लॉक डाउन का निर्णय किया गया। जो लॉकडाउन- 2 के रूप में अभी भी प्रभावी है। लॉकडाउन के कारण प्रतिदिन कमाकर खाने वाले अथवा उद्योगों में कार्य करने वाले मजदूर सभी के सामने उनकी रोजी – रोटी का प्रश्न खड़ा हो गया। दूसरे राज्यों में काम के लिए जाने वाले प्रवासी मजदूरों के भी भोजन की व्यवस्था करना आवश्यक कर्तव्य हो गया। सेनिटाइजेशन, प्रतिदिन के लिए आवश्यक सब्जी, दूध आदि की पूर्ति भी होना अनिवार्य है।
कोई भूखा न रहे
‘कोई भूखा ना रहे’ और सभी को आवश्यकतानुसार आवश्यक वस्तु प्राप्त हो इस संकल्प को पूर्ण करने का बीड़ा अनेक सामाजिक संगठनों ने एक कर्तव्य मानकर उठाया। इस कर्त्तव्य की पूर्ती मे संपूर्ण देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उसकी प्रेरणा से चलने वाली सेवा संस्थाएं अग्रगणीय हैं। जब – जब दैवीय एवं मानवीय आपदा देश में आई तब – तब संघ के स्वयंसेवकों ने निस्वार्थ भाव से आगे आकर पीड़ित लोगों की सेवा का बीड़ा उठाया। अभी गत कुछ दिनों में आई केदारनाथ की आपदा सहित सैकड़ों उदाहरण इस बात के प्रमाण हैं। समय-समय पर समाचार पत्रों एवं चरखी – दादरी (हरियाणा) की घटना के समय संसद में भी उसके कार्यों की प्रशंसा हो चुकी है | देश के गणमान्य महापुरुषों एवं न्यायालय ने भी संघ के स्वयंसेवकों की निस्वार्थ सेवा की प्रशंसा की हैं।
सेवा के लिए संघ फिर आगे आया है
कोरोना संक्रमण से जूझते हुए लोगों की सेवा के लिए संघ फिर आगे आया है। संपूर्ण देश में सेवा भारती (सेवा संस्था) के नाम से व्यवस्थित प्रयास हुआ। ऐसे गरीब क्षेत्रों का चयन जहां पर जरूरतमंदों को भोजन की आवश्यकता है उनका निर्धारण किया गया | चिन्हित क्षेत्रों में प्रतिदिन भोजन पहुंचाने का कार्य सुचारू रूप से चला। किट बनाकर कच्ची भोजन सामग्री भी परिवारों में पहुंचाई गई। संपूर्ण देश में लगभग 51लाख भोजन पैकेट एवं 12 लाख कच्चे राशन की किट सेवा भारती के द्वारा वितरित हुई। आजकल समाचार पत्रों में संघ के द्वारा होने वाले सेवा कार्यों के समाचार अलग-अलग स्थानों पर समाचारो की सुर्खियां बन रहे हैं।
इन समाचार पत्रों के समाचारों को यदि हम पढ़ेंगे तब कितने आयामों पर संघ कार्य कर रहा है, समाज को ज्ञात होगा। संघ कार्य के प्रति द्वेष भाव रखने वाले लोग संघ पर मुस्लिम समाज का विरोधी होने का आरोप लगाते हैं। जबकि कश्मीर घाटी में सेवा भारती के कार्यकर्ता देवदूत बनकर वहां मुस्लिम समाज की भी सेवा कर रहे हैं। मुस्लिम समाज के बंधुओं एवं मुस्लिम बहनों को लगता है कि संकट की घड़ी में संघ ही हमारे साथ खड़ा है। दलित विरोध का आरोप लगाने वालो को अनुसूचित एवं मजदूरों की बस्ती के बीच जाने से ज्ञात होगा कि इस संकट में उनको सहायता करने के लिए संघ के स्वयंसेवक ही उनके बीच में गए हैं।
प्रतिदिन सब्जी पहुंचाने का कार्य किया जा रहा
लगभग 1 लाख प्रवासी मजदूरों को भोजन सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने पहुंचाया है। घुमंतू परिवारों में सहायता पहुंचाने का कार्य भी सेवा भारती के कार्यकर्ता कर रहे हैं। 10 लाख से अधिक फेस कवर सेवा भारती के माध्यम से वितरित हुए है। केरल सेवा भारती ने 200 वृद्धजनों के बाल कटवाने का कार्य “बारबर एसोसिएशन” के साथ मिलकर किया है। स्थान स्थान पर स्वच्छता कर्मियों को स्वच्छता सम्मान, पुलिस बलों एवं स्वास्थ्य कर्मियों पर पुष्प वर्षा करके उनका सम्मान करने का कार्य भी किया है। मुंबई (महाराष्ट्र) मे वहाँ की सेवा भारती ने प्रतिदिन सब्जी पहुंचाने का कार्य हजारो परिवारों मे किया है।