नई दिल्ली। निजामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात के धार्मिक आयोजन मरकज (Markaz) को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद कंधलावी की लापरवाही और हठ के कारण अब पूरे देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. मरकज का आयोजन करने के उसके एक फैसले ने पूरे देश को मुश्किल में डाल दिया है. वहीं जानकारी मिली है कि मौलाना साद को मरकज की बैठक न करने के लिए कई वरिष्ठ मौलवियों, बुद्िधजीवियों और अन्य जमात के प्रमुखों ने कहा था. कोरोना के संक्रमण के चलते ही सब ने ऐसा न करने के लिए कहा था.
छवि खराब करने के लग रहे आरोप
अब मुस्लिम समुदाय के कई वरिष्ठ लोग मौलाना साद के इस अड़ियल रवैये की निंदा कर रहे हैं. उनके अनुसार साद ने न केवल अपने अनुयायियों का जीवन खतरे में डाला, साथ ही उन्होंने पूरे समुदाय की छवि को खराब कर दिया. उन्होंने कहा कि मरकज में आए कई लोगों में कोरोना के लक्षण साफ देखे जा सकते थे, इसके बावजूद उन लोगों को अन्य लोगों के बीच रखा गया. उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना के सामने आए मामलों में से 30 प्रतिशत जमात से जुड़े हुए हैं.
रद्द हुए थे अन्य कार्यक्रम
एक रिपोर्ट के अनुसार तबलीकी जमात के एक अन्य गुट शुरा ए जमात ने अपने कार्यक्रमों को रद्द कर दिया था. इस जमात का मुख्यालय दिल्ली स्थित तुर्कमान गेट पर है. कोरोना के चलते शुरा ए जमात के सभी कार्यक्रम या तो टाल दिए गए या रद्द कर दिए गए. वहीं मौलाना साद ने अपने कार्यक्रमों को जारी रखने पर लगातार जोर दिया. इस दौरान उसने कार्यक्रमों के प्रचार के लिए ‘मस्जिद में सबस अच्छी मौत’ जैस उपदेश भी लोगों को दिया.
सब पता होते हुए भी किया ऐसा
वहीं तबलीगी जमात के एक पुराने सदस्य मोहम्मद आलम ने कहा कि साद को सब कुछ पता था. लेकिन उसने किसी की बात नहीं सुनी और तबलीगी को महामारी के मुंह में धकेल दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि जो व्यक्ति मरकज को मक्का और मदीना के बाद सबसे पवित्र स्थान बताता है, उसे कोरोना के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी. वहीं एक अन्य सदस्य मऊ के लियाकत अली खान ने कहा कि मौलाना साद ने किसी की बात को क्यों नहीं माना. और अब वह खुद क्यों छिपता घूम रहा है और अपनी जांच क्यों नहीं करवा रहा है.
जिद पर अड़ा रहा मौलाना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मीम अफजल और मुस्लिम नेता जफर सरेशवाला ने कहा कि मौलाना साद को कई बार मरकज को रद्द करने के संबंध में कहा गया और कोरोना के खतरों से भी आगाह करवाया गया. लेकिन वे अपनी जिद पर अड़ा रहा. वहीं मौलाना के एक सहयोगी ने बचाव करते हुए कहा कि ये गलती सरकार की है, जब जमात के लोग विदेशों से आए तो उन्हें देश में आने की अनुमति ही नहीं देनी चाहिए थी.