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BJP से राज्यसभा पाने वाले रंजन गोगोई ने राम मंदिर समेत इन केस में दिए थे अहम फैसले

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार 12 जनवरी 2018 को रंजन गोगोई सहित सर्वोच्च न्यायालय के चार जजों ने संयुक्त रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के तौर-तरीकों को लेकर सार्वजनिक तौर पर सवाल खड़े किए थे. यहीं से जस्टिस रंजन गोगोई चर्चा में आए थे और सुप्रीम के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए राम मंदिर से लेकर आरटीआई सहित तमाम मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए. गोगोई अब न्यायपालिका के बाद विधायिका में नई पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है.

बता दें कि रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को असम के डिब्रूगढ़ में हुआ था. गोगोई के पिता केसब चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने डॉन बोस्को स्कूल डिब्रूगढ़ में अपनी शुरुआती पढ़ाई की और इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से विधि में स्नातक किया. रंजन गोगोई ने यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बावजूद गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत शुरू की और 23 अप्रैल 2012 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने.

ऐतिहासिक फैसले

  1. अयोध्या मामला:- सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली 5 सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया. शीर्ष कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने और मुस्लिम पक्षकार (सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है.
  2. चीफ जस्टिस का ऑफिस पब्लिक अथॉरिटीः- जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने चीफ जस्टिस के ऑफिस को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के दायरे में आने को लेकर फैसला सुनाया. इसमें कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस का ऑफिस भी पब्लिक अथॉरिटी है. लिहाजा चीफ जस्टिस के ऑफिस से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी जा सकती है.
  3. सबरीमाला मामला:- जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की. साथ ही मामले को सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यीय बड़ी बेंच को भेज दिया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश जारी रहेगा जैसा कि कोर्ट 2018 में दिए अपने फैसले में कह चुका है.
  4. सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी: चीफ जस्टिस के तौर पर रंजन गोगोई और पी. सी. घोष की पीठ ने सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर लगाने पर पाबंदी लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से सरकारी विज्ञापन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस, संबंधित विभाग के केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संबंधित विभाग के मंत्री के अलावा किसी भी नेता की सरकारी विज्ञापन पर तस्वीर प्रकाशित करने पर पाबंदी है.
  5. अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में फैसला: – अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रकाशित करने का फैसला चीफ जस्टिस रहते हुए रंजन गोगोई ने ही लिया था. इससे पहले तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले सिर्फ अंग्रेजी में ही प्रकाशित होते थे.

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