नई दिल्ली। रंग के उमंग पर कोरोना के कहर का साया मंडरा रहा है, क्योंकि इस बार रंगों के त्योहार होली को लेकर बच्चों से लेकर बड़े और बुजुर्ग कोई उत्साहित नहीं हैं। देश में कोरोनावायरस के मामले सामने आने पर सभी इस बीमारी के खतरे को लेकर आशंकित हैं। होली से एक दिन पहले भी अबीर, गुलाल और पिचकारी से भरे बाजार सूने पड़े है। लोग बाग आशंकाओं के कारण न तो भीड भाड वाले बाजारों में खरीदारी करने जा रहे हैं न ही होली मनाने के लिए सामानों की खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि मॉल्स में होली के आकृर्षक ऑफर चल रहे है लेकिन इसके बावजूद लोगों में होली से जुड़े सामान खरीदने में कोई उत्साह दिखाई नहीं पड़ रहा है।
एक वजह ये भीहै कि सरकार ने लोगों को भीड़ भाड़ से बचने की सलाह देते हुए इस जानलेवा वायरस के प्रकोप की रोकथाम के लिए एहतियात बरतने की अपील की है। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत कई नेताओं ने होली मिलन समारोह से दूर रहने की घोषणा की है। कई संस्थाओं के साथ कालोनियों में होंने वाले होली के समारोह इस बार रद्द कर दिए गए है।
देश की राजधानी दिल्ली और गाजियाबाद, नोएडा क्षेत्रों में बच्चों में रंगोत्सव होली को लेकर पहले जैसा रोमांच नहीं दिख रहा है। होली से कुछ दिन पहले से ही जहां ऊंची-ऊंची इमारतों की छतों और बालकनी से बच्चे राहगीरों पर पानी भरे गुब्बारे फेंकना शुरू कर देते थे, वहां इस बार बच्चे ऐसी शरारत करने से भी परहेज बरत रहे हैं। होली से एक दिन पहले भी कहीं बच्चे ऐसा करते नहीं दिख रहे। बच्चों का साफ कहना है कि होली में ठंडे पानी में रंग घोलकर लोग एक-दूसरे पर डालते हैं और कोरोना वायरस का संक्रमण ठंड में ज्यादा फैलता है। इसलिए वे इस बार होली को लेकर उत्साहित नहीं है।
दूसरी तरफ दिल्ली एनसीआर में इस वक्त बोर्ड की परीक्षाएं भी चल रही हैं, इसलिए होली खेलने में बच्चों की पहले ही कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन जिन बच्चों की परीक्षाए भी नहीं है वे भी दूसरे बच्चों को होली नहीं खेलने की सलाह दे रहे है। ज्यादातर बच्चों का कहना है कि होली में चेहरे पर रंग और गुलाल लगाने की परंपरा है, जबकि कोरोना वायरस के प्रकोप की रोकथाम के लिए हाथ मिलाने के बजाय दूर से नमस्ते करने की सलाह दी जाती है, ऐसे में होली खेलने का मतलब डॉक्टरों की सलाह को नजरंदाज करना है, जो ठीक नहीं होगा।
दिल्ली-एनसीआर की कुछ सोसायटी के लोगों ने बताया कि कोरोना वायरस फैलने के खतरे के मद्देनजर उन्होंने इस साल होली के अवसर पर होलिका दहन, सामूहिक मिलन और होली रेन डांस जैसे आयोजन रद्द कर दिए हैं।
लेकिन, प्रख्यात हृदयरोग विषेषज्ञ डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि होली में रंग खेलने से कोरोना वायरस फैलने का कोई खतरा नहीं है, लेकिन अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के संपर्क में आता है, तो फिर खतरा है। साथ ही, अगर किसी को खांसी-जुकाम या बुखार आता है तो वह होली न खेले।
डॉ. अग्रवाल का कहना है कि कोरोना वायरस के प्रकोप को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि एहतियात बरतने की जरूरत है।
ग्रेटर नोएडा के मॉल में रंगों, गुलालों और पिचकारियों से दुकान सजी हैं, लेकिन ग्राहक नदारद हैं। एक दुकानदार ने बताया कि तीन दिन पहले तक लोग प्राकृतिक रंग व गुलाल और गुब्बारे खरीदने आते थे, लेकिन अब इक्का-दुक्का ही ग्राहक आते हैं। दिल्ली के एक कारोबारी ने बताया कि इस साल होली पर चीन से आयातित रंग व पिचकारी की मांग बिल्कुल नहीं है। होली के बाजार में डिजाइनिंग पिचकारी से लेकर मल्टी कलर के गुब्बारे तथा रंगों से लेकर स्प्रे चीन निर्मित होते हैं।
चीन में फैले कोरोना वायरस के चलते भारत के बाजार में चीनी आइटम की बिक्री पर असर पड़ा है। इस संकट का असर होली के बाजार पर भी दिखाई दे रहा है। आम तौर पर भारत में होली से एक महीने पहले से ही चीनी आइटम की भरमार होती थी, इस बार सिर्फ देसी पिचकारियां नजर आ रही है।
कस्टम ड्यूटी की वजह से पिचकारी और स्प्रिंकलर के दाम 50-100 फीसदी तक बढ़ गए है। चीन में कोरोना वायरस के अटैक की वजह से भारत भेजने वाले सामान पर काफी असर पड़ा है। कारोबारी बता रहे हैं कि चीन में कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए आयात पर रोक लगी है और नए आइटम नहीं आ रहे हैं।
होली के लिए आम तौर पर चीन से जनवरी में सामान आना शुरू होता है। दिसंबर के मध्य से शुरू कोरोना वायरस फैलने की वजह से स्थिति और बिगड़ रही है। इस बार होली पर व्यापारी भी चीनी आइटम से दूर भाग रहे हैं। इसकी वजह चीन में हजारों लोगों का कोरोना वायरस से संक्रमित होना भी है।
होली पर इसी समय चीन से सामान मंगाया जाता है। कोरोना वायरस की वजह से बीमारी फैलने से भारतीय बाजार के व्यापारी भी सकते में हैं क्योंकि उन्होंने कई महीने पहले ही होली पर इस्तेमाल होने वाले आइटम पिचकारी, खाद्य सामग्री आदि की बुकिंग करा दी थी। कारोबारियों ने इसका एडवांस भी दे दिया, लेकिन वहां कोरोना वायरस की वजह से सब कुछ बदल गया है।
दिल्ली के थोक मार्केट सदर बाजार के एक कारोबारी ने कहा, “पिचकारी, स्प्रिंकलर्स, बैलून जैसे उत्पाद की जबर्दस्त शॉर्टेज है। थोक मार्केट में ही इनकी कीमत 100 फीसदी तक बढ़ चुकी है। पिचकारी वास्तव में टॉय हेड के तहत आती है, इन पर कस्टम ड्यूटी 20 से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दी गयी है।”
चीन से आये होली के सामान को कोरोना की वजह से टेस्टिंग के लिए भेजा जा रहा है जिसकी रिपोर्ट आने में 15-20 दिन लगते हैं. बाजार में जो मैजिक बैलून 15 दिन पहले 40 रुपये का था वह अब 80 रुपये का बिक रहा है।
वास्तव में चीन
से सामान आने में एक महीने तक का समय लगता है। इसके बाद कोरोना वायरस की वजह से
टेस्टिंग में समय लग रहा है। जनवरी से चीन के कई इलाके में फैक्ट्री बंद हैं। इस
वजह से इस बार होली पर रंग, पिचकारी और स्प्रिंकलर्स आदि खरीदने के लिए
आपको ज्यादा रकम खर्च करना पड़ सकता है।
गाजियाबाद और नोएडा में कोरोना वायरस संक्रमण का एक नया मामला सामने आने के बाद शहर
के लोगों में भी त्यौहार को लेकर उत्सुकता नहीं दिख रहा है। विशेषज्ञों का भी
कहना है कि इस बीमारी को कोई इलाज नहीं है, बल्कि इससे बचाव के उपाय किए जा सकते हैं, इसीलिए
लोग रंगोत्सव पर भीड भाड से दूर रहकर घरों में इस त्यौहार को मनाने की तैयारी
में जुटे हैं।