नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखने वाले बीजेपी के कई प्रत्याशियों ने अपनी हार का ठीकरा इलाके के पार्टी पार्षदों पर फोड़ा है और कहा है कि चुनाव में हारने का एक कारण यह भी है कि प्रचार के दौरान उनके इलाके के पार्टी निगम पार्षदों ने उनकी कोई मदद नहीं की। कुछ का तो यह भी कहना है कि पार्षदों ने अंदरखाने विरोधी पार्टियों की मदद की। उन्होंने मांग की है कि जब चुनाव चल रहा था, उस दौरान पार्षदों के फेसबुक ट्विटर अकांउट आईटी सेल से चेक करवाए जाएं। उन्होंने सोशल साइट पर प्रत्याशियों का प्रचार नहीं किया। प्रत्याशियों को जांच का आश्वासन मिला है।
दिल्ली की तीनों निगमों में बीजेपी का कब्जा है। चुनाव का दौर शुरू होने के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने इन सभी पार्षदों के साथ एक बैठक की थी और उन्हें निर्देश दिए थे कि वे पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में गंभीरतापूर्वक प्रचार करें। वैसे बैठक में पार्टी के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में बीजेपी के पार्षद इलाके में काम नहीं कर रहे हैं, जिसको लेकर स्थानीय लोगों में उनके खिलाफ गुस्सा है। उन्होंने संभावना जताई थी कि इसका असर विधानसभा चुनाव के परिणामों पर पड़ सकता है। लेकिन बैठक में मौजूद वरिष्ठ पार्षदों का कहना था कि दिल्ली सरकार द्वारा फंड मुहैया न करवाए जाने के चलते पार्षद काम नहीं कर पा रह हैं और इसकी जानकरी वे इलाके के लोगों तक पहुंचाते रहे हैं। इसलिए इस आरोप का चुनाव में असर नहीं होने वाला।
लेकिन बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान कई प्रत्याशी इस बात से खासे परेशान हो रहे थे, इलाके के पार्षद उनके लिए प्रचार नहीं कर रहे हैं। इनमें उन पार्षदों की संख्या ज्यादा थी, जो टिकट के दावेदार थे या वे पार्टी में प्रत्याशी से ज्यादा वरिष्ठ थे। इनमें से कई प्रत्याशियों ने पार्षदों के घरों में जाकर उनके हाथ जोड़े और प्रचार करने को कहा। इन पार्षदों ने हां तो की, लेकिन प्रचार में आगे नहीं आए। अब हारे गए प्रत्याशियों ने प्रदेश के नेताओं व आला नेताओं को शिकायत की है कि अगर प्रत्याशी उनकी मदद करते तो वे कम वोटों से ही सही, लेकिन चुनाव जीत सकते थे। उन्होंने वरिष्ठ नेताओं से मांग की है कि चुनाव प्रचार के दौरान आईटी सेल से इन पार्षदों के फेसबुक व ट्विटर चेक किए जाएं। उनके पास पुख्ता सबूत हैं कि पार्षदों ने सोशल मीडिया पर उनका प्रचार नहीं किया और ज्ञान की बातें ही करते रहे। इन प्रत्याशियों को आश्वासन मिला है कि इस बाबत हार की समीक्षा बैठक में जरूर विचार होगा और पार्षद दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कार्यवाही होगी। वैसे पार्टी के एक नेता ने भी माना भी प्रचार में कई पार्षदों की कोताही की जानकारी उनके पास है। उन्होंने कहा कि बीजेपी छतरपुर, शालीमार बाग, कस्तूरबा नगर, आदर्श नगर, पटपड़गंज सीटें जीत सकती थी, अगर वहां पार्षदों ने मेहनत की होती। इन सीटों पर हार जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं है।