नई दिल्ली । तीन बार लोकसभा सांसद रहे बीजेपी नेता विजय गोयल फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं. बचपन से ही संघ से जुड़े रहे विजय दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. दिल्ली की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले विजय गोयल ने बीजेपी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाल रखी है. विजय गोयल अटल और मोदी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.
सीएम उम्मीदवार बनते-बनते रह गए थे विजय गोयल
अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी माने जाने वाले विजय गोयल दिल्ली की राजनीति के लिए एक बड़ा नाम हैं. कई बार केन्द्र की सरकार में मंत्री रहने के बावजूद भी गोयल ने स्थानीय राजनीति से दूरी नहीं बनाई. यही वजह है कि उनकी भूमिका आज के चुनावों में भी महत्वपूर्ण है. यही नहीं 2013 के विधानसभा चुनावों में विजय गोयल के नेतृत्व में लड़ा जाना लगभग तय हो चुका था. लेकिन ऐन वक्त पर कुछ ऐसा घटित हुआ कि पार्टी को गोयल की जगह डॉ. हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर उतारना पड़ा.
दरअसल उस समय अरविंद केजरीवाल की छवि एक ईमानदार नेता की थी और आप भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे आंदोलन से निकल कर आई पार्टी थी. वहीं दूसरी ओर विजय गोयल पर कुछ भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे. शायद यही वजह थी कि उस समय किसी भी तरह के विवादों से दूर और साफ छवि वाले चेहरे के तौर मौजूदा केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के नाम की घोषणा करनी पड़ी.
अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीबी रहे गोयल
विजय गोयल 11 वीं, 12 वीं और 13 वीं लोकसभा में संसद सदस्य के तौर पर तीन बार चुने जा चुके हैं. गोयल सबसे पहले 1996 में सांसद बने थे. उसके बाद वे 1998 और फिर 1999 में लोकसभा सांसद चुने गए. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गोयल ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं. योजना आयोग और पीएमओ में विजय गोयल का दबदबा रहा करता था. वाजपेयी और गोयल के रिश्ते काफी बेहतर थे. यही वजह है कि अटल बिहारी कहा करते थे, ‘वीजी इज वेरी गुड’.
गोयल के पिता का भी दिल्ली की राजनीति में दबदबा था
विजय गोयल का जन्म 4 जनवरी 1954 को दिल्ली में हुआ था. विजय गोयल का परिवार हरियाणा के सोनीपत से ताल्लुक रखता है. विजय गोयल को दिल्ली की राजनीति विरासत में मिली थी. उनके पिता चरती लाल गोयल थे. चरती गोयल भी बचपन से ही संघ के संस्कारों में पले-बढ़े थे. इसके साथ ही वे 1951 में भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य भी बने थे. दिल्ली की राजनीति में उनका बड़ा नाम था. विजय के पिता चरती लाल गोयल दिल्ली विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके थे.
गोयल ने दिल्ली में ही की अपनी पढ़ाई
विजय गोयल ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से एम कॉम की पढ़ाई की है. इसके अलावा उनके पास दिल्ली विश्वविद्यालय से ही एलएलबी की भी डिग्री है. विजय गोयल छात्र जीवन के दौरान अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा लेते रहते थे. यही वजह है कि वे संघ और एबीवीपी के सदस्य होने के अलावा
इमरजेंसी में काटी थी 3 महीने की जेल
विजय गोयल पर जेपी आंदोलन का भी काफी असर पड़ा था. इमरजेंसी के दौरान उन्हें तीन महीने जेल में भी बिताने पड़े थे. उस वक्त जेल में विजय गोयल के साथ उनके पिता चरती लाल गोयल भी बंद थे. विजय गोयल ने अपनी राजनीतिक शुरुआत 1971 में एक एबीवीपी कार्यकर्ता के तौर पर की थी. वे 1977-78 में दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे. खेलों में भी उनकी काफी रुचि रही है. विजय गोयल बास्केटबाल और खो-खो के अच्छे खिलाड़ी भी रहे हैं.
फर्जी सर्टिफिकेट और रैगिंग के खिलाफ उठाई आवाज
डूसू अध्यक्ष की कुर्सी पर रहने के दौरान विजय गोयल ने फर्जी मार्कशीट और फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर एडमिशन लेने वाले लोगों के खिलाफ आवाज उठाई और कॉलेजों में रैगिंग बंद करवाने की कोशिश भी की. इसके बाद विजय गोयल दिल्ली भाजयुमो के अध्यक्ष बना दिए गए. जिसके बाद गोयल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. गोयल बीजेपी में महासचिव के साथ ही साथ दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
दिल्ली को और बेहतर बनाने की कोशिश की
विजय गोयल ने दिल्ली में बिजली, पानी, और अनाधिकृत कालोनियों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. उन्होंने लॉटरी बंद कराने के खिलाफ सक्रिय अभियान चलाया और दिल्ली आम आदमी पार्टी की सरकार की ऑड-इवन स्कीम का अपने संगठन लोक अभियान के बैनर तले मुखर विरोध भी किया.
विजय गोयल चलाते हैं एक टॉय बैंक
विजय गोयल की शादी 1985 में प्रीति गोयल से हुई थी. उनकी एक बेटी विद्युन गोयल और एक बेटा है जिसका नाम सिद्धांत गोयल है. गोयल की पत्नी दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. गोएल ने एक नॉन प्रॉफिट संस्थान टॉय बैंक शुरू किया था. इस वे अपनी बेटी विद्युन के सहयोग से चला रहे हैं. टॉय बैंक में लोगों द्वारा दान किए जाने वाले पुराने खिलौने इकट्ठे किए जाते हैं और उनको ठीक कर उन्हें गरीब बच्चों में बांट दिए जाते हैं. अब तक इस तरह टॉय बैंक लाखों खिलौने बांट चुका है.