कानपुर। जरूरतमंद व गरीबों के लिए आयुष्मान भारत (प्रधानमंत्री जन आरोग्य) योजना में इलाज के नाम पर अफसरों की जेब सेहतमंद हो रही है। खरीद के नियमों को धता बताते हुए कानपुर स्थित लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट) में दस गुना अधिक कीमत पर इंजेक्शन खरीदकर उसका भुगतान भी करा लिया गया। जो इंजेक्शन हैलट में 135 रुपये में उपलब्ध है, उसे बाहर से 1456 रुपये में खरीदा गया। लाभार्थियों और चिकित्सकों की तरफ से दवा न मिलने की शिकायत पर हैलट के प्रमुख अधीक्षक (एसआइसी) ने भुगतान के बिलों की जांच की, तब इस खेल से पर्दाफाश हुआ। अब आयुष्मान योजना के तहत किए गए सभी भुगतान में दवाओं की खरीद के बिल की जांच होगी।
दवा न मिलने की शिकायत
आयुष्मान योजना के लाभार्थी मरीज हों या उनका इलाज करने वाले चिकित्सक या जूनियर रेजीडेंट, लगातार दवा न मिलने की शिकायत एसआइसी से कर रहे थे। यह शिकायत उन दवाओं के लिए भी हुई, जो औषधि भंडार में सस्ते दरों पर उपलब्ध हैं। इस पर प्रमुख अधीक्षक के कान खड़े हुए। उन्होंने एक माह पूर्व आयुष्मान भारत के नोडल अफसर डॉ. एसके सिंह को पत्र लिखकर दवाओं की मूल्य सूची मांगी।
बिलों के मिलान में भारी अंतर
एसआइसी के मुताबिक, डॉ. एसके सिंह ने सूची मुहैया नहीं कराई, उल्टा नियमों का हवाला देकर हैलट से दवाएं लेने की बाध्यता न होने की बात कह पल्ला झाड़ने लगे। प्रमुख अधीक्षक ने सख्ती बरती तो एक सप्ताह पहले अस्पताल परिसर स्थित अमृत फार्मेसी की मूल्य सूची मुहैया कराई गई। हैलट के रेट कांट्रेक्ट, अमृत फार्मेसी के रेट और आयुष्मान में भुगतान किए गए बिलों के मिलान में भारी अंतर मिला। गड़बड़ी देख प्रमुख अधीक्षक ने बिलों की सूची तलब की है।
‘एक अस्पताल में दो व्यवस्था नहीं हो सकती। हैलट में सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं तो बाहर से महंगी दवा खरीदने का औचित्य समझ से परे है। पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है– प्रो. आरके मौर्या, प्रमुख अधीक्षक, एलएलआर अस्पताल।
‘आयुष्मान में अलग खाता खोलना था, इसलिए दूसरा खाता खोला। बगैर सत्यापन के भुगतान तो रूटीन में है। यह सभी के संज्ञान में है– डॉ. एसके सिंह, नोडल अफसर, आयुष्मान।