दिल्ली

JNU छात्रों पर पुलिस ने भांजीं लाठियां, केंद्र ने गठित की तीन सदस्यीय कमेटी

नई दिल्ली। फीस बढ़ोतरी के खिलाफ जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सोमवार को संसद तक मार्च निकालने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने बीच में ही उन्हें रोक दिया. छात्रों और प्रशासन के बीच फीस बढ़ोत्तरी सहित कई मुद्दों को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए आखिरकार अब केंद्र सरकार को दखल देनी पड़ी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वविद्यालय में शांति बहाली सहित छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच बातचीत शुरु करने को लेकर सोमवार को तीन सदस्यों की एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है। जिसकी अध्यक्षता यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर वी एस चौहान करेंगे। कमेटी ने फिलहाल अपना काम शुरू कर दिया है।

उच्‍च स्‍तरीय कमेटी का गठन 

जेएनयू विवाद को सुलझाने के लिए गठित इस उच्च स्तरीय कमेटी में इसके अलावा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहत्रबुद्धे और यूजीसी के सचिव रजनीश जैन को भी रखा गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव आर. सुब्रमण्यम ने ट्वीट कर कमेटी गठित करने की जानकारी दी है। साथ ही कहा कि यह कमेटी छात्रों और विवि प्रशासन से बातचीत करके शांतिपूर्ण रास्ता निकालेगी।

इससे पहले जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव गिरीश होसुर से मुलाकात की। आधिकारिक तौर पर जेएनयू छात्र संघ की मांगों को स्वीकार कर लिया गया है। छात्र संघ ने दिल्ली पुलिस द्वारा लाठीचार्ज को लेकर भी मंत्रालय को अवगत कराया और दिल्ली पुलिस के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। JNUSU, जेएनयू प्रशासन और हॉस्टल के अध्यक्ष मंत्रालय द्वारा गठित समिति से बुधवार को मुलाकात करेंगे और गतिरोध की स्थिति पर एक रिपोर्ट देंगे। हालांकि इस बीच, जेएनयू छात्रों का विरोध जारी रहेगा।

छात्रसंघ ने क्या कहा

छात्रसंघ की ओर से जारी पर्चे में कहा गया है कि फरवरी 2019 के सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक सेकेंड्री और हायर से 94,036 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल नहीं किया गया. सीएजी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि 7298 करोड़ रुपये रिसर्च और विकास कार्यों में खर्च होने थे जो नहीं हुए.

छात्रसंघ का दावा है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी ने पब्लिक फंडेड एजुकेशन के दरवाजे विदेशी और कॉर्पोरेट शिक्षा के लिए बंद कर दिए हैं. क्या इसी वजह से ऐसा हुआ है. 5.7 लाख करोड़ बैड लोन और 4 लाख करोड़ टैक्स रिबेट्स कॉर्पोरेट को दिए गए. लेकिन पब्लिक फंडेड एजुकेशन के लिए कुछ नहीं दिया गया.

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