नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह अलग-अलग स्थानों पर प्यूरीफाइंग टॉवर या स्मॉग टॉवर लगाने का खाका तैयार करे। आइये जानते हैं ये स्मॉग टॉवर क्या हैं? काम कैसे करते हैं? वायु प्रदूषण से निपटने के लिए यह कैसे मददगार हो सकता है?
क्या है स्मॉग टॉवर
स्मॉग टॉवर एक बहुत बड़ा एयर प्यूरीफायर होता है। यह अपने आसपास की गंदी हवा अंदर खींचता है। हवा में से गंदगी सोख लेता है और स्वच्छ हवा बाहर फेंकता है। कुल मिलाकर यह बड़े स्तर पर हवा साफ करने वाली मशीन है। यह प्रति घंटे कई करोड़ घन मीटर हवा साफ कर सकते हैं और पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसी हानिकारक कणों को 75 फीसद तक साफ करके हवा को शुद्ध करते हैं।
सौर ऊर्जा पर करते हैं काम
टॉवर में लगे फिल्टर पीएम 2.5 और उससे बडे प्रदूषण कणों को साफ करने में सक्षम होते हैं। ये टॉवर सौर ऊर्जा पर भी काम करते हैं।
सबसे पहले चीन में लगा
स्मॉग टॉवर का पहला प्रोटोटाइप चीन के बीजिंग शहर में स्थापित किया गया। इसे बाद में चीन के तियांजिन और क्राको शहर में भी लगाया गया।
ऐसे हुआ तैयार
नीदरलैंड्स के डैन रोज़गार्टर पांच साल पहले बीजिंग में थे। एक दिन उन्होंने अपने होटल की खिड़की से बाहर झांका, तो कुछ भी नहीं दिखाई दिया। प्रदूषण की वजह से धुंध इस कदर थी, कि पूरा माहौल काला हो गया था। सड़कों पर सिर्फ गाड़ियां दिख रही थीं। उसी वक्त डैन के जहन में एक ख्याल आया।
उन्होंने सोचा कि अगर शहर ऐसी मशीन बन गया, जो ख़ुद का गला घोंट रहा है तो, ऐसी मशीन भी तो बनाई जा सकती है, जो इस मुश्किल से निजात दिलाए। नीदरलैंड्स में अपने शहर लौटकर डैन ने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की मदद से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्यूम क्लीनर (स्मॉग टॉवर) तैयार किया। डैन के विशाल वैक्यूम क्लीनर नीदरलैंड से लेकर चीन और पोलैंड तक काम कर रहे हैं।
भारत में हो रहा है तैयार
दिल्ली की एक स्टार्टअप कंपनी ने 40 फुट लंबा ऐसा प्यूरीफायर बनाया है, जो उसके तीन किलोमीटर के दायरे में रह रहे 75,000 लोगों को स्वच्छ हवा दे सकता है। इसमें प्रति दिन 3.2 करोड़ घन मीटर की हवा को स्वच्छ करने की क्षमता है। कुरीन सिस्टम्स नामक इस कंपनी के सह संस्थापक पवनीत सिंह पुरी को दुनिया के सबसे लंबे और साथ ही सबसे मजबूत प्यूरीफायर के लिए पेटेंट मिला है।