Uncategorized

AGR पर राहत न मिली तो दिवालिया हो सकती है Vodafone Idea

नई दिल्ली। वोडाफोन के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) निक रीड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर माफी मांगी है। उन्होंने कहा है कि उनकी बातों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया के लिए मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आदित्य बिड़ला समूह ने कहा है कि अगर सरकार समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) को लेकर 39,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी पर बड़ी राहत नहीं देती, तो वह कंपनी में और निवेश नहीं करेगी। ऐसे में वोडाफोन आइडिया दिवालिया हो जाएगी। 

आदित्य बिड़ला समूह ने दिया बयान

इस संदर्भ में समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, ‘टेलिकॉम कारोबार मार्केटप्लेयर्स के अलावा अन्य सभी के लिए कमाई का जरिया है।’ इससे समूह को नुकसान होगा। आदित्य बिड़ला समूह ने कहा है कि उन्हें कमजोर कारोबारी माहौल में अपनी पूंजी के बेहतर इस्तेमाल पर विचार करना है।

AGR पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया बयान

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के आला अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। बता दें कि पिछले माह एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। उसके बाद पहली बार आदित्य बिड़ला समूह के अधिकारियों ने कंपनी को दिवालिया घोषित करने के विकल्प पर सार्वजनिक बयान दिया है।

वोडाफोन के सीईओ से समूह सहमत

साथ ही समूह के अधिकारी का कहना है कि वह वोडाफोन समूह के सीईओ निक रीड के बयान से सहमत हैं। वोडाफोन के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) निक रीड ने कहा था कि भारत ‘लंबे समय से बेहद चुनौतीपूर्ण’ बना हुआ है, लेकिन वोडाफोन आइडिया के पास अभी भी 30 करोड़ ग्राहक हैं जो बाजार के आकार के हिसाब से 30 फीसदी हैं। उन्होंने कहा, ‘विपरीत नियमों, अत्यधिक करों और उससे भी ज्यादा सुप्रीम कोर्ट के नकारात्मक फैसले के चलते कंपनी पर भारी वित्तीय बोझ है।’

रीड ने मांगी माफी

इसके बाद रीड ने सफाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। वोडाफोन का भारत में निवेश बरकरार रहेगा।

रीड ने दिया था ये बयान

रीड ने कहा कि वोडाफोन भारत में ज्यादा पूंजी लगाने के लिए कोई प्रतिबद्धता जाहिर नहीं कर रही है और कंपनी के शेयर मूल्य की तुलना में देश ने इसमें कोई योगदान नहीं किया है। अदालत के फैसले के बाद इस संयुक्त उपक्रम का मूल्य शून्य रह गया है। उसकी भारती एयरटेल के साथ भारत की टावर परिचालक कंपनी इंडस टावर्स में भी हिस्सेदारी है। स्पष्ट है कि भारत में राहत मिलने तक वोडाफोन भारत में कोई पूंजी नहीं लगाने जा रही है।

शीर्ष अदालत ने दिया था झटका 

भारत की शीर्ष अदालत ने पिछले महीने दूरसंचार विभाग की लेवी और ब्याज के तौर पर 13 अरब डॉलर की मांग को वाजिब ठहराया था, जिससे वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल के शेयर को तगड़ा झटका लगा था।

यूके में कर्ज के बोझ से दबी है वोडाफोन

वोडाफोन भारत में उसके खिलाफ और रिलायंस जियो के पक्ष में हुए कई नीतिगत फैसलों से खासी नाखुश है। कंपनी के शेयरधारक वोडाफोन आइडिया के मूल्य को पहले ही बट्टे खाते में डाल चुके हैं और यदि कंपनी बंद हो जाती है तो इसे आसानी से स्वीकार किया जाना चाहिए। वोडाफोन अपने घरेलू बाजार यूके में भी भारी कर्ज के बोझ से दबी हुई है और उसके लिए भारत में अतिरिक्त निवेश करना खासा मुश्किल होगा।

सरकार से मांगा था राहत पैकेज

वोडाफोन ने सरकार से स्पेक्ट्रम भुगतान के लिए दो साल का वक्त, लाइसेंस शुल्क में, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ब्याज और जुर्माने में छूट सहित एक राहत पैकेज की मांग की थी। वोडाफोन दुनिया की दूसरी बड़ी मोबाइल ऑपरेटर है और स्पेन व इटली में सुधार के संकेतों से उसके राजस्व में लगातार सुधार हो रहा है। कैलेंडर वर्ष 2019 की पहली छमाही में उसके सेवा राजस्व में 0.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। वहीं कंपनी ने मुश्किल दौर को देखते हुए पहली बार मई में अपने लाभांश में कटौती की थी। गौरतलब है कि वोडाफोन आइडिया के सितंबर तिमाही के नतीजों पर चर्चा के लिए 14 नवंबर को बोर्ड की मीटिंग भी होने वाली है। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com