नई दिल्ली। भारत से करतारपुर जाने वाले सिख तीर्थयात्रियों को पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी। वे कोई भी वैध पहचानपत्र दिखाकर करतारपुर की यात्रा कर सकेंगे। सिख तीर्थयात्रियों को दस दिन पहले पंजीकरण कराने से भी छूट दे दी गई है। यही नहीं, करतारपुर गलियारे के उद्घाटन और गुरुनानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के दिन उनसे कोई शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार सुबह ट्विटर पर करतारपुर जाने वाले भारतीय श्रद्धालुओं को दी जाने वाली रियायतों की जानकारी दी।
करतारपुर गलियारा नौ नवंबर से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। इमरान ने ट्वीट कर बताया, ‘मैंने भारत से तीर्थयात्रा के लिए करतारपुर आने वाले सिखों को दो रियायत देने का फैसला किया है। पहला, उन्हें पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी। केवल वैध पहचानपत्र के जरिये यात्रा की जा सकेगी। दूसरा, सिख तीर्थयात्रियों को दस दिन पहले पंजीकरण करवाने की आवश्यकता नहीं होगी। इतना ही नहीं, गुरुजी के 550वें प्रकाश पर्व (12 नवंबर) और करतारपुर गलियारे के उद्घाटन समारोह (9 नवंबर) के दिन उनसे कोई शुल्क भी नहीं लिया जाएगा।’
करतारपुर गलियारा पंजाब के गुरदासपुर में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे को करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब से जोड़ता है, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज चार किलोमीटर की दूरी पर पाक पंजाब के नरोवाल जिले में स्थित है। सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव ने करतारपुर में रावी नदी के किनारे स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारे में अपने जीवन के अंतिम 18 साल बिताए थे।
कश्मीर मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच जारी तनाव के बीच दोनों देशों ने बीते हफ्ते एक समझौता किया, जिसके तहत रोजाना पांच हजार भारतीय तीर्थयात्रियों को दरबार साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने की इजाजत होगी। यह गलियारा पूरे साल श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा।
बच्चों और बुजुर्गों को छोड़, सभी तीर्थयात्रियों के पास निजी या सामूहिक रूप से यात्रा करने का विकल्प मौजूद होगा। करतारपुर यात्रा के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों को 20 डॉलर (लगभग 1400 रुपये) का शुल्क भी अदा करना पड़ेगा। हालांकि, भारत ने पाकिस्तान से श्रद्धालुओं से कोई शुल्क नहीं लेने का आग्रह किया था।