श्रीनगर। अब विधानसभा सीटों के परिसीमन का रास्ता साफ हो जाएगा और सीटों की संख्या बढ़कर 114 हो जाएगी। जम्मू कश्मीर विधानसभा के 2026 तक विधानसभा सीटों का परिसीमन न करने का फैसला खारिज हो जाएगा। राज्य पुनर्गठन एक्ट के तहत चुनाव आयोग परिसीमन आयोग का गठन कर पाएगा। राज्य के तौर पर जम्मू कश्मीर विधानसभा में विधानसभा सीटों की संख्या 87 थी। 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर के लिए आरक्षित थीं। इनकी कु़ल संख्या 111 बनती है। लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनने से संभाग की चार विधानसभा सीटों की संख्या केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में कम हो गई हैं।
जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन एक्ट के तहत विधानसभा सीटों की संख्या कम होने के बजाए अब बढ़ जाएगी। 89 सीटों में अगर लद्दाख की सीटें कम कर दें तो संख्या 83 रहती है। इसमें 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर के जोड़ें तो सीटों की संख्या 107 तक पहुंच जाती है। पुनर्गठन एक्ट के तहत परिसीमन कर सात ओर सीटें जम्मू कश्मीर विधानसभा में बढ़ाई जाएंगी। जम्मू कश्मीर विधानसभा की सीटों की संख्या 114 तक पहुंचेगी। इनमें से 90 सीटों पर अगला विधानसभा चुनाव होने के पूरे आसार हैं।
विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का हो जाएगा
केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल छह साल के बजाए पांच साल का होगा। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन एक्ट में इसको स्पष्ट किया गया है। लोकसभा और राज्यसभा में एक्ट पारित हो चुका है जिसे वीरवार से लागू किया जाएगा।
सांसदों की संख्या पहले जितनी ही रहेगी
विधानसभा से अलग सांसदों की संख्या जम्मू कश्मीर में पहले की तरह ही रहेगी। वर्तमान समय में जम्मू कश्मीर और लद्दाख में लोकसभा के छह और राज्य सभा के चार सांसद हैं। राज्य पुनर्गठन एक्ट के तहत इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
73वें और 74वां संशोधन केंद्र के विवेक पर निर्भर
केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में 73वां और 74वां संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू हो या इसके बाद में लागू किया जाएगा। यह केंद्र सरकार के विवेक पर निर्भर करेगा।
विधान परिषद समेत सात आयोगों का अस्तित्व खत्म
जम्मू कश्मीर विधान परिषद और राज्य के सात आयोगों का अस्तित्व खत्म हो गया है। विधान परिषद में चेयरमैन समेत 22 विधान परिषद के सदस्यों के अलावा 161 कर्मचारी और अधिकारी काम कर रहे थे। कर्मचारियों को जीएडी में शिफ्ट कर दिया गया है। राज्य जवाबदेही आयोग भी खत्म हो गया है। आयोग में 62 कर्मचारी और अधिकारी कार्यरत थे।
इसके अलावा राज्य मानवाधिकार आयोग को खत्म किया गया है। यहां पर चेयरमैन व सदस्यों के अलावा 71 अधिकारी व कर्मचारी थे। सूचना आयोग में 23 अधिकारी व कर्मचारी काम कर रहे थे। महिला व शिशु कल्याण आयोग, दिव्यांग कल्याण आयोग का भी अस्तित्व केंद्र शासित प्रदेश में नहीं रहेगा।
राज्य विद्युत नियामक आयोग, उपभोक्ता आयोग भी निष्क्रिय हो गए हैं। इन आयोगों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को भी अब अन्य विभागों में शिफ्ट किया जा रहा है। विधान परिषद की संपत्ति को एस्टेट विभाग व वाहनों को स्टेट मोटर गैरेज के सुपुर्द किया जा रहा है। ऐसे ही बंद हो रहे सात आयोगों की संपत्ति को अन्य विभागों व वाहनों को स्टेट मोटर गैरेज को सुपुर्द किया जा रहा है। सूचना के अनुसार 150 के करीब वाहन स्टेट मोटर गैरेज के बेड़े में बढ़ जाएंगे।