नई दिल्ली। अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के बाद से अबू बकर अल-बगदादी दुनिया का सबसे खूंखार और वॉन्टेड आतंकवादी सरगना था। उत्तर-पश्चिम सीरिया में शनिवार को अमेरिकी सेना के डेल्टा कमांडोज ने रात भर चले ऑपरेशन ‘जैकपॉट’ में उसे मार गिराया। इससे पहले छह बार बगदादी के मारे जाने की रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं। अब सातवीं बार जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उसके मारे जाने की पुष्टि की है तो उसका चैप्टर क्लोज माना जा रहा है। आइये जानें बगदादी कैसे बना आतंक का सबसे बड़ा चेहरा…
मौलवी से कैसे बना आतंकी
बगदादी का जन्म सन 1971 में बगदाद के उत्तर में स्थित समारा में हुआ था। साल 2003 में जब अमेरिकी सेनाएं इराक में दाखिल हुई थीं उस समय बगदादी एक मस्जिद में मौलवी था। हालांकि, कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि बगदादी ने तब बागी गुटों के साथ मिलकर अमेरिकी सैन्य बलों से लोहा भी लिया था। पहले उसका नाम इब्राहिम अवाद इब्राहिम अल-बद्री था लेकिन जैसे जैसे वह कट्टरपंथी विचारों के करीब होता गया उसने लोगों के बीच खुद को अबू बकर अल-बगदादी के तौर पर प्रस्तुत किया।
बगदादी का अमेरिकी कनेक्शन
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने बगदाद विश्वविद्यालय से इस्लामी धर्मशास्त्र की मास्टर डिग्री ली। यही नहीं उसने इसी विषय से पीएचडी की डिग्री भी ली। सद्दाम हुसैन के शासनकाल से ही बगदादी का झुकाव चरमपंथ की ओर हुआ। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि हथियार उठाने की ओर बगदादी का झुकाव साल 2005-09 के दौरान दक्षिणी इराक में मौजूद बक्का कैंप में चार साल तक अमेरिकी हिरासत में रहने के दौरान हुआ। इस कैंप में अल-कायदा कमांडरों को रखा गया था।
खुद का संगठन आइएसआइएस बनाया
बगदादी ने शुरुआत में धर्म प्रचार के तौर पर काम किया। साल 2010 में उसने इराक में अल-कायदा के नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई। बाद में उसकी महत्वाकांक्षाएं ऐसी जगीं कि उसने अल कायदा से इतर उसने आइएसआइएस नाम का अपना आतंकी संगठन खड़ा कर लिया। वर्ष 2014 में इस्लामिक स्टेट का उभार विलायत अल-फुरात और उसके आसपास के इलाके में शुरू हुआ। विलायत अल-फ़ुरात ईराक और सीरिया की सीमा से घिरा हुआ इलाका है। यह इराकी शहर अल-कायम और सीरियाई शहर अल्बु कमाल के बीच में स्थित है। बगदादी इसे इस्लामिक स्टेट की तीसरी राजधानी कहता था।
साल 2011 में घोषित हुआ आतंकी
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2011 में अमेरिका ने बगदादी को आतंकी घोषित करते हुए उसके जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए पर एक करोड़ डॉलर (करीब 60 करोड़ रुपए) का ईनाम रखा। बगदादी का दूसरा नाम अबू दुआ और इब्राहिम अवाद इब्राहिम अली अल-बद्री अल-समाराई भी था। बगदादी के शासन को स्थापित करने के लिए उसके गुर्गों ने सीरिया और इराक में हजारों लोगों का कत्लेआम किया। काले लिबास में नजर आने वाला बगदादी खुद को मुहम्मद साहब के वंशजों के साथ जोड़ता था।
बेरहम हत्यारे के तौर पर किया जाएगा याद
समाचार एजेंसी एफे की रिपोर्ट में कहा गया है कि 48 वर्षीय बगदादी को एक बेरहम हत्यारे के रूप में याद किया जाएगा। इराक और सीरिया में खुद को ‘खलीफा’ के तौर पर एलान करने के साथ उसने अल कायदा से अलग रास्ता चुनते हुए आइएसआइएस नाम के आतंकी संगठन की नींव रखी थी। बगदादी ने वीडियो पर अपनी पहली मौजूदगी जुलाई 2014 में मोसुल में इस्लाम पर दिए व्याख्यान में दर्ज कराई थी। आतंकी बगदादी के क्रूर शासनकाल को बर्बर तरीकों से की जाने वाली हत्याओं के लिए याद किया जाएगा। इसमें जेहाद, युद्ध, भयावहता, यातनाओं और फांसी के क्रूर तरीके शामिल हैं।
साल 2017 से अंत की हुई शुरुआत
दुनिया भर में जेहाद के नाम पर बेगुनाह लोगों की करने का वह दोषी था। उसने अपने कब्जे वाले इलाके में अपना शासन लागू किया जो इस्लाम के मध्ययुगीन रीति-रिवाजों पर आधारित था। साल 2017 में उसके दिन लदने शुरू हुए जब कुर्द लड़ाकों ने अमेरिकी सैन्य बलों और उनकी तकनीक की मदद से आइएस के गढ़ों पर एक-एक करके कब्जा करना शुरू किया। पहले कहा गया कि बगदादी ईराक और सीरिया की सीमा के पास छिपा हुआ है या मध्य सीरिया में मारा गया है। लेकिन अब जाकर अमेरिकी बलों ने उसे मारने में सफलता पाई है।
आइएस की टूटी कमर, ट्रंप की बल्ले-बल्ले
इससे पहले छह बार बगदादी के मारे जाने की कई रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं। चूंकि इस बार खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसकी पुष्टि की है इसलिए माना जा रहा है कि आइएस सरगना का चैप्टर क्लोज हो गया है। यह खबर आतंकी संगठन आइएस के लिए अब तक का सबसे तगड़ा झटका है। इस ऑपरेशन के बाद सीरिया में स्थिति सुधरेगी और आइएस कमजोर पड़ेगा। यही नहीं इसने डोनाल्ड ट्रंप को रणनीतिक और राजनीतिक अवसर भी उपलब्ध कराए हैं। यही नहीं सीरिया में प्रशासन पूरी कोशिश करेगा कि आइएस के दबदबे वाले इलाके उसके अधिकार क्षेत्र में आ जाएं।
बगदादी की तीन बीवियों में दो के मारे जाने की खबर
मीडिया रिपोर्टों बगदादी की तीन शादियों का जिक्र है। उसकी बीवियों में असमा फावजी मोहम्मद अल-दौलैमी, इसरा रजब महल अल कैसी, साजा अल दौलैमी के नाम शामिल हैं। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि अमेरिकी कमांडोज के ऑपरेशन में उसकी दो बीवियों को मौत के घाट उतार दिया गया है। बगदादी की पहली पत्नी असमा फावजी मोहम्मद अल-कुबैसी उसके रिश्तेदारों की बेटी है। वह पांच बच्चों की मां है। दूसरी पत्नी इसरा रजब महल अल कैसी का एक बच्चा है। फिलहाल, अमेरिकी कमांडोज के ऑपरेशन में जिन महिलाओं की मौत हुई है, उनके नाम सामने नहीं आ पाए हैं।