मुंबई। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की नई पारी शुरू हो गई है. उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अगले अध्यक्ष का पद संभाल लिया है. बुधवार को बोर्ड के मुंबई स्थित हेडक्वार्टर में जनरल बॉडी मीटिंग के दौरान आधिकारिक तौर पर गांगुली की नियुक्ति की घोषणा की गई. गांगुली निर्विरोध चुने गए हैं. वे जुलाई 2020 तक इस पद पर बने रहेंगे. बीसीसीआई ने अपने ट्विटर पेज पर लिखा, ‘यह आधिकारिक है, ‘सौरव गांगुली को औपचारिक रूप से बीसीसीआई का अध्यक्ष चुना गया.’
47 साल के सौरव गांगुली ने BCCI की कमान संभालते ही 65 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. दरअसल, सौरव गांगुली 65 साल बाद ऐसे पहले टेस्ट क्रिकेटर हैं, जो बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर काबिज हुए. इससे पहले टेस्ट क्रिकेटर के तौर पर ‘विज्जी’ के नाम से मशहूर महाराजा कुमार विजयनगरम बीसीसीआई का अध्यक्ष बने थे, जो 1954 से 1956 तक इस पद पर रहे.
बीसीसीआई प्रेसिडेंट की बात करें, तो टेस्ट क्रिकेटर सुनील गावस्कर और शिवलाल यादव भी इस पद पर रहे. लेकिन 2014 में गावस्कर और शिवलाल दोनों अंतरिम अध्यक्ष रहे थे. एन. श्रीनिवासन के बाद उनकी नियुक्ति हुई थी.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (CoA) का 33 महीने से चला आ रहा शासन भी खत्म हो गया. सीओए के पूर्व प्रमुख विनोद राय ने कहा, ‘मैं संतुष्ट हूं.’ भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली बुधवार को सालाना आम बैठक में बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष बने. बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए गांगुली का नामांकन सर्वसम्मति से हुआ है, जबकि गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह सचिव और उत्तराखंड के महीम वर्मा नए उपाध्यक्ष हैं.
गांगुली का कार्यकाल 9 महीने का ही होगा और उन्हें जुलाई में पद छोड़ना होगा, क्योंकि नए संविधान के प्रावधानों के तहत छह साल के कार्यकाल के बाद ‘विश्राम की अवधि’ अनिवार्य है.
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण धूमल कोषाध्यक्ष, जबकि केरल के जयेश जॉर्ज संयुक्त सचिव बने. गांगुली ने 15 अक्टूबर को ट्विटर पर जय शाह, अनुराग और अरुण के साथ एक फोटो शेयर की थी.
गांगुली बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव और बाद में अध्यक्ष पद के अपने अनुभव का पूरा इस्तेमाल करेंगे. उन्होंने कुछ लक्ष्य तय कर रखे हैं जिनमें प्रशासन को ढर्रे पर लाना और प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों के वेतन में बढोतरी शामिल है. ‘हितों के टकराव’ के नियमों के बीच गांगुली के सामने चुनौती क्रिकेट सलाहकार समिति और राष्ट्रीय चयन समिति में अच्छे क्रिकेटरों को लाने की भी होगी.
इसके अलावा अनुभवी विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के अंतरराष्ट्रीय भविष्य, दिन-रात्रि टेस्ट और स्थायी टेस्ट केंद्रों पर उनका नजरिया भी अहम होगा. गांगुली का कार्यकाल उस समय शुरू हो रहा है, जब आईसीसी ने भारत को अपने नवगठित कार्यकारी समूह से बाहर कर दिया है. जिससे वैश्विक संस्था के राजस्व में देश का हिस्सा प्रभावित हो सकता है. इस समूह का गठन वैश्विक संस्था का नया संचालन ढांचा तैयार करने के लिए किया गया है.