मुंबई। भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं. नामांकन का अंतिम दौर आते-आते दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे पर भी सहमति बन गई थी, लेकिन कुछ सीट ऐसी हैं जहां शिवसेना खुद को गठबंधन धर्म से आगे रखा है और बीजेपी के खाते वाली सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं.
कंकावली और माण दो ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां शिवसेना ने बीजेपी का प्रत्याशी होने के बावजूद अपने कैंडिडेट उतारे हैं. कंकावली सीट से बीजेपी ने पूर्व सीएम नारायण राणे के बेटे नितेश राणे को टिकट दिया है, जबकि माण से जयकुमार गोरे को मैदान में उतारा है. ये दोनों ही नेता 2014 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे और हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए हैं.
पुरानी अदावत विरोध की वजह!
कंकावली सीट से बीजेपी प्रत्याशी नितेश राणे के विरोध के पीछे पुरानी अदावत मानी जाती है. दरअसल, नितेश राणे के पिता नारायण राणे पहले शिवसेना में थे, लेकिन 2005 में वो शिवसेना का साथ छोड़कर कांग्रेस के साथ चले गए थे. सिर्फ इतना ही नहीं, नारायण राणे ने कांग्रेस में जाकर उद्धव ठाकरे को निशाने पर लिया था.
नारायण राणे ने 2017 में कांग्रेस छोड़ दी थी. इसके बाद राणे ने स्वाभिमान पक्ष के नाम से अपनी पार्टी बनाई और उसके बीजेपी में विलय कर दिया. बीजेपी ने अपने टिकट पर राणे को राज्यसभा भेजा.
नारायण राणे के बीजेपी के साथ आने के बाद से ही शिवसेना कंकावली सीट पर नितेश के टिकट का विरोध कर रही थी. माना जाता है नितेश राणे को टिकट की मुखालफत के पीछे नारायण राणे और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का पुराना तनाव था. यही वजह रही कि नितेश राणे का नाम बीजेपी की पहली दो सूचियों में भी नहीं घोषित किया गया था.
बहरहाल, कंकावली से नितेश राणे के सामने शिवसेना ने सतीश सावंत और माण में जयकुमार गोरे के खिलाफ शेखर गोरे को उतारा है. शिवसेना के इस दांव ने इन दोनों ही सीटों की लड़ाई को बेहद दिलचस्प बना दिया है.