गाजियाबाद : नगर निगम में अधिकारियों और पार्षदों के बीच तकरार के चलते बृहस्पतिवार को कामकाज प्रभावित रहा। पूरे दिन कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा। ज्यादातर अधिकारी अपने दफ्तरों में नहीं बैठे। रोजाना की तरह पार्षद भी लोगों की समस्या लेकर निगम में नजर नहीं आए। इस स्थिति को देखते हुए मेयर आशा शर्मा ने अपने आवास पर शाम को अधिकारियों के साथ बैठक की। उनका पक्ष सुनने के बाद 21 सितंबर को फिर से बोर्ड बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि पार्षद और अधिकारी निगम परिवार का हिस्सा हैं। परिवार के सदस्यों में मनमुटाव दूर हो गया है।
बुधवार को हुई बोर्ड बैठक में पार्षद राजेंद्र त्यागी ने साईं उपवन की जमीन रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए देने का विरोध किया था। नगर आयुक्त द्वारा जमीन देने का समर्थन करने पर पार्षद ने कहा था कि उपवन की जमीन पर हर नगर आयुक्त की गलत निगाह रही है। नगर आयुक्त ने इस पर आपत्ति जताई थी। ये मामला शांत होता उससे पहले कार्यकारिणी उपाध्यक्ष एवं पार्षद सुनील यादव ने शहरी आजीविका केंद्र संचालित कर रहे ठेकेदार के खिलाफ बैठक में अपनी बात रखते हुए नगर अधिकारियों पर अमर्यादित टिप्पणी कर दी थी। कहा था कि ठेकेदार से अधिकारी डरते हैं। डर के कारण उनके पैर कांपते हैं। इस पर नगर आयुक्त समेत सभी अधिकारियों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया था।
इस मामले में मेयर ने अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था। नगर आयुक्त ने अधिकारियों का पक्ष शासन को भेजा था। इस तकरार का असर बृहस्पतिवार को नगर निगम के कामकाज पर दिखाई दिया। नगर आयुक्त कुछ देर दफ्तर में बैठे और काम के सिलसिले में दिल्ली चले गए। बाकी अधिकारी दफ्तर में नहीं दिखाई दिए। कई लोग समस्याएं लेकर पहुंचे, लेकिन सुनवाई नहीं हो पाई। पार्षदों की आवाजाही भी नहीं रही। पूरे दिन नगर निगम के नवयुग मार्केट कार्यालय में सन्नाटा रहा।
इस स्थिति को देखते हुए लोगों का मानना था कि विकास कार्य प्रभावित होंगे। उनका कहना था कि बोर्ड की कार्यवाही निरस्त होने से भी विकास कार्यों पर असर पड़ेगा। यह बात मेयर तक पहुंच गई। उन्होंने शाम को अपने आवास पर अधिकारियों की बैठक बुलाई। उनका पक्ष सुना। अधिकारियों ने कहा कि वह विकास संबंधी योजनाओं का समर्थन कर रहे थे। पार्षद बेवजह आरोप लगा रहे थे। अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर रहे थे। विवाद बढ़ाने का कोई मकसद नहीं था। इसलिए अपने सम्मान के लिए शांतिपूर्वक बैठक छोड़ कर चले गए थे। मेयर ने पार्षदों का पक्ष पहले ही सुन लिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय लिया कि 21 सितंबर को बोर्ड बैठक की जाएगी। उसमें 62 प्रस्तावों पर चर्चा होगी। विकास कार्य नहीं रुकने दिए जाएंगे।