जींद। हरियाणा में यमुनानगर की एक अदालत ने दुष्कर्म के एक मामले में अहम फैसला दिया है। अदालत ने कहा कि सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। इसके साथ ही अदालत ने एक अस्पताल के अधीक्षक को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया। युवती ने अधीक्षक पर शादी का झांसा देकर एक साल तक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। अदालत ने इस मामले में फैसला देते हुए कहा कि पिछले एक साल से संबंध में रहने के बावजूद पीड़िता ने वारदात के तीन महीने बाद केस दर्ज कराया है,जो कि संदिग्ध है। इस टिप्पणी के साथ फास्ट ट्रैक कोर्ट की जज पायल बंसल ने यमुनानगर सिविल अस्पताल के अधीक्षक और हरियाबांस निवासी अजय त्यागी को बरी कर दिया।
यमुनानगर सिविल अस्पताल में कार्यरत एक महिला कर्मचारी की शिकायत पर 31 जुलाई्, 2016 को महिला थाना पुलिस ने अस्पताल के अधीक्षक अजय त्यागी के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज किया था। पीड़िता के मुताबिक 24 अप्रैल 2016 की रात उसके परिजन शादी में गए हुए थे। वह घर में अकेली थी। इस दौरान अजय वहां आ गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। शिकायतकर्ता महिला ने आरोप लगाया था कि पिछले एक साल से अजय उसे शादी का झांसा देकर दुष्कर्म कर रहा है।
एडवोकेट विनोद अरोड़ा ने बताया कि पीड़िता ने शिकायत में कहा कि 24 अप्रैल, 2016 की रात को करीब आठ बजे उसके साथ दुष्कर्म हुआ। उस दिन रात के आठ बजे से लेकर अगले दिन सुबह आठ बजे तक अजय त्यागी सिविल अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात थे। पीड़िता ने शिकायत में कहा कि घटना के समय वह मकान में अकेली थी। जांच में पाया गया कि उस मकान में एक किराएदार भी रहता है। वहीं पीड़िता का भाई भी दिल्ली से आया हुआ था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया।