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125 साल बाद सावन सोमवार पर दिव्य और दुर्लभ संयोग, जरूर पढ़ें

सावन का महीना 17 जुलाई से शुरू हो चुका है और 15 अगस्त को सावन पूर्णिमा के दिन शुभ श्रवण नक्षत्र यह सावन मास समाप्त हो जाएगा। यह पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है क्योंकि भगवान विष्णु के सो जाने के बाद रुद्र रूप में शिवजी सृष्टि का संचालन करते हैं। धर्म ग्रंथों में सावन के महीने को बहुत ही उत्तम और पुण्य मास कहा गया है। इसमें भी सावन के सोमवार का महत्व सबसे अधिक है। कहते हैं इसदिन भगवान शिव शिवलिंग में साक्षात निवास करते हैं और भक्तों द्वारा श्रद्धापूर्वक निवेदित किए गए प्रसाद और पूजन को स्वीकार करते हैं।
125 साल बाद बना है ऐसा संयोग
इस साल साल सावन के महीने में कई दिव्य संयोग बन रहे हैं जिसका आरंभ सावन के पहले सोमवार से हो रहा है जो 22 तारीख को है। सावन के पहले सोमवार के दिन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है जिसे भविष्य पुराण में नागपंचमी तिथि कहा गया है। सावन में सोमवार के दिन नागपंचमी तिथि का संयोग बहुत ही दिव्य और दुर्लभ माना गया है क्योंकि सदियों में ऐसा संयोग बनता है जब सावन के महीने में सोमवार के दिन नागपंचमी भी साथ हो। माना जा रहा है कि करीब 125 साल बाद ऐसा संयोग बना है जब सावन सोमवार और नागपंचमी एक साथ है। इस साल सावन के महीने में भोले बाबा की भक्तों पर असीम अनुकंपा है कि दो सोमवार को ऐसा संयोग बना है जब सोमवार और नागपंचमी साथ है।
इन राज्यों में मनाई जाएगी नाग पंचमी
पहला संयोग 22 जुलाई को बना है जब सावन सोमवार के दिन बिहार, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान आदि कई प्रांतों में नागपंचमी का त्योहार भी सावन सोमवार के साथ ही मनाया जाएगा। दूसरा शुभ संयोग 5 अगस्त को सावन के तीसरे सोमवार को बनेगा क्योकि इस दिन सावन शुक्ल पंचमी तिथि का संयोग बनेगा। इस दिन देश के कई हिस्सों में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। इन दोनों ही पंचमी तिथि का उल्लेख और महत्व भविष्य पुराण में बताया गया है।
इस दुर्लभ संयोग का ऐसे उठाएं लाभ
सावन में सोमवार के साथ नाग पंचमी का होना दिव्य संयोग माना जाता है। इस अवसर को हाथ से यूं ही नहीं जाने देना चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग बना हुआ है या सर्प योग है उन्हें इस दिन शिवलिंग के ऊपर चांदी या तांबे से बने नाग-नागिन के जोड़े को रखकर शिवजी का जलाभिषेक या दूध से अभिषेक करना चाहिए।
यह लोग भी करें पूजा
जिनके परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु सर्पदंश से हुई हो उन्हें भी इस दिन शिवजी के साथ नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। भविष्य पुराण के अनुसार जिन लोगों की मृत्यु सर्पदंश से होती है वह मृत्यु के बाद सर्प योनी में जन्म लेते हैं। नाग देवता की पूजा से उनके पूर्वज सर्प योनी से मुक्त हो जाते हैं।
होती है हर इच्छा पूरी
इस दुर्लभ संयोग में धन संपत्ति की इच्छा रखने वाले शिव भक्त जल में शहद, दूध, मिसरी, दही और घी डालकर भगवान शिव का अभिषेक करें तो उन्हें लाभ मिल सकता है। नाग पंचमी भी साथ होने से नाग देवता को दूध, धान का लावा और दूर्वा भी चढ़ाना अत्यंत शुभ फलदायी होगा। नाग देवता की पूजा करते समय नाग देवता के मंत्र का कम से कम 11 बार जप जरूर करना चाहिए- ”ओम नवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात”। धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार इस मंत्र के जप से सर्प दंश का भय दूर होता है और धन-धान्य में वृद्धि होती है।

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