साहिबाबाद। बाबा शाहमल तोमर 1857 की मेरठ क्रांति के असली हीरो थे। बिजरौल गांव के एक साधारण किसान परिवार में जन्में बाबा शाहमल तोमर ने अंग्रेजो का अधिपत्य नहीं माना और माल गुजारी देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने बड़ौत,बागपत,खेकड़ा, शामली तक अपना राज्य स्थापित कर लिया। मेरठ छावनी से दिल्ली को जाने वाली रसद पर रोक लगाते हुए उन्होंने बागपत में यमुना नदी पर बनाए गए पुल को उन्होंने बारूद से उड़ा दिया। बड़ौत तहसील को लूटकर उन्होंने दिल्ली और आसपास के इलाके में क्रांतिकारियों को रसद और सहायता पहुंचाने की रूप रेखा तैयार की।
उक्त विचार “एक अटल प्रयास” नामक एनजीओ द्वारा बाबा शाहमल तोमर के शहीदी दिवस पर गरिमा गार्डन में आयोजित कार्यक्रम में बसपा नेता सत्यपाल चौधरी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वेस्ट बंगाल की बैरकपुर छावनी में तैनात मंगल पांडे को अंग्रेजो के गाय व सूअर की चर्बी लगे कारतूस मुंह से खोलने का राज मातादीन बाल्मीकि ने फास किया था। जिसके बाद चर्बी के खिलाफ मंगल पांडे ने विद्रोह किया। चर्बी के खिलाफ शुरू हुआ विद्रोह अंग्रेजी शासन की खिलाफत तक पहुंचाने का काम मेरठ में तैनात तत्कालीन कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने किया तो उस विद्रोह को सशस्त्र आंदोलन में परवान चढ़ाने का काम बाबा शाहमल ने किया। क्षेत्र के जाट, गुर्जर, त्यागी, जाटव, मुस्लिम और राजपूत बाहुल्य गावों में नगाड़े बजाते हुए लोग बाबा शाहमल की सेना में शामिल होते गए।
सतपाल चौधरी के मुताबिक अंग्रेजी फौज का नेतृत्व कर रहे डनलप को बाबा के भतीजे भगत ने दौड़ा दौड़ा कर मारा। खाकी रिसाले यानि अंग्रेजी फौज में शाहमल की दहशत इस कदर बैठी कि अंग्रेज सैनिक मेरठ परिक्षेत्र छोड़ छोड़ कर भागने लगे। मुरादनगर के कई त्यागी व जाटव बाहुल्य गांव अंग्रेजों ने बागी घोषित कर दिए। 18 जुलाई 1857 को शाहमल और अंग्रेजी सेना का आमना सामना हो गया। यहीं बाबा अकेले अपने अंग रक्षक के साथ अंग्रेजों से घिर गए और उनकी पगड़ी खुलकर घोड़े के पैर में फंस गई। मौका पाकर अंग्रेजो ने उनकी हत्या कर दी। इतिहासकार बताते हैं कि बाबा शाहमल के मृत शरीर को उठाने की हिम्मत अंग्रेजी सैनिक नहीं जुटा सके। जिस कारण अंग्रेजो ने अपने ही उन सैनिकों को गोली से भून दिया।
बाबा शाहमल की क्रांति यही नहीं रुकी उनकी भतीजे भगत, सूरजमल, लिजाराम जाट व नरपत सिंह की अगुवाई में अंग्रेजो से युद्ध जारी रहा। आखिर अंग्रेजो ने 32 क्रांतिकारियों को बिजरौल गांव में फांसी दे दी और बाबा शाहमल के सिर को भाले पर टांग कर महीनों पूरे मेरठ क्षेत्र में अंग्रेजी सेना की पूरी प्लाटून लगाकर जुलूस निकाला ताकि क्रांति की ज्वाला को ठंडा किया जा सके। इस अवसर पर बाबा शाहमल को श्रद्धांजलि दी गई। संस्था के अध्यक्ष चौधरी आजाद छिल्लर और ब्रजेश कुमार ने सबका आभार व्यक्त किया। वक्ताओं में विवेक सिंह, इकबाल कवि, विक्रम सिंह धनकड़, महान क्रांतिकारी राजा नाहर सिंह के प्रपौत्र हरवीर सिंह तेवतिया, सचिन खोखर, वीरपाल राठी, नवीन चौधरी, राजकुमार तेवतिया, सपा नेत्री राजदेवी चौधरी शामिल थे। संचालन साजन सिंह ने किया।