नई दिल्ली। भारतीय सेना की ताकत मे और इजाफा होने जा रहा है। तीसरी पीढ़ी की टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल ‘नाग’ का पोखरण फायरिंग रेंज में सफल परीक्षण करने के साथ ही इसके सेना में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। रक्षा मंत्रालय ने कठोर परीक्षणों के बाद ‘नाग’ मिसाइलों को शामिल करने की जरूरत को स्वीकार्यता प्रदान की है। ‘नाग’ के भारतीय सेना में शामिल होने से भारत दुश्मन देश पाकिस्तान से मीलों आगे निकल जाएगा।
युद्ध के हालात में ‘नाग’ मिसाइल अपने आप में किसी योद्धा से कम नहीं है। यह मिसाइल सभी मौसम में दुश्मनों के पूरी तरह सुरक्षित युद्धक टैंकों को न्यूनतम 500 मीटर और अधिकतम चार किलोमीटर की दूरी से भेदने की क्षमता के साथ विकसित की गई है।
DRDO की बनाई यह हल्की और कम दूरी की स्वदेशी मिसाइल दुश्मन के टैंकों को एक ही पल में तबाह करने में सक्षम है। इस साल के आखिर तक नाग मिसाइल का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद भारतीय सेना को इससे लैस किया जाएगा।
ये भी खूबियां
- यह मिसाइल थर्मल इमेज के जरिये अचूक निशाना साधती है और दुश्मन के टैंक का पीछा करते हुए उसे तबाह कर देती है।
- नाग मिसाइल वजन में इतनी हल्की है कि इसे आसानी से ले जाकर उपयोग में ला सकते हैं। इसे किसी ऊंची पहाड़ी पर या दूसरी किसी जगह पर मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल के जरिए ले जाना काफी आसान है। इसका कुल वजन मात्र 42 किलो है।
- यह दिन और रात दोनों समय दुश्मन पर वार कर सकती है। इस मिसाइल को 10 साल तक बिना किसी रखरखाव के इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय सेना आठ हजार नाग मिसाइल खरीद सकती है। शुरुआती दौर में ही 500 नाग मिसाइलों का ऑर्डर दिया जाने वाला है। इस मिसाइल का निर्माण देश की सरकारी कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड (हैदराबाद) करेगी।
असल में भारत के मिसाइल परीक्षण के साथ-साथ पाकिस्तान भी लगातार अपने मिसाइल परीक्षण को धार दे रहा है। भारत अगर अग्नि, त्रिशूल, नाग, पृथ्वी नाम की मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है तो वहीं पाकिस्तान भी गौरी, शाहीन और कई खतरनाक मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। लेकिन सामरिक दृष्टि से देखें तो वर्तमान में भारत पाकिस्तान से काफी आगे है, क्योंकि भारत स्वदेशी मिसाइलों का उत्पादन करने में सक्षम है, जबकि पाक अब तक विदेशी हथियारों पर ही निर्भर है।