उत्तर प्रदेशदेश

छह महीने में 24,000 बच्चों से यौन उत्पीड़न, CJI बोले- 50% में तो जांच ही नहीं

नई दिल्ली। देश में बच्चों के यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 जुलाई 2019) को स्वत: संज्ञान लेते हुए चिंता जाहिर की है। इसके साथ ही कोर्ट ने वरिष्ठ वकील वी गिरी को कोर्ट सलाहकार बनाया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने अखबारों और न्यूज वेबसाइट पर बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न की आए दिन आने वाली मीडिया रिपोर्ट्स पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वह खुद इस मामले में संज्ञान लेंगे और इसका परीक्षण करेंगे।

साफ है सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से रेप और मर्डर के कानून को सख्त बनाने के बावजूद मामलों में लगातार बढ़ोतरी को कम करने के लिए इस पर सख्ती से निपट रहा है। कानून में 12 साल से कम उम्र के बच्चों के बलात्कारियों को मौत की सजा का प्रावधान है और पिछले साल पोस्को कानून में संशोधन करने के बावजूद मालमों में लगातार बढ़ोतरी जारी है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि कोर्ट सलाहकार को इस मामले पर सोमवार को अपना पक्ष रखने को कहा है।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से पिछले 6 महीने के दौरान बच्चों के साथ रेप के कितने मामले सामने आए, कितने मामलों पर चार्जशीट दाखिल हुई और कितने मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं इस पर रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट में सामने आया है कि देशभर में पिछले 6 महीनों के दौरान 24,000 बच्चों से यौन उत्पीड़न के मामले सामने आए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक जनवरी से लेकर 30 जून 2018 तक कुल 24212 मामले सामने आए हैं। और देश के अलग-अलग हिस्सों में इन मामलों में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इनमें से 11981 मामलों में पुलिस अभी भी जांच कर रही है यानि कि 50% में तो जांच ही नहीं हुई है। इसके अलावा 12231 मामलों में पुलिस ने चार्जशीट दायर कर चुकी है। 6449 मामलों में ट्रायल शुरू कर दिया है वहीं 4871 में अभी भी ट्रायल शुरू होना बाकी है। जबकि ट्रायल कोर्ट में 911 मामलों में ही फैसला सुनाया है यानि कि कुल मामलों में से सिर्फ 4 प्रतिशत में ही कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई है। आंकड़ों पर गौर करने के बाद सीजेआई ने कहा कि इनमें से 50 प्रतिशत में तो जांच ही नहीं हुई है।

24212 मामलों में उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस ने यौन हिंसा की 3457 रिपोर्ट दर्ज की है जिनमें से 1779 मामलों की जांच अभी भी जारी है। इसके बाद मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर है यहां बच्चियों के साथ यौन शोषण के 2389 मामलों पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है जिनमें से 1841 मामलों में चार्जशीट दायर की जा चुकी है।

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