विदेश

रूस ने नहीं भेजा न्योता, इमरान खान को फिर झेलनी पड़ी शर्मिंदगी

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को एक बार फिर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है. सोमवार को रूस ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम में आमंत्रित नहीं किया गया है. यह बैठक रूस की पोर्ट सिटी व्लादिवोस्टोक में होने वाली है.

पाकिस्तानी मीडिया में पिछले सप्ताह से ही रिपोर्ट्स चल रही थीं कि इमरान खान को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से निमंत्रण मिला है. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि पिछले महीने बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन की शिखर वार्ता के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन ने पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान को आमंत्रित किया था. रूस के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को अपने बयान में कहा, हमारे संज्ञान में दक्षिण एशियाई मीडिया की कुछ रिपोर्टस आई हैं जिनमें कहा गया है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को व्लादिवोस्टोक में 4-6 सितंबर के दौरान होने वाली ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम की बैठक में गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर बुलाया गया है, हम इस संबंध में कुछ स्पष्टीकरण देना चाहते हैं…”

फोरम की बैठक में आमंत्रित नेताओं के बारे में स्थिति साफ करने के लिए सोमवार को जारी बयान में कहा गया, हम मंगोलिया के राष्ट्रपति एच. बटुलगा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को व्लादिवोस्टोक में पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं. कुल मिलाकर, 3 देशों के प्रधानमंत्री और एक देश के राष्ट्रपति को फोरम में आमंत्रित किया गया है. 2015 में इस फोरम की स्थापना हुई थी जिसका उद्देश्य रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में विदेशी निवेश लाना है.

यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोरम में बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर आमंत्रित किया गया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 1 जनवरी को टेलिफोन पर बातचीत के जरिए पीएम मोदी को आमंत्रित किया था और उसके बाद फरवरी महीने में फिर से बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया. रूसी संघ में भारतीय राजदूत वेंकटेश वर्मा ने बताया, इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत से एक प्रतिनिधि दल भी फोरम की बैठक में शामिल होगा.रूसी फेडरेशन अध्यक्ष के सलाहकार एंटॉन कोब्याकोव और राजदूत वेंकटेश वर्मा ने मॉस्को में मुलाकात की जिसमें भारतीय प्रतिनिधिदल के शामिल होने को लेकर तैयारियों पर चर्चा की गई.

मॉस्को के बयान में कहा गया, इस मुलाकात में रूसी-भारतीय रणनीतिक सहयोग को रेखांकित किया गया और इसे दोनों शक्तिशाली देशों के बीच भरोसे की बेहतरीन मिसाल करार दिया गया. भारतीय राजदूत से मुलाकात के बाद एंटॉन कोब्याकोव ने कहा, मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी से सुदूर पूर्वी क्षेत्र में दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश सहयोग एक नई ऊंचाई पर पहुंचेगा. भारत की प्रतिनिधि स्तर की भागेदारी से दोनों देश ज्यादा करीब से मिलकर काम कर सकेंगे, यह सहयोग केवल आर्थिक तौर पर ही नहीं बल्कि मानवतावादी स्तर पर भी होगा.

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