गाजियाबाद। दिल्ली-टू-मेरठ हाईस्पीड ट्रेन पर आने वाले करीब ३२०० करोड़ रुपये के खर्च की भरपाई के लिए कंसलटेंट कंपनी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर एनसीआरटीसी के पास भेज दी है। इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि प्रभावित विकास प्राधिकरण जिसमें जीडीए और एमडीए को बिल्ट-अप-एरिया पर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्ज लगाने का सुझाव दिया गया है। यह चार्ज अगले 10 वर्षों से लेकर 20 वर्षों तक जब तक कि हुए खर्च की भरपाई हो लगाने का सुझाव दिया गया है।
दिल्ली से मेरठ तक इस हाईस्पीड ट्रेन को दो चरणों में पूरा किया जा रहा है। पहला चरण सराय काले खां से गांव दुहाई तक और दूसरा चरण दुहाई से लेकर मेरठ तक बनाया जाएगा। कुल मिलाकर 46 किमी लंबा पहला ट्रैक तैयार होगा। ट्रेन के लिए अंडरग्राउंड और एलिवेटेड ट्रैक तैयार किया जाएगा, जिस पर करीब 32 हजार करोड़ रुपया खर्च होगा। जापान सरकार से प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार लोन ले रही है। मगर इसकी भरपाई के लिए एनसीआरटीसी द्वारा एक कंसलटेंट कंपनी नियुक्त की गई। कंपनी की ओर से खर्च में भरपाई के लिए जो रिपोर्ट दी गई उसके हिसाब से गाजियाबाद और मेरठ विकास प्राधिकरण को सुझाव दिये गये हैं। इसमें सबसे बड़ा सुझाव है कि बिल्डअप एरिया पर इन्फ्रास्ट्रक्चर चार्ज लगाया जाए। अभी तक यह पॉलिसी गाजियाबाद में लागू नहीं है। इसके अलावा कंसलटेंट कंपनी ने जिले में होने वाली रजिस्ट्री पर एक प्रतिशत शुल्क अतिरिक्त लगाने का सुझाव भी दिया है। खर्च की भरपाई के लिए जो सुझाव दिये गये हैं उन्हें वेल्यू कैप्चर फाइनेंस (वीसीएफ) नाम दिया गया है।
इसके अलावा कंसलटेंट कंपनी ने कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा महायोजना में भूउपयोग परिवर्तन की तर्ज पर शुल्क लेने का भी सुझाव दिया है। इस प्रक्रिया के तहत खेती के अलावा जिस भी तरह का यूज किसी जमीन पर है उसी के हिसाब से अतिरिक्त चार्ज लेने का प्लान है। रीजनल एरिया पर भी टीओडी (ट्रांजिट ओरिएंटल डेवलपमेंट चार्ज) लेने की सिफारिश की गई है। रियल स्टेट में क्रय योग एफएआर पर टीओडी लगाने आरआरटीएस से प्रभावित एरिया के भूमि मूल्यों पर पड वाले प्रभाव में भी शेयरिंग करने का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर शुल्क लागू करने आईजेड तथा एसबीए में अतिरिक्त एफएआर का विक्रय करने, प्रत्येक मानचित्र में भू उपयोग शुल्क लेने का सुझाव दिया गया है। एलिवेटेड रोड की तर्ज पर आरआरटीएस के लिए भी विकास शुल्क लगाने को कहा गया है।
इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि हाईस्पीड ट्रेन से भले ही कुछ खास लोगों को फायदा होगा, मगर इससे खासकर रियल स्टेट सेक्टर में मंदी के इस दौर में महंगाई का असर दिखाई देने वाला है। इसी के जरिये हाईस्पीड ट्रेन पर आने वाले खर्च की भरपाई गाजियाबाद के लोगों से की जाएगी।