latest-newsअपराधएनसीआरदिल्ली

दिल्ली में फर्जी वीजा बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़, मोबाइल फोन और गैजेट के साथ 3 गिरफ्तार

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली क्राइम ब्रांच की सेंट्रल रेंज (सीआर)की एक टीम ने कुशीनगर के रहने वाले 03 व्यक्तियों -चंदन बरनवाल, आज़ाद प्रताप राव और रितेश तिवारी के रहने वाले लोगों को गिरफ्तार किया है. इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने विदेशी नौकरी चाहने वालों से बड़ी रकम वसूली और विभिन्न देशों के वीजा का वादा करके एक बड़ा घोटाले को अंजाम दिया.

यह मामला VFS ग्लोबल के सलाहकार आनंद सिंह की शिकायत के बाद दर्ज किया गया था. यह कंपनी वीजा, पासपोर्ट और काउंसलर सेवाओं के लिए आउटसोर्सिंग और प्रौद्योगिकी सेवाएं प्रदान करती है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि परवीन साहू और अजीत साहू ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से खुद को वीएफएस अधिकारियों के रूप में गलत तरीके से पेश किया. उन्होंने आवेदकों से बड़ी रकम के बदले जाली वीजा नियुक्ति पत्र जारी किए.

दिल्ली में किया गया मामला दर्ज

आरोपियों ने अपने ऑनलाइन प्रोफाइल में वीएफएस लोगों का दुरुपयोग किया और धोखाधड़ी वाले ईमेल आईडी के माध्यम से पीड़ितों से संवाद किया, जिससे धोखाधड़ी और बढ़ गई. जिसके बाद एफआईआर संख्या 158/24, धारा 318 (4) / 319 (2) / 61 बीएनएस और 66 आईटी अधिनियम के तहत प क्राइम ब्रांच थाना, दिल्ली में मामला दर्ज किया गया. इसकी जांच सेंट्रल रेंज, क्राइम ब्रांच, दिल्ली ने की.

वीजा चाहने वालों से मोटी रकम भी ले रहे थे

ACP क्राइम ब्रांच के मुताबिक मामले की जांच टेक्निकल थी. फेसबुक, एक्स, लिंकडिन आदि सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कथित व्यक्तियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी ऑनलाइन प्रोफाइल की पहचान की गई, जहां यह पाया गया कि वे खुद को वीएफएस ग्लोबल के अधिकृत प्रतिनिधि होने का दावा करके वीएफएस लोगो का उपयोग कर रहे थे और वीएफएस ग्लोबल द्वारा प्रदान की जा रही सभी वीजा संबंधी सेवाएं प्रदान करने का आश्वासन दे रहे थे. इसके बदले में आरोपी बतौर VFS कर्मचारी विभिन्न देशों के लिए वीजा संबंधी सेवाएं/अपॉइंटमेंट प्रदान करने/व्यवस्थित करने के लिए भोले-भाले पीड़ितों/वीजा चाहने वालों से मोटी रकम भी ले रहे थे.

ACP क्राइम ब्रांच के मुताबिक आरोपी व्यक्तियों ने खुद को VFS अधिकारी के रूप में दिखाने के लिए कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यानी फेसबुक/इंस्टाग्राम/लिंक्डइन आदि का इस्तेमाल किया. आरोपियों ने इसके लिए VFS लोगों का भी इस्तेमाल किया. आरोपी सोशल मीडिया के माध्यम से वीजा नियुक्ति पत्र के लिए जरूरतमंद लोगों से संपर्क करते थे और उन्हें बताते थे कि वे हर श्रेणी के लिए वीजा नियुक्ति पत्र प्रदान करेंगे. आरोपियों ने खासतौर से उन लोगों को टारगेट किया जिन्हें रोजगार वीजा की जरूरत होती थी. क्योंकि रोजगार वीजा नियुक्ति मिलना मुश्किल होता है.

नियुक्ति पत्र के लिए 2.5 लाख रुपये की ठगी की गई

आरोपी व्यक्ति लोगों को लुभाते थे और अलग-अलग खातों में अच्छी रकम ट्रांसफर करवाते थे. इस पर वे पर्यटक/व्यावसायिक श्रेणी का वीजा लेते थे और ‘लव पीडीएफ एडिटर’ की मदद से इसे रोजगार श्रेणी में एडिट करके लोगों को भेजते थे. क्राइम ब्रांच ने जांच के दौरान आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए 6 फेसबुक/जीमेल खातों का विवरण गूगल और अन्य रजिस्ट्रार से निकाला और पाया आईडी/ऑनलाइन सोशल मीडिया खातों के लिए कई लोगों के नाम पर कई सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया था. क्राइम ब्रांच ने टेक्निकल जांच पर पीड़ितों में से एक आमिल शेख की पहचान की, जिससे आरोपियों ने पोलैंड के वीजा के लिए नियुक्ति पत्र के लिए 2.5 लाख रुपये की ठगी की गई थी, जो जाली निकला.

टीम ने पूरी सफलता डीसीपी क्राइम ब्रांच विक्रम सिंह की निगरानी में हासिल की. टीम ने कई ईमेल आईडी, फर्जी सिम कार्ड और व्यापक बैंक और वीएफएस रिकॉर्ड का विश्लेषण किया और जालसाजों द्वारा इस्तेमाल किए गए बैंक खातों और मोबाइल नंबरों का पता लगाया. मास्टरमाइंड, चंदन बरनवाल, जिसका नाम प्रवीण साहू था, को 06.11.2024 को यूपी से पकड़ा. छापेमारी के दौरान, दस्तावेज़ जालसाजी के लिए इस्तेमाल किए गए हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर, मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप और धोखाधड़ी वाले भुगतान प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किए गए बैंक खातों सहित कई साक्ष्य जब्त किए.

बैंक रिकॉर्ड की जांच से पता चला कि इस अवैध ऑपरेशन के ज़रिए वीज़ा अप्वाइंटमेंट लेटर के लिए कई बुकिंग की गई थी. ACP क्राइम ब्रांच के मुताबिक अपने कबूलनामे में आरोपी चंदन बरनवाल ने खुलासा किया कि उसने एक अन्य मुख्य आरोपी रितेश तिवारी और आज़ाद प्रताप राव ने मदद की थी, जो हट्टा, कुशीनगर, यूपी के रहने वाले हैं. चंदन बरनवाल और रितेश ने मिलकर असली नियुक्ति पत्रों में हेराफेरी की, वीज़ा श्रेणियों को बदला, जबकि आज़ाद प्रताप ने बैंक खाते का विवरण दिया जिसमें धोखाधड़ी से मिले पैसों को ट्रांसफर किया गया. क्राइम ब्रांच ने रितेश तिवारी और आज़ाद प्रताप राव दोनों को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया.

आरोपियों की प्रोफाइल

पहला आरोपी – मास्टरमाइंड रितेश तिवारी – निवासी कुशीनगर ने गोरखपुर, यूपी से एमबीए/बीबीए डिग्री ली है. वह पहले भीकाजी कामा पैलेस में इमिग्रेशन कंसल्टेंसी से जुड़ी एक कंपनी में काम करता था. वह चंदन बरनवाल के साथ मिलकर सोशल मीडिया के जरिए पीड़ितों से संपर्क करता था और उन्हें ठगता था. वह इस घोटाले का मास्टरमाइंड है. 2. आरोपी- चंदन बरनवाल निवासी कुशीनगर, कंप्यूटर का बहुत अच्छा ज्ञान है. वह रितेश के साथ मुख्य साजिशकर्ता है और सोशल मीडिया के माध्यम से पीड़ितों से संपर्क करता था और उन्हें धोखा देता था. उसने वीजा नियुक्ति पत्र को भी संपादित/जाली करके पीड़ितों को भेजा.

3. आरोपी डॉ. आज़ाद प्रताप राव निवासी कुशीनगर, वो ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा धारक हैं और हट्टा कुशीनगर उत्तर प्रदेश में अपना क्लिनिक/दुकान भी चलाता है. आरोपी बैंक खाते का विवरण देते थे, जिसके जरिए उन्हें पीड़ितों से पैसे मिलते थे. क्राइम ब्रांच आगे की पड़ताल कर रही है, पीड़ितों की एक लंबी सूची है और अभी भी व्यापक धन-संग्रह की जांच की जा रही है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com