विशेष संवाददाता
मुंबई। टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बुधवार देर रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल की इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू ) में एडमिट थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।
टाटा का पार्थिव शरीर नरीमन पॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए ) में रखा गया है। यहां लोग शाम 4 बजे तक अंतिम दर्शन कर सकेंगे। शाम को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा को 7 अक्टूबर को भी आईसीयू में भर्ती किए जाने की खबर थी। हालांकि, उन्होंने ही इसका खंडन करते हुए कहा था कि वे ठीक हैं, रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल पहुंचे हैं।
शौक की लहर
रतन टाटा के निधन से देश में शोक की लहर है। सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। मुंबई में उनकी पार्थिव देह के अंतिम दर्शनों के लिए लोगों का तांता लगा है। प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर हैं, इसलिए गृह मंत्री अमित शाह उनके अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। उनका अंतिम संस्कार विले पार्ले में होगा। महाराष्ट्र और झारखंड में एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है।
नमक से लेकर हवाई जहाज तक फैला है टाटा ग्रुप का बिजनेस, रतन टाटा ने बुलंदियों तक कैसे पहुंचाया
‘भारत का पहला प्राइवेट स्टील प्लांट किसने लगाया, पहला फाइव स्टार होटल किसने बनाया, पहला पावर प्लांट, पहली सॉफ्टवेयर कंपनी, पहली कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की नींव किसने रखी… वो रोल मॉडल हैं। संपत्ति क्या है? वे समाज की भलाई के लिए पैसा कमा रहे हैं। इससे अच्छा काम भला एक इंसान और क्या कर सकता है। इसीलिए वे जिंदगी में मेरे रोल मॉडल हैं।’
रतन टाटा के बारे में ये शब्द थे भारतीय शेयर मार्केट के ‘बिग बुल’ कहे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला के। इसी से रतन टाटा की शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि रतन टाटा का कारोबारी सफर कैसे शुरू हुआ और उन्होंने टाटा ग्रुप को बुलंदियों के मुकाम पर कैसे पहुंचाया?
रतन टाटा पढ़ाई खत्म करने के बाद सीधे टाटा ग्रुप से नहीं जुड़े। उनकी पहली नौकरी अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी- इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉर्पोरेशन (IBM) में थी। इसकी भनक उनके परिवार को भी नहीं थी। जब टाटा ग्रुप के तत्कालीन चेयरमैन जेआरडी टाटा (JRD Tata) को रतन टाटा की नौकरी का पता चला, तो वह काफी नाराज हुए।
उन्होंने रतन टाटा को फोन किया और अपना बायोडाटा शेयर करने को कहा। उस वक्त रतन टाटा के पास अपना बायोडाटा भी नहीं था। उन्होंने आईबीएम में ही टाइपराइटर पर अपना बायोडाटा बनाया और उसे जेआरडी टाटा के पास भेजा। इसके बाद 1962 में टाटा ग्रुप से आधिकारिक तौर पर जुड़े। वह भले ही टाटा परिवार के सदस्य थे, लेकिन उन्होंने पहले निचले स्तर पर काम करके तजुर्बा लिया।
रतन टाटा साल 1991 में टाटा संस (Tata Sons) और टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने। उनकी अगुआई में टाटा ग्रुप ने नई बुलंदियों को छुआ। रतन टाटा ने 21 साल तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया। उन्होंने 2012 में चेयरमैन का पद छोड़ दिया, लेकिन टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, और टाटा केमिकल्स के चेयरमैन एमेरिटस बने रहे। उनके मार्गदर्शन में इन कंपनियों ने बुलंदी के नए मुकाम को छुआ।
कितनी संपत्ति छोड़ गए रतन टाटा
Tata Group का कारोबार दुनिया में फैला हुआ है। इसका दखल रसोई का नमक बनान से लेकर आसमान में हवाई जहाज उड़ाने तक है। टाटा ग्रुप के पास 100 से अधिक लिस्टेड और अनलिस्टेड कंपनियां हैं। इनका कुल बिजनेस तकरीबन 300 अरब डॉलर का है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिवंगत रतन टाटा (Ratan Tata Net Worth) अपने पीछे अनुमानित तौर पर करीब 3800 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ गए हैं।
रतन टाटा की परोपकार कार्यों में गहरी दिलचस्पी थी। उनकी दरियादिली की अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दान में जाता था। ये दान टाटा ट्रस्ट होल्डिंग कंपनी के तहत होता था। रतन टाटा हर मुश्किल के वक्त देश के लोगों के साथ खड़े रहते थे। फिर चाहे वह 2004 की सुनामी हो, या फिर कोरोना महामारी का प्रकोप।
रतन टाटा अपने सामाजिक कार्यों के साथ आर्थिक तंगी से जूझने वाले छात्रों की भी आगे बढ़ने में मदद करते थे। उनका ट्रस्ट मेधावी छात्रों को पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप देता है। यह स्कॉलरशिप J.N. Tata Endowment, Sir Ratan Tata Scholarship और Tata Scholarship के माध्यम से दी जाती है।
बेजुबानों के मसीहा और उद्योग जगत के चांद थे
भारतीय उद्योगपति पद्मविभूषण रतन टाटा ने कल दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने 86 साल की उम्र में मुंबई में अपनी आखिरी सांस ली। पद्मविभूषण रतन टाटा के स्वर्गवास की खबर से पूरे देश में हलचल मची हुई है। सोशल मीडिया पर कई राजनेता से लेकर फिल्मी सितारे और आम जनता सभी इनके देहांत की खबर सुनकर शोक जता रहे हैं।
रतन टाटा का जन्म एक पारसी परिवार में ब्रिटिश राज के दौरान मुंबई में 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा था और माता का नाम सूनी कमिसारीट था। महज 10 साल की उम्र में वो अपने माता-पिता से अलग हो गए थे, जिसके बाद उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने जेएन पेटिट पारसी अनाथालय के माध्यम से उन्हें गोद ले लिया। इसके बाद इनका लालन-पालन उनके सौतेले भाई नोएल टाटा के साथ हुआ।
वर्ली में पारसी रीति रिवाजों से होगा अंतिम संस्कार
रतन टाटा का अंतिम संस्कार उनके पारसी रीति-रिवाजों के तहत होगा. जानकारी के मुताबिक टाटा के पार्थिव शरीर को शाम 4 बजे के करीब मुंबई के वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्निदाह सेंटर में रखा जाएगा. जहां थोड़ी देर तक प्रार्थना के बाद उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. आपको बताते चलें कि पारसी लोगों का अंतिम संस्कार हिंदुओं के दाह संस्कार और मुसलमानों की तरह सुपुर्दे खाक या फिर इसाइयों की तरह दफनाने की प्रथा से काफी अलग तरह से होता है. पारसी लोग मानते हैं कि मानव शरीर प्रकृति का दिया तोहफा है. ऐसे में मौत के बाद उसे उसी तरह प्रकृति को लौटा दिया जाना चाहिए. पूरी दुनिया में पारसी अपने परिजनों का अंतिम संस्कार इसी तरह से करते हैं. इस प्रथा में ‘
महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट बैठक में गुरुवार को महान उद्योगपति रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथ ही कैबिनेट में रतन टाटा को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने का भी प्रस्ताव पेश कर केंद्र सरकार से सिफारिश की है।
मोदी-राहुल और सुंदर पिचाई समेत बिजनेस घरानों ने शोक जताया
टाटा चेयरमैन एन चंद्रशेखरन: हम अत्यंत दुख के साथ रतन टाटा को विदाई दे रहे हैं। समूह के लिए टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं ज्यादा थे। मेरे लिए वे एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे।
राष्ट्रपति मुर्मू: भारत ने एक ऐसे आइकॉन को खो दिया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट ग्रोथ, राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की विरासत को आगे बढ़ाया है।
PM नरेंद्र मोदी: टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक टाटा ग्रुप को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान बोर्ड रूम से कहीं आगे तक गया।
राहुल गांधी: रतन टाटा दूरदृष्टि वाले व्यक्ति थे। उन्होंने बिजनेस और परोपकार दोनों पर कभी न मिटने वाली छाप छोड़ी है। उनके परिवार और टाटा कम्युनिटी के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।
मुकेश अंबानी: ये भारत के लिए बहुत दुखद दिन है। रतन टाटा का जाना ना सिर्फ टाटा ग्रुप, बल्कि हर भारतीय के लिए बड़ा नुकसान है। व्यक्तिगत तौर पर रतन टाटा का जाना मुझे बहुत दुख से भर गया है, क्योंकि मैंने अपना दोस्त खो दिया है।
गौतम अडाणी: भारत ने एक महान और दूरदर्शी व्यक्ति खो दिया है। टाटा ने मॉडर्न इंडिया के पाथ को रीडिफाइन किया। टाटा सिर्फ एक बिजनेस लीडर नहीं थे, उन्होंने करुणा के साथ भारत की भावना को मूर्त रूप दिया।
आनंद महिंद्रा: मैं रतन टाटा की अनुपस्थिति को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं। रतन टाटा को भुलाया नहीं जा सकेगा, क्योंकि महापुरुष कभी नहीं मरते।
सुंदर पिचाई: रतन टाटा से पिछली मुलाकात के दौरान उनका विजन सुनना मेरे लिए प्रेरणादायक था। वे एक्स्ट्राऑर्डिनरी बिजनेस लीगेसी छोड़ गए हैं। उन्होंने भारत में मॉडर्न बिजनेस लीडरशिप को मार्गदर्शन देने और डेवलप करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।