मृत्युंजय सिंह
नई दिल्ली । देश की शायद ही ऐसी कोई एजेंसी हो जिसने हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी की झोली में सत्ता की चाभी मिलने का दावा किया हो, लेकिन जब नतीजे सामने आए तो सबकी भविष्यवाणी धूल चाटती नजर आई. बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं, कांग्रेस के खाते में 37 सीटें आई. बीजेपी की जीत के साथ ही देश का सियासी पारा हाई हो गया है और हर तरफ अटकलें लगाई जा रही हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ, जिससे बीजेपी को प्रचंड बहुमत हासिल हो गया. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह वंशवाद है और कांग्रेस का वंशवाद बीजेपी को फायदा पहुंचा गया. बीजेपी ने जिन वंशवादियों को टिकट दिया, उनमें से ज्यादातर का कनेक्शन कांग्रेस से था और उन्होंने जीत दर्ज की.
वंशवाद के चलते भाजपा को 8 में से 7 सीटों पर मिली जीत
हरियाणा में भाजपा ने जिन 8 वंशवादियों को मैदान में उतारा था, उनमें से सात ने चुनाव में जीत दर्ज की है और इनमें से ज्यादातर कांग्रेस की पृष्ठभूमि वाले परिवारों से थे. 8 वंशवादी नेताओं में सिर्फ कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को आदमपुर सीट पर 1268 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. भले ही भारतीय जनता पार्टी खुद को कैडर लाइन पर काम करने वाली पार्टी मानती है, लेकिन उसने जिन वंशवादियों को मैदान में उतारा था, उनमें उसे पूरी सफलता मिली.
बीजेपी के ज्यादातर वंशवादियों का कांग्रेस से कनेक्शन
बीजेपी ने जिन वंशवादी नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा था, उनमें से ज्यादातर का कनेक्शन कांग्रेस से है. पूर्व कांग्रेस नेता विनोद शर्मा की पत्नी और राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा की मां शक्ति रानी शर्मा ने भाजपा के टिकट पर कालका सीट 10883 वोटों से जीत दर्ज की है. केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने भाजपा के टिकट पर अटेली सीट पर 3085 मतों से जीत दर्ज की. उन्होंने बसपा उम्मीदवार अत्तर लाल को हराया. राव इंद्रजीत सिंह भी एक दशक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे.
वरिष्ठ नेता किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी ने जून 2024 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद तोशाम सीट पर 14257 मतों से जीत दर्ज की है. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को कई बार पैरोल दिलाने वाले पूर्व जेलर सुनील सांगवान ने दादरी सीट पर भाजपा के टिकट पर कांग्रेस उम्मीदवार को 1957 वोटों से हराया है. वे पूर्व सांसद सतपाल सांगवान के बेटे हैं, जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था.
पूर्व आईएनएलडी विधायक हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा ने जींद सीट पर भाजपा उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की है और कांग्रेस उम्मीदवार को 15860 वोटों से हराया है. राव नरबीर सिंह ने भाजपा के टिकट पर बादशाहपुर सीट पर 60,705 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की. वह हरियाणा के पूर्व मंत्री राव महावीर सिंह यादव के बेटे और पंजाब के दिवंगत एमएलसी मोहर सिंह यादव के पोते हैं.
पूर्व विधायक करतार सिंह भड़ाना के बेटे मनमोहन भड़ाना ने भाजपा के टिकट पर समालखा सीट पर 19315 वोटों से जीत हासिल की है. सीनियर भड़ाना ने 1999 में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब हरियाणा विकास पार्टी से उनके अलग हुए विधायकों ने देवी लाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला का समर्थन किया था. 2012 में करतार सिंह ने रालोद के टिकट पर खतौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव जीता था. हाल ही में वह भाजपा में शामिल हुए हैं.