विशेष संवाददाता
वॉशिंगटन । वॉशिंगटन डीसी में मंगलवार (10 सितंबर, 2024) को ‘नेशनल प्रेस क्लब’ में भारत के विपक्षी नेता राहुल गाँधी ने भारतीय लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आज़ादी की स्थिति और देश की आर्थिक प्रगति पर सवाल उठाए। शुरुआत में ही उन्होंने दावा किया, “मुझे लगता है कि 2014 में भारत की राजनीति बहुत नाटकीय रूप से बदल गई। हमने एक ऐसे राजनीतिक दौर में प्रवेश किया जिसे हमने पहले कभी नहीं देखा। ये आक्रामक और हमारे लोकतांत्रिक ढांचे की नींव पर हमला करने वाला है।”
अपनी लक्जरियस राजनीतिक पदयात्रा (‘भारत जोड़ो यात्रा’) का महिमामंडन करने के अपने प्रयास में, राहुल गाँधी ने आरोप लगाया, “मीडिया को दबाया गया, संस्थानों पर नियंत्रण कर लिया गया, एजेंसियाँ विपक्ष पर हमला कर रही थीं, राज्य सरकारें गिराई जा रही थीं, और हमें लगा कि लोगों तक सीधे पहुँचने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।”
गाँधी परिवार के ‘शहज़ादे’ ने अमेरिका में अपने मीडिया इंटरैक्शन का उपयोग घरेलू राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए किया। उन्होंने न केवल घरेलू राजनीतिक मामलों को उछाला बल्कि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (RSS) को भी बदनाम किया।
उन्होंने बेशर्मी से कहा, “भारत में कॉन्ग्रेस और हमारे सहयोगियों के बीच और भाजपा और आरएसएस के बीच एक वैचारिक युद्ध चल रहा है। भारत के दो बिल्कुल अलग दृष्टिकोण हैं। हम एक बहुलतावादी दृष्टिकोण में विश्वास करते हैं, एक ऐसा दृष्टिकोण जहाँ हर किसी को फलने-फूलने का अधिकार है, सभी कल्पनाएँ स्वतंत्र रूप से घूम सकती हैं, एक ऐसा भारत जहाँ आपको इस आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जाता कि आप किस धर्म में विश्वास करते हैं या आप किस समुदाय से आते हैं या आप कौन सी भाषा बोलते हैं, इसके विपरीत एक बहुत ही कठोर केंद्रीकृत दृष्टिकोण है।”
राहुल गाँधी ने राजनीतिक रूप से प्रेरित जातिगत जनगणना का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने जोर देकर कहा, “मैं बार-बार कह रहा हूँ कि हम आरक्षण को 50% से अधिक बढ़ाएँगे।”
राहुल गाँधी ने ‘विक्टिम कार्ड’ खेला, भारत की तुलना सीरिया और इराक से की
उन्होंने राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार के रूप में कॉन्ग्रेस पार्टी को भी पेश किया जब उसके खाते ₹135 करोड़ का टैक्स न चुकाने पर फ्रीज कर दिए गए।
उन्होंने कहा, “हमने अपना बैंक खाता फ्रीज होने के बावजूद चुनाव लड़ा। अब, मुझे नहीं पता, मुझे नहीं पता कि कोई ऐसा लोकतंत्र है जहाँ ऐसा हुआ हो। शायद, आप जानते हैं, इस तरह की चीज़ें सीरिया या इराक में हुआ करती थीं।” राहुल गाँधी ने भारत और असफल इस्लामी मुल्कों के बीच झूठी समानता स्थापित की।
अपने मीडिया इंटरैक्शन के दौरान, राहुल गाँधी ने यह भी आरोप लगाया, “तो भारतीय लोकतंत्र पर हमला हुआ है, इसे बहुत बुरी तरह कमजोर किया गया है, और अब यह वापस लड़ रहा है।” गाँधी युवराज तीन दिन की अमेरिका यात्रा पर हैं।
गाँधी परिवार के युवराज की विवादास्पद बांग्लादेशी ‘पत्रकार’ से मुलाकात
सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों में राहुल गाँधी को भारत विरोधी, बांग्लादेशी ‘पत्रकार’ मुश्फिकुल फजल अंसारी के साथ बातचीत करते देखा गया।
मार्च में सुर्खियों में आए अंसारी ने अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर के साथ एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान (जो कि भारत का आंतरिक मामला है) दिल्ली शराब नीति मामले में AAP नेता अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया था।
मुश्फिकुल फजल अंसारी ने UN के प्रवक्ता के समक्ष भी यही मुद्दा उठाया था। ‘जस्ट न्यूज बीडी’ की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश सरकार ने उन्हें डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया है। मुश्फिकुल को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (DMP) के आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराध (CTTC) विभाग द्वारा वांछित घोषित किया गया था और मामले में उन्हें ‘भगोड़ा’ घोषित किया गया था।
उसी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि मुश्फिकुल एक वेब पोर्टल चलाता था जिसे 2015 में बांग्लादेश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। उस पर कई बार सरकार के खिलाफ गलत सूचना फैलाने का आरोप लगा है। मुश्फिकुल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का समर्थक है, जो भारत के उत्तर-पूर्व में विद्रोह का समर्थन करने के लिए जानी जाती है। यूएन मिशन ने उनके पत्रकार के रूप में कार्यक्रमों में भाग लेने पर आपत्ति जताई थी।
बीएनपी ने हंटर बिडेन को अपने लॉबीस्ट के रूप में काम पर रखने का प्रयास किया और इसके संस्थापक शेख उबेद के माध्यम से लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जमात-ए-इस्लामी (JeI) से संबंध हैं।
इस दौरान राहुल गाँधी ने आईएएमसी की वकालत निदेशक सरिता पांडे से मुलाकात की
जून 2023 में सरिता पांडे ने वाशिंगटन में राहुल गाँधी से मुलाकात की थी और उन्हें उनकी माँ सोनिया गाँधी का एक चित्र भेंट किया था। उन्होंने उस समय ट्वीट किया था – “जब मैंने उन्हें चित्र सौंपा, तो मैंने कहा, “एक माँ से दूसरी माँ को,” और उन्होंने कहा कि वह इसे उन्हें देंगे। मुझे उम्मीद है कि वह ऐसा करेंगे”।
गौरतलब है कि सरिता पांडे अजीत साही की पत्नी हैं, जो इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC)’ के एडवोकेसी डायरेक्टर हैं। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) के अनुसार, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के संबंध बैन इस्लामिक आतंकवादी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े हैं।
इसके अलावा, आईएएमसी के संबंध लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जमात-ए-इस्लामी (JeI) से भी उसके संस्थापक शेख उबैद के माध्यम से जुड़े हैं। आईएएमसी एक जमात-ए-इस्लामी समर्थित लॉबिंग संगठन है, जो खुद को अधिकारों की वकालत करने वाला समूह बताता है।
इससे पहले, यह कथित तौर पर यूएसए में विभिन्न समूहों के साथ मिलकर काम कर चुका है और यहाँ तक कि भारत को USCIRF (संयुक्त राज्य अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग) द्वारा ब्लैकलिस्ट कराने के लिए उन्हें पैसे भी दिए। आईएएमसी को भारत में इस्लामी कारणों को आगे बढ़ाने के लिए फर्जी खबरें और गलत सूचनाएँ फैलाने का भी दोषी पाया गया है। इसे 2021 में यूएपीए के तहत भी लिया गया था।
सरिता पांडे के पति अजीत साही को 2021 में विवादास्पद हिंदूस फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR) द्वारा ‘स्वामी अग्निवेश मेमोरियल अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था। इस संगठन ने ‘ग्लोबल हिंदुत्व को खत्म करो’ सम्मेलन का समर्थन भी किया था।
2019 में, ‘हिंदूस फॉर ह्यूमन राइट्स’ की सह-संस्थापक सुनीता विश्वनाथ ने भी भारतीय मुसलमानों में एनआरसी को लेकर डर और घबराहट पैदा करने की कोशिश की थी। संयोग से, राहुल गाँधी ने अपनी 2023 की यूएस यात्रा के दौरान उनसे भी मुलाकात की थी। वह ‘विमेन फॉर अफगान विमेन’ नामक संगठन की सह-संस्थापक भी हैं, जो जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसायटी फाउंडेशन (OSF)/ओपन सोसायटी इंस्टीट्यूट (OSI) द्वारा वित्त पोषित है।